एनआईए की एक याचिका पर कोर्ट ने मांगा अलगाववादी यासीन मलिक से जवाब, मांगी गई है फांसी की सजा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक से एनआईए की उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें आतंकवादी वित्तपोषण मामले में उसकी मौत की सजा की मांग की गई है। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस शालिंदर कौर की खंडपीठ ने मलिक को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मलिक को मई 2022 में ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से दायर अपील में जवाब मांगा। याचिका में एक आतंकवादी वित्तपोषण मामले में यासीन मलिक की मौत की सजा की मांग की गई है।
जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस शालिंदर कौर की खंडपीठ ने मलिक को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की गई है।
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वर्चुअली उपस्थित होना होगा
एनआईए के विशेष वकील अक्षय मलिक ने 9 अगस्त, 2024 को पारित एक आदेश का उल्लेख किया, जिसमें मलिक ने कहा था कि वह अपने मामले का बचाव स्वयं करेंगे।
उक्त आदेश में यह निर्देश दिया गया था कि सुरक्षा कारणों से मलिक वर्चुअली उपस्थित होंगे, न कि व्यक्तिगत रूप से। मगर सोमवार को मलिक वर्चुअली उपस्थित नहीं हुआ।
अत: खंडपीठ ने निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर वर्चुअली उपस्थित होंगे।
मामलों के परीक्षण में असफल रहा
मलिक को मई 2022 में ट्रायल कोर्ट द्वारा इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने मामले में दोषी करार दिया था और उनके खिलाफ आरोपों का विरोध नहीं किया था। मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाते समय, विशेष न्यायाधीश ने देखा था कि यह अपराध सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित "रेयर ऑफ रेयरेस्ट" मामलों के परीक्षण में असफल रहा।
कोर्ट ने मलिक के तर्क को नकारा
न्यायाधीश ने मलिक के इस तर्क को भी खारिज कर दिया था कि उन्होंने गांधीवादी अहिंसा के सिद्धांत का पालन किया और एक शांतिपूर्ण अहिंसक आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।
न्यायालय ने मार्च 2022 में इस मामले में मलिक और अन्य विभिन्न लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय किए थे। इनके नाम हैं हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, ज़हूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश, नईम खान, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे।
हालांकि, न्यायालय ने तीन लोगों कमरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सैयदा आसिया फिरदौस अंद्राबी को बरी कर दिया था।
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