Gandhi Jayanti: क्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे बड़ा चरखा कहां है? 42 कारपेंटरों ने 55 दिन में बनाया था
गांधी जयंती पर दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3 पर दुनिया का सबसे बड़ा चरखा स्थापित है। अहमदाबाद में निर्मित 4149 किलो का यह चरखा गांधीजी के स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। 2016 में अमित शाह ने इसका उद्घाटन किया था जहां मोदी जी ने इसे गौरवशाली विरासत बताया। यात्री इसकी जानकारी पढ़ते हैं और सेल्फी लेते हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आज गांधी जयंती है, यानि महात्मा गांधी का जन्मदिन। बापू की शिक्षाओं व दर्शन को समझना हो तो आपको चरखे पर नजर दौड़ानी ही होगी।
उनके लिए चरखा केवल सूत कातने का औजार नहीं था, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक शक्तिशाली प्रतीक था। स्वतंत्रता संग्राम जैसे जैसे आगे बढ़ता गया, यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ आर्थिक और सामाजिक क्रांति का प्रतीक बना।
गांधी ने चरखे को स्वदेशी आंदोलन के केंद्र में रखा, जिसने आत्मनिर्भरता, स्वावलंबन और अहिंसक प्रतिरोध का संदेश दिया।
क्या आपको पता है दुनिया का सबसे बड़ा चरखा कहां है? नहीं पता है तो हम बताते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा चरखा अपने ही शहर यानि दिल्ली में है। यह आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 पर है।
टर्मिनल 3 के प्रस्थान क्षेत्र में आप जब पहुंचते हैं तो फोरकोर्ट एरिया में आपको लकड़ी से बना विशाल चरखा नजर आएगा।
चरखा भले ही दिल्ली में रखा है लेकिन इसे बनाया गया अहमदाबाद में। यह बर्मा सागौन की लड़की से बना है। अहमदाबाद खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा इसका निर्माण किया गया।
42 कारपेंटर ने पूरे 55 दिनों की मेहनत के बाद इसे तैयार किया था। इस चरखे का वजन 4149 किलाे है। यह 17 फीट ऊंचा, 30 फीट लंबा व नौ फीट चौड़ा है।
वर्ष 2016 में इस चरखे का उदघाटन भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने किया था। उदघाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश भी पढ़ा गया था।
इस संदेश में उन्होंने कहा था कि चरखा हमारी गौरवशाली विरासत का प्रतीक है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारे स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रेरक अनुस्मारक है।
यह चरखा आईजीआई एयरपोर्ट पर यात्रियों को भारत की कालातीत विरासत और इसके स्थायित्व एवं सद्भाव के मूल्यों की याद दिलाएगा।
चरखे संग खूब ली जाती है सेल्फी
एयरपोर्ट के प्रस्थान क्षेत्र में अक्सर यात्री इस चरखे को गौर से देखते हैं। खासकर विदेशी यात्रियों की इस पर जब भी नजर पड़ती है तो वे इस चरखे से जुड़ी एक एक जानकारी को गौर से पढ़ते हैं।
पूरी जानकारी पढ़ने के बाद वे एक बार चरखे के साथ अपनी सेल्फी या दोस्तों के साथ चरखे के आगे खड़े होकर एक तस्वीर जरूर लेते हैं।
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