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    Delhi में 18 से 30 साल की महिलाएं होती हैं सबसे ज्यादा दुष्कर्म की शिकार, शादीशुदा पुरुषों में आत्महत्या की दर अधिक

    By sanjeev GuptaEdited By: Sonu Suman
    Updated: Fri, 08 Dec 2023 10:05 PM (IST)

    अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में दिल्ली में कुल 1251 दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं में से सबसे अधिक 905 18-30 आयु वर्ग में थीं। उसके बाद 328 30-45 आयु वर्ग में थीं। कमोबेश यह पैटर्न राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखता है। 20065 दुष्कर्म पीड़ितों में से सबसे अधिक 18 से 30 वर्ष की उम्र के बीच की हैं।

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    दिल्ली में 18-30 साल की महिलाएं होती हैं सर्वाधिक दुष्कर्म की शिकार। ( फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में 2021 में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं की सबसे अधिक संख्या 18-30 आयु वर्ग की थी। दिल्ली सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह संख्या 72 प्रतिशत बताई गई है।

    अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में, दिल्ली में कुल 1,251 दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं में से सबसे अधिक 905, 18-30 आयु वर्ग में थीं। उसके बाद 328, 30-45 आयु वर्ग में थीं।

    कमोबेश यह पैटर्न राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखता है। 20,065 दुष्कर्म पीड़ितों में से सबसे अधिक 18 से 30 वर्ष की उम्र के बीच की हैं। इसके बाद 30-45 आयु वर्ग की 7,627 हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में देशभर में कुल 31,878 दुष्कर्म पीड़िताएं थीं।

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    महिलाओं की तुलना में पुरुष में आत्महत्या का दर अधिक

    रिपोर्ट से पता चला कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक आत्महत्या के शिकार हुए हैं। वर्ष 2021 में, दिल्ली में आत्महत्या के 2,840 पीड़ितों में से 2,093 पुरुष और 746 महिलाएं थीं। इसमें कहा गया है कि 2020 में 3,142 ऐसे कृत्यों में से 2,247 पुरुषों द्वारा और 895 महिलाओं द्वारा किए गए थे।

    बेरोजगार-विवाहित पुरुषों में आत्महत्या की संभावना ज्यादा

    आंकड़ों के अनुसार, 2017-2021 के दौरान, बेरोजगार और विवाहित पुरुषों में आत्महत्या से मरने की संभावना अधिक थी और महिलाओं के मामले में, गृहिणियों की संख्या सबसे अधिक थी। 2021 में, महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 73,715 मामलों की सुनवाई हुई, जिनमें से 274 मामलों में सजा हुई और 355 बरी हो गए।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में सुनवाई के लिए गए 65,437 मामलों में से 403 ऐसे मामलों में सजा हुई और 388 बरी हो गए।

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