Delhi Chunav में क्यों सिमटी AAP? सामने आई ठोस वजह; पढ़ें कैसे मुश्किलों में घिरते गए केजरीवाल
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार के पीछे की ठोस वजह सामने आई है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना की सक्रियता और दिल्ली के विकास को गति देने के उनके प्रयासों ने आप सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और प्रशासनिक शक्तियों को लेकर टकराव ने आप सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया। पढ़िए आखिर केजरीवाल कैसे घिरते चले गए थे।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। सत्ता विरोधी जिस लहर के चलते इस चुनाव में आप को करारी शिकस्त मिली है, वह कुछ दिनों में नहीं बनी थी। यह माहौल उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ढाई वर्ष की सक्रियता का नतीजा था।
दिल्ली में विकास को गति देने के लिए उनकी भागदौड़ और शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई आप सरकार के लिए गले की फांस बन गई। वर्ष 2013 में जब आप ने सरकार बनाई तो एलजी नजीब जंग थे। केजरीवाल और जंग के बीच टकराव की वजह एलजी से सलाह के बिना मुख्य सचिव की नियुक्ति और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू करना था।
2016 में नजीब जंग ने दे दिया था इस्तीफा
इस खींचतान ने एनसीआर की स्थिति को लेकर कानूनी विवाद को जन्म दिया। यह विवाद दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश होने के चलते एलजी की प्रशासनिक शक्तियों को लेकर था। वर्ष 2015 में आप बहुमत के साथ फिर से सत्ता में आई तो यह विवाद फिर तूल पकड़ने लगा। दिसंबर 2016 में नजीब जंग ने इस्तीफा दे दिया।
अनिल बैजल से भी चलती रही खींचतान
इसके बाद अगले एलजी अनिल बैजल बने। उनके साथ भी खींचतान चलती रही। फिर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021 आया। इसके बाद सरकार की शक्तियां और अधिकार सिमट गए, लेकिन उनके आरोप प्रत्यारोप बढ़ने लगे। इस सबके बीच दिल्ली पिसने लगी, विकास की दौड़ में भी पिछड़ने लगी।
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2022 को वीके सक्सेना ने एलजी का पद संभाला
वहीं, 26 मई 2022 को वीके सक्सेना ने एलजी का पद संभाला। इन्होंने अपनी विशेष रणनीति के तहत आप सरकार को उसी के हिस्से के कामकाज पर घेरना शुरू कर दिया। वह सड़कों पर उतर गए। आप सरकार को न केवल आइना दिखाया बल्कि खुद कमान लेकर सुधार की दिशा में आगे बढ़ने लगे। इससे आप सरकार के दावों की कलई खुलने लगी। रही सही कसर उन घोटालों ने पूरी कर दी, जिनकी जांच के आदेश के आदेश भी दिए।
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कुछ इस तरह आप सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करते गए उपराज्यपाल
- पद की शपथ लेते ही एलजी वीके सक्सेना धौला कुंआ से एयरपोर्ट के दौरे पर निकल गए। वहां की बदहाली पर सरकार को घेरा।
- सराय काले खां बस अडडे के सामने पड़े मलबे के ढेर को डीडीए से साफ करवाया और बांसेरा जैसा पिकनिक स्पाट बनवाया।
- कूड़े के पहाड़ हटाने में जुट गए लेकिन आप सरकार को परेशानी होने लगी। सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर एलजी के प्रयास रुकवा दिए।
- सक्सेना ने यमुना की सफाई का बीड़ा उठाया तो आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर यहां भी स्टे ले लिया।
- एलजी ने नजफगढ़ नाले की सफाई शुरू करवाई तो आप सरकार को यह भी रास नहीं आया। उन्हें सहयोग करने से मना कर दिया गया।
- सरकार लगातार यह आरोप लगाने लगी कि एलजी चुनी हुई सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं। जबकि एलजी एक जगह से रोके जाने पर दूसरा काम करने में लग जाते थे।
- आबकारी घोटाला, फीडबैक यूनिट, डीटीसी घोटाला और क्लासरूम घोटाले की फाइलें आई तो एलजी ने तत्परता से उनकी जांच को आगे बढ़वाया।
- यमुना में बाढ़ आई तो एलजी ने यमुना में गाद का मुद्दा उठाया और शहर में जगह जगह हुए जलभराव पर आप सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
- आप सरकार एलजी को रोकने में लगी रही जबकि वह कारपोरेट घरानों की मदद से जी-20 सम्मेलन के दौरान भी दिल्ली को संवारने में कामयाब हो गए।
- एमसीडी की खींचतान और केजरीवाल के जेल जाने पर भी एलजी ने बहुत समझदारी से काम लिया।
मैंने सिर्फ दो सूत्रीय रणनीति पर काम किया। दिल्ली के विकास को गति देना और गलत कामों का विरोध करना। आम आदमी पार्टी सरकार इतने भर से खुद ही एक्सपोज होती गई। झूठे दावों की कलई खुल गई, भ्रष्टाचार छिप नहीं सका। - वीके सक्सेना, एलजी, दिल्ली
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