एसिड हमले का पीड़ित किसी भी राज्य से हो, फंड का जरूर मिलेगा लाभ: दिल्ली HC ने की अहम टिप्पणी
Acid attack victims दिल्ली हाईकोर्ट ने एसिड हमले के पीड़ितों के लिए अवलंबन फंड योजना- 2024 को लागू करने का आदेश दिया है। इस योजना का लाभ पीड़ित को दिया जाएगा भले ही वह राष्ट्रीय राजधानी के निवासी हों या नहीं। योजना में पुनर्वास और अन्य सहायक खर्चों को पूरा करने के लिए 10 करोड़ रुपये का स्थायी कोष होगा।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद एसिड हमले के पीड़ितों के लिए अवलंबन फंड योजना- 2024 को लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस योजना का लाभ पीड़ित को दिया जाएगा भले ही वह राष्ट्रीय राजधानी के निवासी हों या नहीं या फिर उनका पता कुछ भी हो।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन (अब सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत) और न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा तैयार की गई इस योजना में पुनर्वास और अन्य सहायक खर्चों को पूरा करने के लिए 10 करोड़ रुपये का स्थायी कोष होगा। एसिड हमले के पीड़ितों और इसका संचालन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) द्वारा किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि निर्देशित किया जाता है कि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) योजना के कार्यान्वयन के लिए एक अलग खाता खोलेंगे और इसके बाद इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल एएएसआरए फंड में पड़ी धनराशि को अवलंबन फंड योजना-2024 (Avalamban Fund Scheme) के तहत नए खोले गए खाते में स्थानांतरित करेंगे।

दिल्ली हाईकोर्ट, फाइल फोटो
पीठ ने कहा कि इस न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय के आदेशों के तहत लगाया गया जुर्माना और लागत योजना के तहत जमा करने का निर्देश भी निधि के कोष में जोड़ा जाएगा। मूल रूप से यह मामला पोक्सो मामले में आरोपित की जमानत याचिका से जुड़ा है और मूल याचिका का एकल पीठ ने निपटारा कर दिया था।
लेकिन, यह आरोप लगने के बाद मामला दो सदस्यीय पीठ के समक्ष रखा गया था कि दुष्कर्म के साथ-साथ नाबालिग पीड़िता को जबरन टॉयलेट क्लीनर भी पिलाया गया था। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसे में जब दुनिया में साहस को क्रूरता से मुकाबला करना है, तो उन पीड़ितों के दिल को दहला देने वाले ऐसे जख्म को भरने के लिए एक योजना तैयार करना जरूरी है।
अदालत ने कहा कि ऐसी घटनाओं को झेलने वाली पीड़िता न केवल शारीरिक और मनोवैज्ञानिक चोटों का सामना करती हैं, बल्कि अकल्पनीय दर्द, पीड़ा और आतंक को भी सहन करती हैं। पीठ ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा- 396 पीड़ित मुआवजा योजना स्थापित करने और इसके लिए धन उपलब्ध कराने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों की जिम्मेदारियों को रेखांकित करती है।
इसमें कहा गया है कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना-2018 के तहत पीड़ितों की क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को विधिवत मान्यता दी गई है और इनका निवारण किया गया है।
ये होंगे नोडल अधिकारी
योजना को लागू कराने के लिए प्रत्येक अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा। साथ ही फंड की निगरानी के लिए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) दिल्ली उच्च न्यायिक के एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी को नोडल अधिकारी के तौर पर नामित कर सकते हैं।
ये पीड़ित ले सकेंगे योजना का लाभ
ऐसा व्यक्ति जिस पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एसिड हमला हुआ हो या फिर वह दिल्ली का निवासी हो या फिर इस संबंध में किसी भी अस्पताल में उसका इलाज हो चुका है।
ऐसे मिलेगी वित्तीय सहायता
वित्तीय सहायता लेने के लिए दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण अपनी परियोजना ''संपर्क'' के तहत दुष्कर्म, एसिड हमले सहित महिलाओं के खिलाफ सभी अपराधों की एफआइआर की प्रति प्राप्त करेगा। विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत निःशुल्क कानूनी सहायता एवं सहायता कार्यवाही होगी।
एसिड अटैक की एफआईआर मिलते ही तुरंत कानूनी सहायता के लिए वकील नियुक्त किया जाएगा। पीड़ित को अवलंबन फंड योजना और इसके बारे में अवगत कराया जाएगा। योजना का लाभ लेने के लिए पीड़ित को स्वयं आवेदन करना होगा।
फंड अकाउंट का होगा ऑडिट
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के नोडल अधिकारी (मुख्यालय) योजना से संबंधित खातों का रखरखाव करवाएंगे। योजना से संबंधित खातों का आडिट जिला न्यायालयों में उक्त प्रयोजन हेतु नियमों के तहत किया जाएगा। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) योजना के तहत उपयोग की गई धनराशि के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अर्धवार्षिक रिपोर्ट पेश करेंगे।

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