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दिल्ली में एमएसपी से ज्यादा पर बिकी गेहूं की फसल, किसान हुए खुश

नरेला मंडी के आढ़ती राधेलाल राम नाथ ने बताया कि बांकनेर गांव के किसान रामचंद्र करीब 38 क्विंटल गेहूं लेकर उनके पास पहुंचे। मंडी में उनके गेहूं की खरीद दो हजार दो रुपये पर की गई। यह एमएसपी से 47 रुपये ज्यादा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 02:21 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 02:21 PM (IST)
दिल्ली में एमएसपी से ज्यादा पर बिकी गेहूं की फसल, किसान हुए खुश
मंडी में उनके गेहूं (711 किस्म) दो हजार दो रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदे गए हैं।

नई दिल्ली [सोनू राणा]। एक ओर जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचने के लिए दिल्ली के किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर नरेला अनाज मंडी में मंगलवार को एमएसपी से ज्यादा पर गेहूं की खरीद की गई। इस वजह से बांकनेर गांव के किसान काफी खुश हैं। मंडी में उनके गेहूं (711 किस्म) दो हजार दो रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदे गए हैं।

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नरेला मंडी के आढ़ती राधेलाल राम नाथ ने बताया कि बांकनेर गांव के किसान रामचंद्र करीब 38 क्विंटल गेहूं लेकर उनके पास पहुंचे। मंडी में उनके गेहूं की खरीद दो हजार दो रुपये पर की गई। यह एमएसपी से 47 रुपये ज्यादा है। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष सुरेश कुमार भी मौजूद रहे।


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बिना बेचे गेहूं से भरी ट्राली लेकर घर लौट रहे किसान

एक ओर जहां कुछ किसानों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक दाम पर खरीदी गई, वहीं फूड कारपोरेशन आफ इंडिया (एफसीआइ) के नरेला स्थित गोदाम से किसान बिना फसल बेचे गेहूं से भरी ट्राली घर वापस ले जाने को मजबूर हैं। किसान कई दिनों तक कई जगह धक्के खाने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचने के लिए एफसीआइ के गोदाम पहुंचे थे। लेकिन यहां कि अव्यवस्था को देखकर उन्होंने घर जाना बेहतर समझा। किसानों का आरोप है कि न तो गोदाम में मजदूरों की व्यवस्था है, न कोई गेहूं तौलने वाला है, न कोई गेहूं उतारने वाला है और न ही कोई अधिकारी सुनवाई कर रहा है।

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हमीदपुर गांव के किसान रतनलाल मान व पुत्र विनोद मान ने बताया कि वह गोदाम में सुबह दस बजे पहुंच गए थे। लेकिन दोपहर डेढ़ बजे तक न तो किसी ने ट्राली से गेहूं को उतारा न उतारने की बात की। उन्होंने कहा कि गोदाम में मजदूर भी आठ-दस ही थे। उनको एक ट्राली गेहूं को उतारने से लेकर पैकिंग करने में चार घंटे का समय लग जा रहा है।

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ऐसे में कोई अधिकारी भी सहयोग नहीं कर रहा है। इसलिए वह वापस घर जा रहे हैं। अब आगे क्या करेंगे के सवाल पर उनका कहना था कि गेहूं के सैंपल भी ओके हो गए थे। लेकिन गोदाम की अव्यवस्था देखकर वह वापस जा रहे हैं। अब गेहूं को बेचेंगे नहीं घर पर ही रखेंगे। वहीं, इस मामले में मौके पर मौजूद अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। हालांकि, उन्होंने बुधवार को मजदूरों की कमी न होने की बात कही।


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