Waqf Amendment Bill: सड़क से कोर्ट तक करेंगे संघर्ष, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मोदी सरकार को दी चेतावनी
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वक्फ विधेयक के खिलाफ सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश के संविधान पर सीधा हमला है और मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की एक खतरनाक साजिश है। मदनी ने सभी संसद सदस्यों से अपील की है कि वे अपने विवेक का उपयोग करते हुए इस विधेयक के खिलाफ मतदान करें।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Waqf Amendment Bill: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने वक्फ मामले को लेकर सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष की धमकी दी है।
कहा है कि खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियों के लिए परीक्षा की घड़ी आ गई है। उन्हें तय करना होगा कि वे देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के साथ खड़े हैं या उन लोगों के साथ जो इसे खत्म करने पर तुले हुए हैं।
इसके खिलाफ कानूनी संघर्ष करेंगे शुरू-जमीयत उलेमा-ए-हिंद
उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ( Jamiat Ulama-e-Hind) ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगर इस विधेयक को रोकने के लोकतांत्रिक प्रयास विफल हो गए तो वे इसके खिलाफ कानूनी संघर्ष शुरू करेंगे। सड़क पर भी उतरेंगे।
मदनी ने कहा कि यह विधेयक देश के संविधान पर सीधा हमला है, जो न केवल सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है बल्कि उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी भी देता है। यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की एक खतरनाक साजिश है।
इस विधेयक के खिलाफ करें मतदान-मदनी
इसलिए, जो लोग इस साजिश को हराने के प्रयास में मुसलमानों के साथ खड़े होंगे, वे वास्तव में संविधान और धर्मनिरपेक्षता के असली रक्षक माने जाएंगे। इसके विपरीत, जो लोग इस साजिश को सफल बनाने में सरकार का समर्थन करते हैं, वे देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खुले दुश्मन माने जाएंगे।
उन्होंने सभी संसद सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने विवेक का उपयोग करते हुए इस विधेयक के खिलाफ मतदान कर के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करें।
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी दी आंदोलन की चेतावनी
वहीं पर वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने पर मुस्लिम संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे ‘एक अत्यंत निंदनीय कदम बताया जो मुसलमानों के खिलाफ विधायी भेदभाव का मार्ग प्रशस्त करता है'।
उन्होंने बताया कि वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रविधान, जिन्हें विधेयक निरस्त करने का प्रयास करता है, केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं हैं। अन्य धार्मिक समुदायों को भी समान अधिकार प्राप्त हैं। विभिन्न धार्मिक समुदायों के बंदोबस्ती कानूनों में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो उनके प्रबंधन बोर्डों को उनके संबंधित धर्मों के सदस्यों तक सीमित रखते हैं। वे ‘उपयोगकर्ताओं द्वारा मंदिर’ के लिए भी अनुमति देते हैं, जो ‘उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ’ के समान है और सीमा अधिनियम जैसे कानूनों से छूट प्रदान करते हैं।
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