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    Delhi: दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण बढ़ा रहे वाहन, सर्दियों में ज्यादा खराब हो जाते हैं हालात

    Delhi Pollution Report वायु प्रदूषण हाल के कुछ वर्षों में भारत में अग्रणी पर्यावरण समस्या बनकर सामने आया है। दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषित 18 से 20 शहर भी भारत में ही हैं।(ARAI और टेरी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार दिल्ली में प्रदूषण का अहम स्रोत वाहन हैं।

    By GeetarjunEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 11:15 PM (IST)
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    दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण बढ़ा रहे वाहन, सर्दियों में ज्यादा खराब हो जाते हैं हालात।

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। वायु प्रदूषण हाल के कुछ वर्षों में भारत में अग्रणी पर्यावरण समस्या बनकर सामने आया है। दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषित 18 से 20 शहर भी भारत में ही हैं। आटोमेटिव रिसर्च एसोसिएशन आफ इंडिया (ARAI) और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार दिल्ली में प्रदूषण का अहम स्रोत वाहन हैं।

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    पीएम 2.5 के उत्सर्जन में इनकी करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल सर्दियों की शुरुआत में वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई थी।

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    इलेक्ट्रिक वाहन भी बढ़ रहे

    इसलिए वाहनों से होने वाले प्रदूषण को तत्काल कम करना आवश्यक है। इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों वाला देश भारत इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के सबसे बड़े बाजारों में से भी एक है। वैसे भी जिस तरह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए ईवी (Electric Vehicle) और भी अधिक किफायती है।

    ई-वाहन खरीदने से पहले चेक कर लें ये बातें

    इन्हीं फायदों को समझते हुए भारत में ईवी को तेजी से अपनाया जा रहा है। एडलमैन ग्लोबल एडवाइजरी के इंडिया लीड वासुदेवन रंगराजन ने बताया कि ई वाहन खरीदने से पहले रेंज, चार्जिंग क्षमता, चार्जर इनलेट और चार्जिंग प्वाइंट, वाहन की रफ्तार और सब्सिडी सहित अन्य फायदे देखने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अभी ईवी की शुरुआत हो रही है।

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    इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कंपनियां निवेश कर रहीं

    ईवी को बढ़ावा देने के लिए कंपनियां रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर व्यापक निवेश कर रहीं हैं। यह सच है कि इस पर हो रहे इस खर्च से शुरुआती दौर में ईवी की कीमतें अधिक रह सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि में इससे ईवी की लागत कम होगी और इसको ग्राहकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने में मदद मिलेगी।

    अभी ईवी की कुल कीमत में 30 से 40 प्रतिशत हिस्सेदारी बैट्री की होती है, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब ईवी को भी बैट्री कैपेसिटी के बजाय लोग उनके फीचर्स और फंक्शन से जानने लगेंगे।