UER-2: क्या दिल्ली के इस टोल पर हो रहा नियमों का उल्लंघन? रिपोर्ट से समझिए लोगों का दर्द
पश्चिमी दिल्ली में द्वारका-मुंडका के बीच टोल टैक्स लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। यूईआर-2 पर टोल के कारण स्थानीय निवासियों को हर यात्रा पर 350 रुपये का भुगतान करना पड़ता है जिसे वे अन्यायपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त आवाजाही के अधिकार का उल्लंघन है।

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। दिल्ली में द्वारका सेक्टर-23 में निवासी जल संरक्षण विशेषज्ञ दीवान सिंह मूल रूप से मुंडका गांव के हैं। सप्ताह में तीन से चार दिन इनका मुंडका गांव जाना होता है। जब से यूईआर (अर्बन एक्सटेंशन रोड 2) बनी, तब से द्वारका स्थित यशोभूमि से यूईआर-2 पर चढ़कर सीधे मुंडका का रुख करते हैं।
मुंडका गांव से पहले इन्हें बक्करवाला से आगे रोहतक रोड के नजदीक बने यूईआर 2 के मुंडका बक्करवाला टोल को इन्हें पार करना होता है। अब हर बार जाने या अंजाने इनके फास्टटैग अकाउंट से द्वारका से मुंडका जाने के क्रम में 235 रुपये कट रहे हैं। वापसी में भी पैसे कटते हैं।
मुंडका जाने व मुंडका से लौटने पर प्रति फेरे इनके खाते से 350 रुपये की निकासी हो रही है। यह पीड़ा अकेले दीवान सिंह की नहीं है, बल्कि उपनगरी द्वारका या टोल के दोनों ओर के इलाकों में रहने वाले लोगों की है। रोजाना आवाजाही के लिए 350 रुपये खर्च होना लोगों को अखरता है। 350 रुपये का खर्चा लोगों को तब आर्थिक बोझ से ज्यादा अन्याय लगने लगता है, जब टोल के दोनों ओर का इलाका एक ही शहर का हिस्सा है।
आवाजाही के अधिकार का हनन
टोल के दोनों ओर बसे गांव व कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि एक ही शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में आवाजाही के लिए टोल का आवश्यक भुगतान, शहर के लोगों को संविधान प्रदत्त आवाजाही के अधिकार का उल्लंघन है। टोल का प्रविधान लोगों को आवाजाही से राेकने के लिए बनाई गई व्यवस्था लाेगों को लग रही है।
दीवान या इनके जैसे लोगों का कहना है कि ऐसा लग ही नहीं रहा है कि हम दिल्ली में है। यदि दिल्ली में हैं तो पूरी दिल्ली के लिए एक कानून की व्यवस्था होनी चाहिए। एक सड़क पर आवाजाही मुफ्त लेकिन उसी शहर में एक सड़क पर आवाजाही के लिए शुल्क, आखिर हम कैसा शहर बना रहे हैं।
यदि मुंडका गांव के लोगों को किसी काम के लिए नजदीक स्थित बक्करवाला अपनी गाड़ी से जाना पड़े तो फिर 350 रुपये का भुगतान कीजिए। यह व्यवस्था पागलपन है।
आसपास की सड़क इस्तेमाल के नहीं लायक
बक्करवाला गांव के वजीर का कहना है कि सरकार ने जितना ध्यान यूईआर बनाने पर दिया है, इसका आधा जितना ध्यान भी आसपास के गांवों या कालोनियों से गुजरने वाली सड़कों के विकास पर दिया जाता तो शायद लोग यूईआर का इस्तेमाल भी नहीं करते। लेकिन हुआ क्या है।
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यूईआर 2 के आसपास की जितनी भी सड़कें हैं, सभी की दशा अत्यंत खराब है। ये वाहनों के इस्तेमाल के लायक नहीं है। इन पर जाम एक बड़ी समस्या है। मिनटों का सफर कई बार आधे या एक घंटे में पूरा होता है। लोग इस झंझट से बचने के लिए यूईआर का इस्तेमाल करने को मजबूर हो रहे हैं। यह मजबूरी ही है कि आपको प्रत्येक चक्कर के लिए न्यूनतम 350 रुपये का भुगतान करना ही होगा।
20 किमी के दायरे में मुफ्त आवाजाही के अधिकार का उल्लंघन
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि टोल के आसपास 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वाली आबादी को टोल शुल्क से मुक्त रखने को प्रविधान है। पूरे देश में ऐसा होता है, फिर यहां यह व्यवस्था क्यों नहीं बनाई जा रही है। हम पर टोल थोपा क्यों जा रहा है। सरकार की यदि मंशा टोल से क्षेत्र के लोगों को मुक्त करने की होती तो, एक साइड लेन या सर्विस लेन बनाकर स्थानीय लोगाें को टोल से मुक्त किया जा सकता था, लेकिन यहां ऐसी सोच भी नजर नहीं आ रही है। इस अन्याय का विरोध जरुरी है।
यूईआर के आसपास किसी भी सड़क की स्थिति सही नहीं है। चाहे नजफगढ़ नांगलोई रोड हो, बक्करवाला मेन रोड हो, मुंडका गांव की सड़क हो, हर सड़क की हालत जर्जर है। यानि आपको सुगम आवाजाही के लिए यूईआर का इस्तेमाल करना ही होगा और टोल अदा करना ही पड़ेगा। यह सही नहीं है। - विशाल सिंह, लोकनायकपुरम
आखिर हम अपने ही शहर में एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए टोल अदा क्यों करें। यह आर्थिक बोझ दिल्ली के लोगों पर क्यों थोपा जा रहा है। क्या यूईआर 2 दिल्ली के लोगों का आर्थिक बोझ बढ़ाने के लिए बनाया गया है। यदि ऐसा नहीं है तो दिल्ली से टोल हटाया जाना चाहिए। - राजेश सिंह, लोकनायकपुरम
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