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    सिनेमाघरों में रिलीज होगी Udaipur Files, दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म पर रोक लगाने से किया इनकार

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 10:15 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने उदयपुर फाइल्स फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिसके बाद फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी। अदालत ने हत्यारोपित मोहम्मद जावेद की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि फिल्म बोर्ड द्वारा प्रमाणित होने के बाद रिलीज पर रोक नहीं लगाई जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि फिल्म रिलीज न होने से निर्माताओं को भारी नुकसान होगा।

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    हाई कोर्ट ने फिल्म रोक लगाने से किया इनकार।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स के रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया है और शुक्रवार को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

    दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की हत्यारोपित मोहम्मद जावेद की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।

    मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता न्यायालय को यह विश्वास दिलाने में असमर्थ रहा है कि उसके पक्ष में अंतरिम राहत के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

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    पीठ ने कहा कि निर्माता ने अपनी जीवन भर की कमाई फिल्म पर खर्च कर दी है और यदि फिल्म रिलीज नहीं होती है तो उन्हें क्षति होगी।

    राहत देने से इन्कार करते हुए पीटने कहा कि एक बार जब फिल्म बोर्ड द्वारा प्रमाणित हो जाती है तो फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    हालांकि, पीठ ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) द्वारा फिल्म के प्रमाणन को मंज़ूरी देने के आदेश के खिलाफ आरोपित की मुख्य याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

    बुधवार को पारित एक आदेश में एमआईबी ने जावेद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाओं को खारिज कर दिया। यह एक अगस्त को न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुसरण में था।

    सुनवाई के दौरान आरोपित मोहम्मद जावेद की तरफ से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है जहां न्यायिक मामले की सुनवाई के दौरान फिल्म रिलीज हुई हो।

    उन्होंने कहा कि फिल्म की विषयवस्तु आरोपपत्र से मिलती-जुलती है और अपराध में उनके मुवक्किल की कथित भूमिका को सीधे तौर पर दर्शाती है। उन्होंने कहा कि फिल्म में मेरे मुवक्किल की भूमिका बिल्कुल वैसी ही दिखाई गई है जैसी आरोपपत्र में है।

    गुरुस्वामी ने जोर देकर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को फिल्म के सार्वजनिक रिलीज से अपूरणीय क्षति होगी।

    यह निष्पक्ष सुनवाई का उल्लंघन करती है या नहीं। अगर इस तरह के मामले में फिल्म के रिलीज की अनुमति दी गई तो निष्पक्ष सुनवाई खत्म हो जाएगी।

    वहीं, सीबीएफसी व केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने फिल्म के प्रमाणन और मंत्रालय की समीक्षा प्रक्रिया का बचाव करते हुए कहा कि अधिकारियों ने उच्चतम स्तर पर मामले पर विचार करने के बाद निर्णय लिया है। एएसजी ने कहा कि अदालत के निर्देशों का पूरी तरह पालन किया है।

    वहीं, फिल्म के निर्माताओं की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता गौरव भाटिया ने तर्क दिया कि अंतरिम राहत का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि न तो फिल्म में आरोपित का नाम है और न ही उसकी भूमिका का स्पष्ट रूप से चित्रण नहीं किया गया है।

    विषयवस्तु और याचिकाकर्ता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर फिल्म में 55 कट और छह अतिरिक्त संशोधन किए गए हैं।

    इसके साथ ही एक अस्वीकरण भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि रिलीज पर रोक लगाने से निर्माताओं को अपूरणीय क्षति होगी, जिन्होंने अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी लगा दी है।

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