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Pollution in Delhi: दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सफर की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 24 फीसद प्रदूषण की वजह दोपहिया वाहन ही हैं। इसमें बाइक की वजह से 14 फीसद और स्कूटरों की वजह से 10 फीसद प्रदूषण होता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 10:35 AM (IST)Updated: Sun, 29 Dec 2019 10:35 AM (IST)
Pollution in Delhi: दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सफर की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
Pollution in Delhi: दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सफर की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी अध्ययनों में यह तो पहले ही साबित हो चुका है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में सर्वाधिक 41 फीसद तक योगदान वाहनों के धुएं का है। इसमें भी व्यावसायिक वाहनों और ट्रकों के धुएं को इसकी बड़ी वजह बताया जाता रहा है। लेकिन इसी बीच अब नई रिपोर्ट यह है कि 41 में से 24 फीसद प्रदूषण दोपहिया वाहनों का है।

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केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रलय के अधीन सफर इंडिया की शोध रिपोर्ट के मुताबिक ट्रकों का प्रवेश 85 फीसद घट जाने के बाद अब दिल्ली में एक-चौथाई प्रदूषण की वजह बाइक और स्कूटर सामने आ रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 24 फीसद प्रदूषण की वजह दोपहिया वाहन ही हैं। इसमें भी बाइक की वजह से 14 फीसद और स्कूटरों की वजह से 10 फीसद प्रदूषण होता है। ट्रक और बसों की हिस्सेदारी इस प्रदूषण में 20-20 फीसद रह गई है। ऑटो और कारें भी राजधानी को काफी प्रदूषित कर रही हैं।

सफर के निदेशक डॉ. गुफरान बेग के अनुसार, दिल्ली में स्कूटर और बाइक से ज्यादा प्रदूषण होने का कारण उनका ठीक से रखरखाव नहीं किया जाना है। बेग का कहना है कि जिस तरह से दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश को लेकर पाबंदियां लगाई गई हैं, वैसा ही कुछ निर्णय दोपहिया वाहनों के मामले में भी किया जाना जरूरी हो गया है।

उन्होंने कहा कि बाइक-स्कूटर पेट्रोल से दौड़ते हैं और इसीलिए इनसे कम प्रदूषण होता है जबकि व्यावसायिक वाहन डीजल से चलते हैं और अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन नई शोध रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2015 के बाद से राजधानी में वायु प्रदूषण में पीएम 2.5 में लगातार करी हो रही है।

हालांकि अब भी यह तय मानकों से काफी अधिक है। 2010 में पीएम 2.5 का औसत स्तर 111 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा था जो 2018 में घटकर 101 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा है। नवंबर 2019 में यह और घट कर 92 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रह गया है। हालांकि इसे 40 तक होना चाहिए। इस हिसाब से यह अभी भी लगभग दोगुना है।

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