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    Delhi News: सीएक्यूएम का दावा, पिछले साल की तुलना में आधी जली इै इस बार पराली, दिल्ली में महज दो मामले

    By sanjeev GuptaEdited By: Pradeep Kumar Chauhan
    Updated: Mon, 17 Oct 2022 09:01 PM (IST)

    Delhi Parali News पिछले साल 1026 के मुकाबले इस बार 244 जगहों पर ही पराली जली है। उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों में पिछले साल 30 की तुलना में इस बार केवल पांच ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं।

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    Delhi Parali News: दिल्ली में इस साल अब तक पराली जलाने की दो ही घटनाएं सामने आई हैं।

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi Parali News: एक ओर जहां पंजाब और हरियाणा के खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले पांच दिनों में तेजी देखने को मिली है, वहीं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दावा किया है पिछले साल की तुलना में अभी तक आधी पराली ही जली है। आयोग के मुताबिक पिछले साल 15 सितंबर से लेकर 16 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 3,441 घटनाएं दर्ज की गई थीं। इस बार अब तक 1,695 घटनाएं ही दर्ज की गई हैं।

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    दिल्ली में पराली जलाने की दो ही घटनाएं सामने आई

    आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब के खेतों में पिछले साल इसी अवधि में पराली जलाने की 2,375 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि इस साल यह संख्या अब तक 1,444 है। इसी तरह से हरियाणा में पिछले साल 1,026 के मुकाबले इस बार 244 जगहों पर ही पराली जली है। उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों में पिछले साल 30 की तुलना में इस बार केवल पांच ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं। दिल्ली में इस साल अब तक पराली जलाने की दो ही घटनाएं सामने आई हैं।

    पिछले साल की तुलना में पराली जलाने के मामले हुए कम 

    सीएक्यूएम ने यह भी बताया कि धान के अवशेष जलाने की पहली घटना इा साल पंजाब में 15 सितंबर को, हरियाणा में 18 सितंबर को, उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों में 30 सितंबर को और दिल्ली में पांच अक्टूबर को हुई थी। आयोग के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर पूरी निगरानी की जा रही है।

    31,700 कस्टम हायरिंग सेंटर और सहकारी समितियां स्थापित

    कई जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक भी हुई है। अधिकारियों को पराली जलाने की हर घटना का मौके पर जाकर निरीक्षण करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उक्त सभी राज्यों सहित दिल्ली के मुख्य सचिवों और इन राज्यों के कृषि और पर्यावरण विभागों के सचिवों के साथ नियमित रूप से स्थिति की समीक्षा भी की जा रही है। सीएक्यूएम के अनुसार, उत्तर प्रदेश के पंजाब, हरियाणा व एनसीआर जिलों में लगभग 31,700 कस्टम हायरिंग सेंटर और सहकारी समितियां स्थापित की गई हैं और दो लाख से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।

    15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच पराली जलाने की 71,304 घटनाएं

    गौरतलब है कि प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के साथ, आसपास के राज्यों में धान की पराली जलाना राष्ट्रीय राजधानी में अक्टूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच पराली जलाने की 71,304 घटनाएं सामने आई थीं और 2020 में इसी अवधि में 83,002 घटनाएं दर्ज की गई थीं। पिछले साल, दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा सात नवंबर को 48 प्रतिशत तक पहुंच गया था।

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