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    Dargah Tragedy : घर की कलाह से मुक्ति के लिए ताबीज लेते आई थी अनीता... हर शुक्रवार को माथा टेकने आती थी मीना

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 11:51 PM (IST)

    दक्षिणी दिल्ली की एक दरगाह में दीवार गिरने से अनीता नामक एक महिला की मृत्यु हो गई। वह घर में शांति के लिए ताबीज लेने आई थी। हादसे में मोइनुद्दीन समेत कई अन्य लोग भी मारे गए। यह दरगाह 700 साल पुरानी है और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है जहां सभी धर्मों के लोग आते हैं। यहां मन्नत पूरी होने के लिए ताबीज भी दिया जाता है।

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    दरगाह हादसे में तीन महिलाओं की मौत हो गई। जागरण

    अमित भाटिया, दक्षिणी दिल्ली। दरगाह पर मन्नत मांगने के लिए हर शुक्रवार को लोग बड़ी संख्या में यहां माथा टेकने आते थे। घर में लंबे समय से चल रहे कलह के कारण अनीता भी परेशान थी।

    अनीता के घर में पति की मौत के बाद से लगातार कलह बढ़ रहा था। इसी परेशानी के चलते घर में शांति के लिए वह दुआ मांगने के लिए दरगाह आने लगी थी।

    शुक्रवार को उसे मौलवी ने ताबीज देने के लिए बुलाया था। इसी दौरान दरगाह में बने कमरों की दीवार गिरने से वह उसकी चपेट में आ गई और काॅल का शिकार हो गई।

    दरगाह की दीवार गिरने से उसके नीचे दबकर मौत के मुंह में गई अनीता भोगल की रहने वाली थी। अनीता की बहन मंजू ने बताया कि अनिता के परिवार में दो बेटे, बहू और पोता हैं।

    उनके पति की कोरोना में मौत हो गई थी। अनिता के घर में लंबे समय से झगड़ा चल रहा है। अनीता को किसी ने बताया था कि बाबा की दरगाह पर मन्नत मांगने से झगड़े खत्म हो जाते हैं, जिसके चलते उसने दरगाह पर जाना शुरू किया था।

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    शुक्रवार को मौलवी साहब ने उसे ताबीज देने के लिए बुलाया था। दरगाह पर माथा टेककर वह मौलवी के पास ताबीज लेने गई थी। इसी दौरान कमरे की छत गिर गई और वह हादसे का शिकार हो गई।

    वहीं हादसे का शिकार हुए मोइनुद्दीन अपने जाकिर नगर का रहने वाला था। उसके परिवार में दो बच्चे और पत्नी हैं। वह कपड़े की दुकान चलाता था। मोइनुद्दीन अपने दोस्त के साथ शुक्रवार को दरगाह गया था। उसे मौलवी ने मिलने के लिए जाना था।

    दरगाह पहुंचने के बाद मोइनुद्दीन का दोस्त बाहर रुक गया। मोइनुद्दीन जल्द ही वापस आने की बात बोलकर मौलवी से मिलने चला गया। वह करीब 3:40 बजे अंदर गया था और फिर कुछ ही देर में अंदर से बहुत तेज आवाज आनी शुरू हो गई।

    जिसके बाद मोइनुद्दीन के दोस्त से अंदर जाकर देखा तो मौलवी के कमरे सहित दो कमरों की दीवार और छत गिरी हुई थी और लोग मलबे में दबे हुए थे। उसने दोस्त को बचाने के लिए लोगों के साथ मलबा हटाना शुरू किया, मगर दोस्त को बचा नहीं पाया।

    वहीं मृतकों में शामिल 56 वर्षीय मीना और 79 वर्षीय स्वरूप चंद के परिजन में शुक्रवार रात एम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। मीना के स्वजन ने बताया कि इनका परिवार वसंत कुंज इलाके में रहता है।

    मीना शुक्रवार को यहां माथा टेकने के लिए आती थी। दरगाह से वापस घर आने में देरी होने पर स्वजन ने फोन किया तो फोन पुलिसकर्मी ने उठाया और हादसे की जानकारी दी। सूचना मिलते ही स्वजन ट्रामा सेंटर पहुंचे। उनका रो-रोकर बुरा हाल था।

    पुल बंगस निवासी मृतक स्वरूपचंद के स्वजन ने बताया कि उनकी पत्नी रानी की काफी समय से तबीयत खराब चल रही थी और उनका उपचार चल रहा है।

    पत्नी के जल्दी ठीक होने की दुआ लेकर स्वरूपचंद यहां हर शुक्रवार आते थे। परिवार में तीन बेटे व बेटियां हैं। पुलिस के फोन से उन्हें घटना का पता चला।

    700 साल पुरानी है दरगाह शरीफ पत्ते वाली

    दरगाह से जुड़े मौउजिम ने बताया कि यह दरगाह करीब सात सौ साल पुरानी है। उन्होंने बताया कि हजरत शम्सुद्दीन अताउल्लाह (पत्ते शाह) की दरगाह है। उन्होंने यहां एक पेड़ लगाया था। मान्यता है कि मजार में लगे पेड़ के पत्ते खाने से मुराद पूरी होती है।

    इसके अलावा दरगाह के मौलवी शमीम अख्तर दुआएं कबूल होने के लिए ताबीज भी बनाकर देते थे। ताबीज लेने के लिए शुक्रवार को यहां लोगो की काफी भीड़ होती थी। दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है और यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं।

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