जेल में प्राकृतिक खेती की शुरुआत, 'तिहाड़ हट' के जरिये बेचे जाएंगे उत्पाद
तिहाड़ जेल में एक कदम प्राकृतिक कृषि की ओर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के लाभ बताए। उन्होंने कैदियों और जेलकर्मियों को इस विधि के बारे में जानकारी दी। मंत्री आशीष सूद ने तिहाड़ में प्राकृतिक खेती शुरू करने की सराहना की जिससे जेल की रसोई सशक्त होगी और उत्पादन तिहाड़ हाट में बेचा जाएगा।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली: तिहाड़ जेल परिसर में 'एक कदम प्राकृतिक कृषि की ओर' पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के अपने अनुभव साझा किए।
उन्होंने कैदियों एवं जेलकर्मियों को प्राकृतिक खेती के महत्व के विषय में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर प्रदेश के गृह, ऊर्जा एवं शिक्षा मंत्री आशीष सूद, जेल महानिदेशक सतीश गोल्चा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।
राज्यपाल एवं मंत्री ने अधिकारियों के साथ जेल संख्या एक का दौरा किया, जहां कैदियों की सहायता से प्राकृतिक खेती की शुरुआत की गई है।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इससे भूमि, मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने जैविक खेती और प्राकृतिक खेती में अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती शून्य लागत, स्थायी एवं समग्र कृषि प्रणाली है।
मंत्री आशीष सूद ने प्राकृतिक खेती की पहल की सराहना करते हुए बताया कि आज गुजरात में 9.5 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती से लाभान्वित हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि तिहाड़ जेल में प्राकृतिक खेती की शुरुआत जेल की रसोई को शसक्त करेगी, इसके साथ ही अतिरिक्त उत्पादन को 'तिहाड़ हाट' के माध्यम से बेचा जाएगा। जेल संख्या चार भी गए।
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