भारतीय सभ्यता दुनिया से संघर्ष करने वाली नहीं बल्कि अपनाने वाली है: दत्तात्रेय होसबाले
समिधा पुस्तक विमोचन समारोह में दत्तात्रेय होसबाले ने प्रो. बाल आप्टे को याद किया और कहा कि विचारवान लोगों का साथ समाज के लिए प्रेरणा है। उन्होंने बताया कि प्रो. आप्टे कार्यकर्ताओं के साथ एक कार्यकर्ता की तरह रहते थे। भूपेंद्र यादव ने पर्यावरण की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और संघ के पंच परिवर्तन के संकल्प की बात की जिसका उद्देश्य समाज में समरसता और भेदभाव को दूर करना है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: समिधा पुस्तक के विमोचन समारोह में दत्तात्रेय होसबाले ने प्रो. बाल आप्टे का स्मरण करते हुए कहा कि विचारवान लोगों का साथ रहना समाज के लिए प्रेरणादायक है।
उन्होंने बताया कि प्रो. आप्टे हमेशा कार्यकर्ताओं के साथ, एक कार्यकर्ता के रूप में रहते थे और अपने विचारों से सबको संभालते थे।
होसबाले ने कहा कि भारतीय सभ्यता दुनिया से संघर्ष नहीं, बल्कि उसे अपनाने वाली है। ग्रंथों और म्यूजियम में रखने भर से हमारी सभ्यता का संदेश नहीं फैलेगा—हमें उसे खुद जीना होगा।
दुनिया में श्रेष्ठ, समरस और सबको साथ लेकर चलने वाले समाज और राष्ट्र की आवश्यकता है, इसी के निर्माण को हमारा उद्देश्य बनाना चाहिए।
विनोद तावड़े का भी मानना है कि प्रो. आप्टे वैचारिक मार्गदर्शन के श्रेष्ठ उदाहरण थे। समारोह में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने पर्यावरण की बाहरी और आंतरिक चुनौतियों पर रोशनी डाली।
उन्होंने कहा कि बाहरी प्रदूषण से लड़ने के लिए जीवनशैली बदलनी होगी, पर अंदर का प्रदूषण जैसे अहंकार, भ्रष्टाचार, अकर्मण्यता भी कम गंभीर नहीं।
आज के चुनौतीपूर्ण समय में इन सबपर नियंत्रण जरूरी है। इसके लिए संघ ने 'पंच परिवर्तन' का संकल्प लिया है, जो समाज में समरसता, ऊंच-नीच और भेदभाव जैसी बुराइयों को दूर करने का प्रयास करेगा।
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