देश की सबसे बड़ी जेल के कैदी अब चलाएंगे पेट्रोल पंप, प्रशासन और इंडियन ऑयल के बीच करार
Delhi News तिहाड़ जेल के कैदी अब पेट्रोल पंप पर काम करेंगे। जनकपुरी में जेल प्रशासन और इंडियन ऑयल के बीच समझौता हुआ है। कैदियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें पेशेवर तरीके से काम करने के लिए तैयार किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य कैदियों का पुनर्वास करना और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है। बस एक क्लिक में इस स्टोरी में माध्यम से पढ़िए पूरी खबर।

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ के ओपन व सेमी ओपन जेल में बंद कैदियों को पेट्रोल पंप पर काम देने की तैयारी चल रही है। इसके लिए तिहाड़ के आवासीय परिसर के नजदीक जनकपुरी के ठीक सामने एक पेट्रोल पंप खोला जाएगा।
इस पेट्रोल पंप की पूरी कमान कैदियों के हाथ में होगी। इंडियन ऑयल के साथ इस पेट्रोल पंप के लिए जेल प्रशासन के बीच आपसी सहमति बन चुकी है। इंडियन ऑयल कैदियों की पेट्रोल पंप पर सेवा लेने से पहले सभी को प्रशिक्षण भी देगा ताकि सभी पूरे प्रोफेशनल तरीके से वहां अपनी ड्यूटी कर सकें।
आंध्रप्रदेश की जेलों के कैदी भी पेट्रोल पंप पर पहले से कर रहे काम
बता दें कि अभी आंध्रप्रदेश व तेलंगाना की जेलों के कैदी पेट्रोल पंप पर कार्य कर रहे हैं। वहां इसके अच्छे नतीजे सामने आने के बाद तमाम बातों पर विचार करते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसे दिल्ली में लागू करने का फैसला किया।
जेल अधिकारियों का कहना है कि अभी शुरुआत तिहाड़ परिसर से हो रही है बाद में इसकी संभावना रोहिणी में भी तलाशी जा सकती है।पेट्रोल पंप पर कुल 38 कैदियों को रोजगार मिलेगा। इसमें 36 कैदी सेमी ओपन व दो कैदी ओपन जेल के होंगे।
अभी सेमी ओपन के कैदियों को जेल परिसर के भीतर व ओपन जेल के कैदियों को जेल परिसर से बाहर काम करने की आजादी है। जेल प्रशासन का कहना है कि पेट्रोल पंप की पहल से जो भी फायदा होगा, वह जरुरी कार्य में खर्च किया जाएगा।
अभी कहां मिल रहा है कैदियों को रोजगार
तिहाड़ में कैदियों के रोजगार के लिए कई तरह के विकल्प है। आमतौर पर सजायाफ्ता कैदियों के लिए जेल की फैक्ट्रियों में ही रोजगार का प्रबंध किया जाता है। लेकिन केवल इनसे फैक्ट्रियों में कामगार की जरुरत पूरी नहीं होती है।
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इसे देखते हुए विचाराधीन कैदियों की क्षमता के अनुसार उन्हें फैक्ट्रियों में काम दिया जाता है। सेमी ओपन व ओपन के कैदियों को फैक्ट्रियों में काम देने के बजाय कार्यालय से जुड़े कार्य आमतौर पर दिए जाते हैं। तिहाड़ परिसर की जेलों व कार्यालय में इनकी डयूटी लगाई जाती है।
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