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    Delhi Book Fair: भारतीय युवाओं की पहली पसंद बन रही विदेशों से जुड़ी ये किताबें, खरीदने के लिए उमड़ा हुजूम

    Updated: Mon, 03 Feb 2025 10:00 AM (IST)

    दिल्ली पुस्तक मेले में विदेशी प्रकाशकों के स्टॉल पर विदेशी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी किताबों की भरमार है। यात्रा और संस्कृति से जुड़ी किताबें खूब पसंद की जा रही हैं। इसके अलावा भाषा सीखने में मददगार किताबों की भी मांग है। लेखक कोना भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जहां विभिन्न भाषाओं और उम्र के लेखक एक-दूसरे से मिल रहे हैं और अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।

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    विदेशी संस्कृति से जुड़ी किताबों को पढ़ने और खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। जागरण फोटो

    शशि ठाकुर, नई दिल्ली। राजधानी में चल रहे विश्व पुस्तक मेले (Delhi Book Fair) में विदेशी प्रकाशक किताबों के विविध संग्रह पेश कर रहे हैं, लेकिन पुस्तक मेले में आने वाले अधिकतर लोग विदेशी संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानना चाहते है। इस कारण यात्रा और संस्कृति से जुड़ी किताबों को पढ़ने और खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। 

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    इसके अलावा पाठक इन विधाओं को सीखने में मददगार किताबों को भी अधिक खरीद रहे है, वहीं मेले में अलग से लेखक कोना भी बनाया गया है। इसका उद्देश्य विभिन्न भाषा और उम्र के लेखकों को एक मंच पर लाना और एक-दूसरे के बीच मेलजोल को बढ़ावा देना है। फ्रांस, जर्मन, रूस, नेपाल और अरब सहित विदेशों की संस्कृति और यात्रा पर आधारित कई किताबें उपलब्ध हैं, जिन्हें पढ़कर युवा विदेशी संस्कृति के बारे में गहराई से जान सकते हैं। 

    (पुस्तक मेले में किताब खरीदती महिलाएं। जागरण फोटो)

    दूसरा इनमें ओ और ए का सही उच्चारण सीखने के लिए भी विदेशी स्टाल पर कई किताबें मौजूद हैं। लेखकों ने भी पाठक वर्ग को देखते हुए सीखने के लिहाज से हर स्तर को ध्यान रखकर किताबें प्रकाशित की हैं। इनमें सीखने की शुरुआत करने वालों के लिए चित्रात्मक किताबों से लेकर विद्वानों के लिए उपन्यास तक शामिल है। जर्मन बुक स्टाल की प्रबंधक ने बताया कि अधिकतर खरीदार माता-पिता के साथ आ रहे हैं और उनके माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे छोटी उम्र से ही जर्मन सीखना शुरू कर दें।

    (भारत मंडपम में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में रूस के स्टाल पर प्रश्नोत्तरी में भाग लेते लोग। जागरण)

    उभरते लेखक बारीकी से ज्ञान प्राप्त कर रहे 

    मेले में लेखक कोना बनाने का उद्देश्य सभी वर्ग के लेखकों को एक मंच पर लाना और एक-दूसरे के बीच मेलजोल को बढ़ावा देना है। अनुभवी लेखकों से नए उभरते लेखक नई रचना लिखने के लिए नए विषयों के साथ रचनाओं, रसों और शब्दों के बारे में भी बारीकी से ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।

    (भारत मंडपम में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में भीड़। जागरण)

    ओलंपियाड में बच्चों ने लिया हिस्सा 

    विश्व पुस्तक मेले के दूसरे दिन रूस स्टाल पर रूसी भाषा ओलंपियाड पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें आठ से 15 वर्ष के बच्चों ने भाग लिया। इसमें रूस के लेखकों ने बच्चों से प्रश्न पूछे। प्रतियोगिता खत्म होने पर बच्चों को सर्टिफिकेट भी दिया गया।

    मेले में उमड़ पड़ा हुजूम, पहुंचे एक लाख पुस्तक प्रेमी

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में चल रही विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच रविवार को विश्व पुस्तक मेले में भी पाठकों का हुजूम उमड़ पड़ा। भारत मंडपम के हाल नंबर एक से छह में लगे इस मेले में दोपहर बाद तो पैर रखने की जगह भी नहीं थी। 

    मेले के आयोजक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अनुसार मेले में रविवार को एक लाख से अधिक लोग पहुंचे। सुखद यह रहा कि लोग सिर्फ मेला घूमने ही नहीं आए, बल्कि किताबें खरीदते भी नजर आए। छुट्टी का दिन होने के कारण मेले में सबसे ज्यादा कोई कोना गुलजार था तो वह था हाल नंबर छह में लगे चिल्ड्रंस पेवेलियन के चिल्ड्रंस बुक ट्रस्ट का स्टाल। यहां पाठकों की काफी भीड़ देखी गई। 

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    वहीं, अपने अभिभावकों के साथ आए बच्चे अपनी पसंद की पुस्तक की खरीदारी के साथ ही सेल्फी लेते भी दिखे। स्टाल पर सीबीटी के लोकप्रिय बुक मुछावर्स के कटआउट्स के साथ सेल्फी लेने के लिए बच्चों में होड़ दिखी। हाल नंबर पांच में प्रभात प्रकाशन के स्टाल पर अंग्रेजी पुस्तक ‘डाटर आफ द सोल : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु’ भी पाठकों को आकर्षित कर रही है। 

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    डा. गौरव गुप्ता और डा. रश्मि सलूजा की ओर से लिखित यह पुस्तक एक स्कूल शिक्षिका से एक सफल राजनीतिज्ञ बनने के उनके सफर को दर्शाते हुए हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाने के लिए मुर्मु की अटूट प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक उस उल्लेखनीय महिला की झलक प्रदान करती है।