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इतिहास विषय को रोचक अंदाज में पढ़ाने वाली शिक्षिका कविता को रिटायरमेंट गिफ्ट, मिलेगा राज्य पुरस्कार

इतिहास की कविता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह इतिहास जैसे गंभीर विषय को भी रचनात्मक बनाकर बच्चों को बहुत ही आसान शैली में पढ़ाती हैं। इसके साथ ही राजकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय नम्बर- 1 के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम भी 100 फीसद रहता है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 12:36 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 12:36 PM (IST)
इतिहास विषय को रोचक अंदाज में पढ़ाने वाली शिक्षिका कविता को रिटायरमेंट गिफ्ट, मिलेगा राज्य पुरस्कार
शिक्षिका कविता कुमारी यादव की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [रितु राणा]। दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका के लिए रिटायरमेंट के समय इससे बड़ा तोहफा क्या होगा कि उसे पुरस्कार मिलने जा रहा है। दरअसल, यमुना विहार बी ब्लॉक स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय नम्बर 1 की सेवानिवृत्त शिक्षिका कविता कुमारी यादव को इस वर्ष दिल्ली राज्य पुरस्कार (पीजीटी श्रेणी) मिलेगा। कविता यादव सराकरी स्कूल में इतिहास की प्रवक्ता हैं। कविता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह इतिहास जैसे गंभीर विषय को भी रचनात्मक बनाकर बच्चों को बहुत ही आसान शैली में पढ़ाती हैं। इसके साथ ही  राजकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय नम्बर- 1 के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम भी 100 फीसद रहता है। इसी के आधार पर उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।     

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बच्चों को पढ़ाने के लिए बनाए अलग अलग ग्रुप

कविता कुमार यादव ने बताया कि वह कक्षा में बच्चों को इस अंदाज में पढ़ाती थी कि एक एक प्वाइंट उनके दिमाग में बैठ जाता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष उनके विद्यार्थियों का परिणाम भी शत प्रतिशत रहा। वह कक्षा में चार-चार बच्चों के ग्रुप बनाती थीं। जो बच्चे 90 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले होते थे, उन्हें ग्रुप का लीडर बनाया जाता था, ताकि वह अन्य बच्चों को पढ़ने में मदद कर सके। साथ ही वह पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान देती थी, उन्हें अलग से समय देकर या फोन पर समझाती थी।

कविता ने बताया की वह 1986 से शिक्षण कर रही हैं। 10 वर्ष  तक उन्होंने समर्थ शिक्षा समिति स्कूल में पढ़ाया है। वहां पढ़ाई का वातावरण बहुत अलग और वहीं के अनुभवों का प्रयोग आज तक वह अपने शिक्षण में करती आई हैं। कविता ने बताया कि 30 जून को वह सेवानिवृत्त हो गई थीं और एक जुलाई को उनका री एम्प्लॉयमेंट हो गया था, लेकिन सितंबर माह में सरकार ने री एम्प्लॉयमेंट पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके उन्होंने 20 दिन बिना वेतन के बच्चों को पढ़ाया और अब भी उनके अंदर यह चाहत है कि वह किसी न किसी तरह से शिक्षण का कार्य निरंतर रखें। 

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