नौकरी के बदले जमीन घोटाला: कर्मचारियों पर बेवजह दबाव बनाने पर अदालत ने वकील को लगाई फटकार
राउज एवेन्यू कोर्ट में नौकरी के बदले जमीन घोटाले की सुनवाई के दौरान एक वकील को अदालत के कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डालने पर फटकार लगाई गई। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि कोर्ट का स्टाफ उनका विस्तार है और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। अदालत ने वकील की मांग को खारिज कर दिया। कहा कि आरोप तय होने से पहले दस्तावेजों की व्याख्या पर विचार नहीं किया जा सकता है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित में विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में सुनवाई के दौरान एक वकील को अदालत के कर्मचारियों पर अनुचित तरीके से दबाव बनाने पर फटकार लगाई।
न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा कि उनकी अदालत का स्टाफ उनका ही विस्तार है। वे सरकारी सेवक हैं और उन्हें उतना ही सम्मान मिलना चाहिए जितना न्यायाधीश को।
शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने देखा कि एक आरोपित की ओर से पेश वकील लगातार इस बात का दबाव बना रहे थे कि उनके आवेदन पर पहले निर्णय दिया जाए।
न्यायाधीश गोगने ने कहा कि कभी-कभी हम अपने पक्ष में आदेश पाने की इच्छा में अधिक उत्साहित हो जाते हैं, लेकिन अदालत के साथ टकराव की स्थिति नहीं बना सकते।
उन्होंने वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि आप अपने अधिकार के रूप में बात कर सकते हैं, लेकिन इस तरह नहीं कि लगे अदालत आपकी हर मांग मानने के लिए बाध्य है।
अदालत ने वकील की मांग को ठुकराते हुए कहा कि यह टुकड़ों में और समय से पहले फैसला लेने की कोशिश है, जो सुनवाई में देरी का कारण बन सकती है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोप तय करने से पहले किसी दस्तावेज की स्वीकार्यता या भाषा की व्याख्या पर विचार नहीं किया जा सकता।
सीबीआइ के अनुसार, वर्ष 2004 से वर्ष 2009 के बीच रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को बेहद कम कीमत पर जमीन हस्तांतरित की गई।
जिसके बदले रेलवे में ग्रुप-डी की अस्थायी नौकरियां दी गई। आरोपपत्रों में कहा गया है कि कई नियुक्तियों के दस्तावेज में गंभीर अनियमितताएं पाई गई थी।
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