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Kejriwal Exclusive Interview: दिल्ली में घर-घर राशन योजना जनवरी से होगी शुरू, लाखों को मिलेगा लाभ

EXCLUSIVE दिल्ली में लोगों को अगले साल से घर पर ही राशन मिलना शुरू हो जाएगा। अरविंद केजरीवाल सरकार एक जनवरी से घर-घर राशन योजना शुरू कर रही है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 08:02 AM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 12:49 PM (IST)
Kejriwal Exclusive Interview: दिल्ली में घर-घर राशन योजना जनवरी से होगी शुरू, लाखों को मिलेगा लाभ
Kejriwal Exclusive Interview: दिल्ली में घर-घर राशन योजना जनवरी से होगी शुरू, लाखों को मिलेगा लाभ

नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण पाने से आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के मुखिया आत्मविश्वास से लबरेज नजर आते हैं। उनका मानना है कि अब हालात धीरे-धीरे सुधरते जाएंगे। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भी उनकी सरकार प्रयासरत है। इन लक्ष्यों को हासिल करने में क्या हैं चुनौतियां और क्या रहेगी रणनीति, इन बिंदुओं पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दैनिक जागरण के सौरभ श्रीवास्तव और वीके शुक्ला ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश..

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घर-घर राशन योजना कब तक शुरू होगी, इसे लेकर सरकार की क्या योजना है?

इस योजना को लेकर दिल्ली सरकार पूरी तरह गंभीर है। यह एक जनवरी से लागू कर दी जाएगी, लोगों को राशन लेने दुकान तक नहीं जाना पड़ेगा, उन्हें उनके घर पर ही राशन मिलेगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। वहीं, आने वाले समय में लोगों का सरकारी सुविधाओं के लिए कार्यालयों का चक्कर लगाना बिलकुल बंद हो जाएगा। सरकार जल्द ही विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए डोर स्टेप डिलिवरी के तहत खिड़की पर सेवाएं लेने का विकल्प बंद करने जा रही है। तब ये सेवाएं पूरी तरह से लोगों को उनके घर पर ही मिलने लगेंगी।

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शनिवार को विशेष बातचीत में कहा कि दलालों का बोलबाला समाप्त करने के लिए सरकारी सेवाओं में खिड़की का विकल्प बंद करने का कदम उठाया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाने पर एक-दो माह में लोगों को घर पर सेवा मिलनी शुरू हो जाएगी।

बता दें कि दिल्ली में लोगों को अगले साल से घर पर ही राशन मिलना शुरू हो जाएगा। अरविंद केजरीवाल सरकार एक जनवरी से घर-घर राशन योजना शुरू कर रही है। वहीं, डोर स्टेप डिलीवरी के तहत दी जाने वाली सेवाओं के लिए अब सरकारी कार्यालयों में खिड़की का विकल्प भी बंद कर दिया जाएगा। अब ये सभी सेवाएं लोगों को उनके घर पर ही उपलब्ध कराई जाएंगी। इस योजना के तहत दिल्लीवासी अपने घर पर 100 तरह की सेवाएं ले सकते हैं।

दिल्ली और मुंबई का देश की अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान है, लेकिन यहां अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में बहुत सी चुनौतियां हैं। कारोबार और उद्योग से जुड़े लोगों का भरोसा कायम नहीं हो पा रहा है, आप क्या कहेंगे?

यह बिलकुल सही बात है कि दिल्ली में अर्थव्यवस्था अकेले पटरी पर नहीं आ सकती। दूसरे राज्यों से माल आता है, दिल्ली से भी दूसरे राज्यों को जाता है। यदि देश के बाकी हिस्सों की अर्थव्यवस्था नहीं संभलेगी तो अकेले दिल्ली की भी नहीं संभल पाएगी। बाजार तो हमने खोल दिए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बाजार में खरीदार नहीं हैं, रेस्तरां खोल दिए हैं, लेकिन ग्राहक नहीं हैं। हालांकि, दिल्ली में बाकी देश की अपेक्षा लोगों में अब डर कम हुआ है।

दिल्ली की अर्थव्यवस्था कब तक पटरी पर आने की उम्मीद है, इसके लिए क्या कदम उठा रहे हैं, क्या केंद्र से भी मदद मांगेंगे?

पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। कोरोना के कारण दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है। इसे सुधारने के लिए हम कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थायी समाधान तभी निकल पाएगा, जब कोरोना का टीका आ जाएगा। अन्यथा लोग बहुत डरे हुए हैं, वे डरे न भी हों तो भी अभी बहुत समस्याएं हैं, जिनकी वजह से हालात सामान्य होने में समय लगेगा। पूरी बसें भरकर कैसे चलेंगी, मेट्रो कैसे चलेगी, बाजार पूरी तरह कैसे खुलेंगे। अभी साप्ताहिक बाजार खोलने की बात हुई तो उस पर बैठक में लंबी चर्चा हुई कि यदि साप्ताहिक बाजार खोलेंगे तो कोरोना बढ़ जाएगा। अभी फिलहाल इसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। टीका नहीं आने की वजह से हम चुप भी नहीं बैठ सकते हैं। सरकार होने के नाते हम सभी कदम उठा रहे हैं और सभी क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार से भी पांच हजार करोड़ रुपये मांगे हैं। इसके अलावा जीएसटी क्षतिपूर्ति की धनराशि देने के लिए भी केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है।

बेरोजगारी बड़ी समस्या बनी हुई है, इसे दूर करने के लिए सरकार की क्या योजना है?

हमने जॉब पोर्टल शुरू किया है, उसका अच्छा परिणाम सामने आया है। नौकरी देने और नौकरी मांगने वाले दोनों बड़ी संख्या में एक प्लेटफार्म पर आ गए हैं। कुछ ऐसे सेक्टर हैं, जो कोरोना से बहुत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यहां तक कि ऑटो, ग्रामीण सेवा इत्यादि वाले भी इसमें शामिल हैं। इन सबके साथ ही हमने निर्माण मजदूरों को भी पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद दी है।

सरकार के पास पैसा नहीं है, ऐसे में क्या जनता को मिल रही बिजली-पानी पर छूट को भी रोका जा सकता है?

जनता को मिलने वाली किसी भी छूट को नहीं रोका जाएगा। सरकार इनके लिए सब्सिडी देने में सक्षम है और ये योजनाएं पूर्व की भांति चलती रहेंगी। यदि सब्सिडी को ऐसे समय में कोई रोकने की बात करता है तो यह बिलकुल ठीक नहीं है। सब्सिडी नहीं रोकी जाएगी। यह समय तो लोगों की मदद करने का है।

दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए स्कूल-कॉलेज कब तक खोले जा सकते हैं? क्या इन्हें खोलना सुरक्षित होगा?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्कूल-कॉलेज खोलने का नतीजा अच्छा नहीं रहा है। इजरायल में मई के अंतिम सप्ताह में कोरोना संक्रमण की स्थिति काफी ठीक हो गई थी। मौतें होना बंद हो गया था और कोरोना के मामले दहाई अंक में आ गए थे। ऐसे में उन्होंने स्कूल खोल दिए और उसका बहुत बुरा नतीजा सामने आया। एक ही स्कूल में डेढ़ सौ बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए। इस पर उन्होंने सारे स्कूल फिर से बंद कर दिए। अमेरिका ने भी स्कूल खोले, वहां 97 हजार बच्चे कुछ दिनों में ही संक्रमित हो गए। हम अब जहां भी जाते हैं, अभिभावक पूछते हैं कि स्कूल कब खुलेंगे, मैं एक ही बात कहता हूं कि जब तक हम पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो जाएंगे, स्कूल-कॉलेज नहीं खोलेंगे, हमारे बच्चों की जान बहुमूल्य है।

बीते दिनों दिल्ली सरकार की ओर से नगर निगमों के स्कूलों का अधिग्रहण करने की बात आई थी। क्या ऐसी कोई योजना है? इस दिशा में क्या किया जा रहा है?

इसका हम अध्ययन कर रहे हैं। इसमें कई राजनीतिक दांवपेच हैं। तकनीकी रूप से अभी नहीं कहा जा सकता है कि कितना समय लगेगा, लेकिन सैद्धांतिक रूप से ऐसा होना चाहिए। हम नगर निगमों से कह रहे हैं कि स्कूल नहीं चला पा रहे हैं तो हमें दे दें। बच्चों का नुकसान हो रहा है, स्थिति यह है कि पांच पास करने वाले बच्चे किताब तक नहीं पढ़ पा रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शिक्षक वेतन को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसा क्यों है?

मुझे बताया गया है कि डीयू को पूरा पैसा दे दिया गया है। कुछ कॉलेजों के साथ गवर्निंग बॉडी को लेकर विवाद है। सरकार ने जो नाम भेजे थे, डीयू ने उस पर आगे कार्रवाई नहीं की है। डीयू प्रशासन को भी इस बारे में सोचना चाहिए। इसे लेकर जिद नहीं करनी चाहिए। सभी चाहते हैं कि शिक्षकों को समय से वेतन मिले, बच्चों की पढ़ाई ठीक से हो। डीयू प्रशासन और शिक्षा विभाग को बैठकर इस बारे में समाधान निकालना चाहिए।

दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए आप ने इलेक्टिक वाहन नीति को अधिसूचित कर दिया है। इसमें सब्सिडी आदि में काफी धनराशि खर्च होगी, क्या मौजूदा हालात में इसके लिए धनराशि दी जा सकेगी और समय पर लक्ष्य पूरा हो सकेगा?

दिल्ली सरकार ने जो इलेक्टिक वाहन नीति लागू की है, वह देश की ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सबसे प्रगतिशील नीति है। अभी दो दिन पहले ही केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह ने इसे सराहा है। हमारा सपना है कि पांच साल में इलेक्टिक वाहनों के मामले में दुनिया के नक्शे में दिल्ली का एक मुकाम हो। आज लोग इलेक्टिक वाहन के मामले में चीन का नाम लेते हैं, आने वाले सालों में दिल्ली का नाम लिया जाए। इसमें पैसे की कमी नहीं होगी, क्योंकि इसमें वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनाए गए फंड के पैसे का इस्तेमाल होगा, जिसमें काफी पैसा जमा है।

पूर्ण बहुमत से दिल्ली में आप की सरकार का दूसरा कार्यकाल है, मगर जलभराव की समस्या का समाधान नहीं निकल सका। क्या कारण है?

जब हमारी सरकार बनी तब यह समस्या बहुत ज्यादा थी। दो-ढाई साल तक हमने इस पर बहुत काम किया, नालों को साफ कराया। हमने यह सुनिश्चित किया था कि नालों की सफाई समय पर हो जाए और जहां-जहां यह भरता है, वहां पंप लगाए जाएं और पानी को आधे घंटे में निकाल दिया जाए। इस बार कोरोना की वजह से समय से नाले नहीं साफ हो पाए। यह समय राजनीति या प्रेस कान्फ्रेंस करने का नहीं है, जिसके नाले से समस्या हो वह साफ कर दे। लड़ाई-झगड़े से क्या होगा।

जलभराव की समस्या के समाधान के लिए सरकार के पास स्थायी समाधान क्या है?

इसका एक ही समाधान है कि दिल्ली के सभी छोटे-बड़े नाले-नालियां किसी एक एजेंसी को दे दिए जाएं। इनके सफाई की जिम्मेदारी या तो दिल्ली सरकार के पास हो या नगर निगम के पास। कहीं पर नगर निगम का नाला है तो कहीं दिल्ली सरकार का नाला है। इन नालों को पूरा रीडिजाइन करना पड़ेगा। अभी यह स्थिति है कि कई जगह नाले आपस में जुड़े तक नहीं हैं।

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