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    रात में भी तीसरी आंख की नजर में रहेंगी दिल्ली की सड़कें, लगेंगे 56 हजार नाइट विजन बुलेट कैमरे; क्या होगा फायदा?

    Updated: Mon, 25 Dec 2023 12:48 PM (IST)

    इन कैमरों पर हवाओं के थपेड़ों और बारिश का कोई असर नहीं होगा और अंधेरे में भी तस्वीर आसानी से कैप्चर हो सकेगी। यह योजना अगस्त 2022 में उस समय बनी थी जब मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री थे और उनके पास यह विभाग था। अब पीडब्ल्यूडी विभाग की मंत्री आतिशी ने इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए अधिकारियों से कहा है।

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    दिल्ली की सड़कों पर लगेंगे 56 हजार नाइट विजन बुलेट कैमरे (Image Source- ANI/File)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों की निगरानी के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) करीब 56 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाएगा। इससे पीडब्ल्यूडी के तहत आने वाली 1400 किमी सड़कों की टूट-फूट, गड्ढों आदि से लेकर सुरक्षा जैसे मामलों में मदद मिलेगी। सभी नाइट विजन बुलेट सीसीटीवी कैमरे होंगे।

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    अंधेरे में भी आसानी से कैप्चर होंगी तस्वीरें

    इन कैमरों पर हवाओं के थपेड़ों और बारिश का कोई असर नहीं होगा और अंधेरे में भी तस्वीर आसानी से कैप्चर हो सकेगी। इन कैमरों को लगाने और सात साल तक रखरखाव पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यह योजना अगस्त 2022 में उस समय बनी थी जब मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री थे और उनके पास यह विभाग था।

    इससे क्या फायदा होगा?

    अब विभाग की मंत्री आतिशी ने इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए अधिकारियों से कहा है। योजना के तहत 1400 किमी रोड के दोनों ओर 100-100 मीटर की दूरी पर दो-दो सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं। इसके लिए विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। कैमरों को लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है।

    दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इससे रोड सेफ्टी के साथ सड़कों के नियमित रखरखाव को लेकर मदद मिलेगी। सड़कों पर मलबा फेंकने वालों पर भी अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। इन कैमरों की मानीटरिंग के लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया जाएगा।

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    क्या हैं बुलेट कैमरा और इसकी विशेषताएं?

    यह कैमरा ट्यूब की तरह होता है। इसमें सिल्वर या एल्युमिनियम शेप के कवर में लेंस होते हैं, जिससे रिकॉर्डिंग यूनिट जुड़ा रहता है। ये रिकॉर्डिंग के लिए बेहतर होते हैं। नाइट विजन बुलेट कैमरे 4 मेगा पिक्सल के होंगे। इससे 50 मीटर दूर की तस्वीर भी आसानी से जूम कर देखी जा सकती है और जूम करने के दौरान तस्वीर फटने की गुंजाइश नहीं रहती।

    • कैमरों में चौबीसों घंटे रिकॉर्डिंग और सेव करने की सुविधा होगी।
    • जरूरत पड़ने पर कभी भी पुराने फुटेज देखे जा सकते हैं।
    • इससे सड़कों की नियमित रखरखाव में जवाबदेही तय करने में मदद मिलेगी।
    • कैमरों के रखरखाव की जिम्मेदारी इसे लगाने वाली कंपनी को दी जाएगी।
    • किसी भी कैमरे में खराबी आने पर स्थानीय इंचार्ज, मेंटिनेंस कंपनी व लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय में स्थापित होने वाले कंट्रोल रूम को चंद मिनटों में जानकारी मिल जाएगी।
    • बिजली की आपूर्ति बाधित होने पर भी एक घंटे तक कैमरे काम करते रहेंगे।
    • बुलेट कैमरे अपने आसपास के दायरे में घटने वाली घटनाओं को कैप्चर करेंगे।
    • इससे आपराधिक मामलों को सुलझाने में सुरक्षा एजेंसियों को भी मदद मिलेगी।