Delhi Metro Yellow Line Service: येलो लाइन पर निजी हाथों में मेट्रो का परिचालन, जानें DMRC ने क्यों उठाया यह कदम
Delhi Metro Yellow Line Service डीएमआरसी परिचालन पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए लंबे समय से आउटसोर्सिंग की तैयारियों में जुटा हुआ था। दिल्ली मेट्रो के कर्मचारियों ने इसका विरोध भी किया था। इसके बावजूद येलो लाइन परिचालन के लिए निजी एजेंसी की नियुक्ति कर दी गई।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने पहली बार येलो लाइन पर मेट्रो के परिचालन की जिम्मेदारी अब निजी एजेंसी को सौंप दी है। एजेंसी द्वारा नियुक्त 70 चालकों ने प्रशिक्षण पूरा करने के बाद मेट्रो के परिचालन की जिम्मेदारी भी संभाल ली है। बताया जा रहा है कि आर्थिक संकट के कारण डीएमआरसी ने यह कदम उठाया है। फिलहाल येलो लाइन पर तीन साल के लिए मेट्रो परिचालन की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को सौंपी गई है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से दिल्ली मेट्रो के अन्य सभी लाइनों पर परिचालन की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी है।
डीएमआरसी परिचालन पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए लंबे समय से आउटसोर्सिंग की तैयारियों में जुटा हुआ था। दिल्ली मेट्रो के कर्मचारियों ने इसका विरोध भी किया था। इसके बावजूद येलो लाइन परिचालन के लिए निजी एजेंसी की नियुक्ति कर दी गई। उक्त निजी एजेंसी ने अब तक 153 मेट्रो ट्रेन आपरेटरों (चालक) की नियुक्ति की है। डीएमआरसी व निजी एजेंसी के बीच हुए समझौते के अनुसार चालकों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी दिल्ली मेट्रो की होगी।
शास्त्री पार्क स्थित दिल्ली मेट्रो रेल एकेडमी में 70 चालकों ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। इसके अलावा 83 चालकों का प्रशिक्षण अभी चल रहा है। समयपुर बादली से हुडा सिटी सेंटर से येलो लाइन की कुल लंबाई 49.31 किलोमीटर है। डीएमआरसी का कहना है कि निजी एजेंसी द्वारा नियुक्त चालक विभाग की निगरानी में ही मेट्रो का परिचालन करेंगे। निजी एजेंसी का दायित्व सिर्फ चालक उपलब्ध कराना है। ट्रेनों की रखरखाव की जिम्मेदारी डीएमआरसी के पास ही रहेगी।
मेट्रो स्टेशनों की साफ सफाई व टोकन बिक्री की जिम्मेदारी पहले से निजी एजेंसियों के पास रही है। पहली बार दिल्ली मेट्रो के किसी लाइन परिचालन की जिम्मेदारी निजी कंपनी को दी गई है। इससे डीएमआरसी को स्थायी तौर पर ट्रेन चालकों की नियुक्ति नहीं करनी पड़ेगी। मौजूदा समय में दिल्ली मेट्रो की 10 लाइनें है, जिसका कुल नेटवर्क 348 किलोमीटर है और 253 मेट्रो स्टेशन हैं। इन सभी 10 लाइनों पर परिचालन की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को सौंपी जाएगी।
कोरोना काल में बढ़ा मेट्रो का घाटा, केंद्र सरकार ने चुकाया लोन
कोरोना के दौर में मेट्रो का घाटा बढ़ गया है। क्योंकि लाकडाउन में काफी दिनों तक मेट्रो का परिचालन बंद रहा था। अब भी मेट्रो का परिचालन करीब 10 फीसद क्षमता के साथ ही हो रहा है। इस वजह से यात्रियों को सफर में परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। वहीं मेट्रो का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में मेट्रो परिचालन, फीडर बसों व संपत्तियों के किराये से डीएमआरसी को महज 895.88 करोड़ राजस्व मिला। जबकि इसके पिछले साल डीएमआरसी की कमाई 3897.29 करोड़ हुई थी। इसके मुकाबले इस बार 3001.40 करोड़ की आमदनी कम हुई है। हालांकि, मेट्रो को केंद्र सरकार से करीब 1242.28 करोड़ की सहायता मिली। केंद्र सरकार ने जापान की एजेंसी का लोन चुकाने के लिए 808.70 करोड़ व लोन का ब्याज चुकाने के लिए 433.85 करोड़ भुगतान किया। फिर भी डीएमआरसी को 1784 करोड़ का नुकसान हुआ है।
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