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    Delhi News: किसी भी साइबर हमले से अभेद्य रहेगी राजधानी की बिजली व्यवस्था: आशीष सूद

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 09:52 PM (IST)

    चंडीगढ़ में ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में साइबर सुरक्षा और पावर आइलैंडिंग व्यवस्था को मजबूत करने पर चर्चा हुई। दिल्ली में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए नेटवर्क को मजबूत करने की बात कही गई। दिल्ली में पहले से आइलैंडिंग की व्यवस्था की गई है जिसे और भी बेहतर बनाया जाएगा।

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    किसी भी साइबर हमले से अभेद्य रहेगी राजधानी की बिजली व्यवस्था

    राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्लीः पिछले कुछ वर्षों में साइबर हमले बढ़े हैं। हैकर सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों की वेबसाइट व पोर्टल को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं।

    पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा भारत पर 15 लाख से अधिक साइबर हमले किए थे, जिन्हें भारत के मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र ने नाकाम कर दिया।

    इसे देखते हुए चंडीगढ़ में आयोजित उत्तरी क्षेत्र के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में साइबर सुरक्षा उपायों और आइलैंडिंग व्यवस्था पर चर्चा हुई। दिल्ली में आइलैंडिंग की व्यवस्था पहले से है।

    दिल्ली के ऊर्जा मंत्री आशीष सूद भी सम्मेलन में हुए शामिल

    ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में दिल्ली के ऊर्जा मंत्री आशीष सूद भी शामिल हुए। उन्होंने कहा, भविष्य की आवश्यकता व चुनौतियों पर चर्चा हुई।

    राजधानी में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए नेटवर्क को मजबूत करने के साथ ही अन्य तैयारी की जाएगी। साइबर सुरक्षा तंत्र और यहां की पावर आइलैंडिंग व्यवस्था की भी विवेचना की गई। इसे अभेद्य बनाने को आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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    2012 में उत्तरी ग्रिड फेल होने से दिल्ली में छाया था संकट

    30 व 31 जुलाई, 2012 को उत्तरी ग्रिड के फेल होने से दिल्ली सहित उत्तर भारत में बिजली संकट छा गया था। दिल्ली में मेट्रो और रेल व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई थी।

    पूरी दिल्ली में बिजली न होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। उसके बाद राजधानी को इस तरह के संकट से बचाने के लिए बिजली आइलैंडिंग की व्यवस्था की गई है।

    जानिए बिजली के मामले में आइलैंडिंग क्या होता है

    बिजली के मामले में आइलैंडिंग का मतलब होता है। किसी खास क्षेत्र को ग्रिड से अलग कर देना। दिल्ली के साथ ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ उत्तरी ग्रिड से जुड़े हैं।

    इस ग्रिड के फेल होने पर दिल्ली इससे अलग हो जाएगी और स्थानीय संयंत्रों से बिजली आपूर्ति होती रहेगी। दिल्ली के साथ ही दादरी और झज्जर बिजली संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली भी ग्रिड में जाने के बजाय राजधानी के फीडर में पहुंचने लगेगी।

    दिल्ली के एक हिस्से में खराबी आई तो बाकी तीन में होती रहेगी आपूर्ति 

    इससे दिल्ली में लगभग चार हजार मेगावाट तक बिजली उपलब्ध रहेगी। पूरी दिल्ली में कभी भी एक साथ बिजली गुल नहीं हो इसके लिए बिजली नेटवर्क को चार हिस्सों में बांटा गया है।

    एक में खराबी आने पर अन्य तीन हिस्सों में बिजली आपूर्ति होती रहेगी। आपात स्थिति के लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली पर भी काम चल रहा है।

    बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली का हो चुका है उद्घाटन

    पिछले दिनों किलोकरी में दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी 20 मेगावाट क्षमता की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली का उद्घाटन हुआ है।

    रोहिणी में भी बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली उपलब्ध है। अन्य स्थानों पर भी इस तरह की व्यवस्था करने की योजना तैयार हो रही है।

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