Delhi News: सफदरजंग अस्पताल में बगैर चीरा लगाए मस्तिष्क से खून का थक्का निकालना हुआ संभव
सफदरजंग अस्पताल में इंटरवेंशनल रेडियोलाजी की तकनीक से लकवा के मरीजों का इलाज शुरू हो गया है। साथ ही ओपीडी भी शुरू हो गई है। इस तकनीक के जरिए अब तक विभिन्न बीमारियों से पीड़ित करीब दो हजार मरीजों का इलाज हो चुका है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। रेडियोलाजी विभाग का नाम सुनते ही एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन इत्यादि जांच की छवि दिमाग में आने लगती है। लेकिन, इलाज में सुपर स्पेशियलिटी के बढ़ते प्रभाव से रेडियोलाजी के डाक्टरों की भूमिका अब सिर्फ जांच तक सीमित नहीं रही है। नसों में ब्लाकेज, शरीर के किसी हिस्से में नसों से आंतरिक रक्त स्राव व खून थक्का जैसी बीमारियों के साथ पहुंचने वाले मरीजों की जिंदगी बचाने में अब इंटरवेंशनल रेडियोलाजी की तकनीक अहम साबित होने लगी है।
सफदरजंग अस्पताल में भी इंटरवेंशनल रेडियोलाजी की तकनीक का हो रहा उपयोग
एम्स के अलावा केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल में भी इस तकनीक से विभिन्न बीमारियों के इलाज की सुविधा है। अस्पताल के डाक्टर कहते हैं कि लकवा (स्ट्रोक) होने पर मरीज यदि समय पर इलाज के लिए पहुंचें तो सफदरजंग अस्पताल में भी बगैर चीरा लगाए मस्तिष्क से खून का थक्का निकालना संभव है।
इस तकनीक से सफदरजंग अस्पताल में स्ट्रोक के कई मरीजों का इलाज भी हो चुका है। इसके अलावा नसों के सिकुड़ने, नाक में ट्यूमर, लिवर कैंसर, प्रसव के बाद रक्त स्राव को रोकने सहित कई अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को बगैर चीरा लगाए इलाज होता है। पहले मरीज विभिन्न विभागों व इमरजेंसी से स्थानांतरित करके रेडियोलाजी में भेजे जाते थे। अब रेडियोलाजी की ओपीडी भी शुरू कर दी गई है। सप्ताह में हर दिन इसकी ओपीडी होती है। इसलिए मरीज अब सीधे भी रेडियोलाजी की ओपीडी में पहुंच सकते हैं।
वर्ष 2018 में 500 बेड का नया इमरजेंसी ब्लाक हुआ था शुरू
सफदरजंग अस्पताल में वर्ष 2018 में 500 बेड का नया इमरजेंसी ब्लाक शुरू होने पर इसमें डीएसए (डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी मशीन) लगाई गई थी। इस मशीन के जरिये डाक्टर पैर की नसों के माध्यम से पतला कैथेटर डालकर शरीर के प्रभावित हिस्से के ब्लाक व खून के थक्के को हटा देते हैं।
अस्पताल के रेडियोलाजी विभाग के वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर अनुज अग्रवाल ने कहा कि इस तकनीक से अब तक विभिन्न बीमारियों से पीड़ित करीब दो हजार मरीजों का इलाज हो चुका है।
Video: Weather Update: Delhi-NCR के कई इलाकों में कब तक होगी बारिश? IMD ने जारी किया Alert
हाल ही में लकवा का भी इस तकनीक से इलाज शुरू किया गया है। लकवा होने पर मरीज यदि 24 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाएं और सीटी स्कैन हो जाए तो पैर की धमनी से कैथेटर के जरिये तार डालकर खून के थक्के को निकाल लिया जाता है। इससे मरीज ठीक हो जाते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।