Report: 2047 तक देश की अर्थव्यवस्था के 34.7 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान, सेमीकंडक्टर बनाने में हासिल करेगा महारथ
विश्व बैंक समेत कई अन्य वैश्विक व स्वदेशी संस्थाओं द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सुनहरी तस्वीर रखे जाने के बीच उद्यमी संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHD Chamber of Commerce and Industry) ने 2047 तक देश की अर्थव्यवस्था के 34.7 ट्रिलियन डालर होने का अनुमान लगाया है। विकसित अर्थव्यवस्था में तब 12 प्रतिशत योगदान कृषि 34 प्रतिशत उद्योग तथा 54 प्रतिशत का योगदान सेवा क्षेत्र का होगा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। विश्व बैंक समेत कई अन्य वैश्विक व स्वदेशी संस्थाओं द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सुनहरी तस्वीर रखे जाने के बीच उद्यमी संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHD Chamber of Commerce and Industry) ने 2047 तक देश की अर्थव्यवस्था के 34.7 ट्रिलियन डालर होने का अनुमान लगाया है।
उसके अनुसार, उक्त विकसित अर्थव्यवस्था में तब 12 प्रतिशत योगदान कृषि, 34 प्रतिशत उद्योग तथा 54 प्रतिशत का योगदान सेवा क्षेत्र का होगा। वर्ष 2047 तक जहां कृषि पर अर्थव्यवस्था की निर्भरता कम होगी तो उद्योग की भागेदारी बढ़ेगी। अभी कृषि का हिस्सा 20 व उद्योग की भागेदारी 26 प्रतिशत है। जबकि उत्पादन भी 16 प्रतिशत से बढ़कर 26 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।
सेमीकंडक्टर में करेगा तरक्की
पीएचडी के रिसर्च ब्यूरो द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट विकसित भारत 2047 भविष्य का विकास पथ के अनुसार, तब सेमीकंडक्टर व हरित ऊर्जा के मामले में देश विश्व में अग्रणी स्थिति में होगा। जबकि देश का निर्यात बढ़कर 10 ट्रिलियन डॉलर तक हो जाएगा।
इस वर्ष इतनी रह सकती है जीडीपी
वैश्विक नवाचार के मामले में शीर्ष पांच देशों में शामिल होगा। इसके साथ ही पीएचडी के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. एसपी शर्मा ने इस वर्ष देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 8.2 से 8.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। उनके अनुसार, देश के विकास की रफ्तार आगे भी तेज गति से जारी रहेगी।
2030 तक स्टार्टअप में देश दूसरे नंबर पर होगा
कुछ क्षेत्र ऐसे होंगे, जिसमें हम विश्व में अग्रणी होंगे। जैसे, वर्ष 2030 तक स्टार्टअप के मामले में देश विश्व में दूसरे स्थान पर आ जाएगा। जबकि डिजिटल तकनीक के साथ एआइ के उपयोग मामले में शीर्ष पांच में स्थान बनाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार बिजली, माल ढुलाई, जमीन की कीमत, पारिश्रमिक, कौशल कारीगर समेत अन्य मामलों में लागत घटेगी। जबकि कृषि तथा कृषि प्रसंस्करण के क्षेत्र में सुधार आएगा।