Uphaar Cinema Fire Tragedy के दोषी सुशील अंसल के खिलाफ पासपोर्ट धोखाधड़ी मामले में अब AVUT करेगी मदद
दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड के दोषी सुशील अंसल के खिलाफ पासपोर्ट धोखाधड़ी मामले में एवीयूटी को अभियोजन सहायता की अनुमति दी है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कि जिस संगठन के प्रयास से मामला दर्ज हुआ उसे मदद का अधिकार है। एवीयूटी की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने अभियोजन में शामिल होने की अनुमति मांगी थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने उपहार सिनेमा अग्निकांड के दोषी सुशील अंसल पर दर्ज पासपोर्ट धोखाधड़ी के मामले में एसोसिएशन ऑफ द विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रेजेडी (AVUT) को अभियोजन की सहायता करने की अनुमति दे दी है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीया अग्रवाल ने कहा कि जिस संगठन के प्रयास से यह मामला दर्ज हुआ, उसे अभियोजन की मदद का अधिकार मिलना चाहिए और कानून में इसकी कोई मनाही नहीं है।
एवीयूटी की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति, जिन्होंने इस अग्निकांड में अपने दो बच्चों को खोया था, ने अदालत में आवेदन देकर जांच और आरोपपत्र पर आपत्तियां जताई थीं। साथ ही अभियोजन में शामिल होने की अनुमति मांगी थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत को बताया कि यह केस एवीयूटी द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका पर दिए गए आदेश के तहत दर्ज हुआ था, इसलिए संगठन को मूल पक्षकार मानते हुए उन्हें भागीदारी का अधिकार दिया जाना चाहिए।
ये है मामला?
व्यवसायी सुशील अंसल के खिलाफ वर्ष 2019 में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया था। अंसल पर आरोप है कि उसने राष्ट्रीयता से संबंधित जानकारी छिपाकर पासपोर्ट प्राप्त किया।
प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 177 (जानबूझकर झूठी जानकारी देना), धारा 181 (शपथ पर झूठा बयान), धारा 192 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), धारा 197 (झूठा प्रमाण पत्र जारी करना), और धारा 420 (धोखाधड़ी) भी जोड़ी गईं।
दिल्ली पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, अंसल ने पासपोर्ट के नवीनीकरण के समय शपथ पर यह झूठा बयान दिया कि उनके खिलाफ किसी अदालत ने कोई आपराधिक सजा नहीं सुनाई।
हालांकि, उन्होंने 14 अगस्त 2017 को स्वेच्छा से अपना पासपोर्ट सरेंडर कर दिया था, क्योंकि उन्हें यह अंदेशा था कि उनके खिलाफ सख्त आदेश आ सकता हैं।
उपहार सिनेमा अग्निकांड
13 जून 1997 को दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा हाल में फिल्म बार्डर के दौरान आग लग गई थी, जिसमें 59 लोगों की जान चली गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस त्रासदी में दोषी पाए गए सुशील और गोपाल अंसल को वर्षों की कानूनी प्रक्रिया के बाद सजा हुई।
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