दिल्ली पंचायत संघ ने सरकार से की अनोखी मांग, चाह रहे प्रवेशद्वारों पर गौरवशाली इतिहास पढ़वाना
दिल्ली पंचायत संघ ने सरकार से मांग की है कि राजधानी के गांवों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को पहचाना जाए। पालम गांव के लाल किले के निर्माण में योगदान और रायसीना जैसे गांवों के संसद भवन क्षेत्र में योगदान को सम्मान देने की बात कही गई है। संघ ने कर्तव्य पथ पर एक स्मृति शिलापट लगाने और एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी सुझाव दिया है।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। दिल्ली पंचायत संघ ने राजधानी के गांवों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक योगदान को पहचान दिलाने के लिए सरकार से विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की है। पंचायत संघ का कहना है कि दिल्ली के कई गांव, विशेषकर पालम, ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे हैं। पालम सहित दिल्ली के सभी गांवों के प्रवेशद्वारों पर शिलालेख लगवाए जाएं, जिनमें उनके गौरवशाली इतिहास, वंशावली और सांस्कृतिक परंपराएं दर्ज हों। उन्होंने कहा, “यह हमारी साझा विरासत है जिसे अब उपेक्षित नहीं रखा जाना चाहिए।
पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने कहा...
''लोक परंपराओं और सांस्कृतिक स्मृतियों के अनुसार पालम गांव के लोगों ने लाल किले के निर्माण की नींव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पालम गांव के पांच प्रमुख व्यक्ति उस समय निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल थे, जिसकी पुष्टि बुजुर्गों, इतिहास प्रेमियों और सांस्कृतिक परंपराओं से होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिस भूमि पर आज संसद और अन्य सर्वोच्च संस्थान स्थित हैं, वहां के मूल गांवों रायसीना, मालचा, कुशक आदि के ऐतिहासिक योगदान को भी मान्यता दी जाए।''
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सम्मान से याद करे भावी पीढ़ी
उन्होंने उपर्युक्त बताये गए तथ्यों के आधार पर कहा कि ग्रामीणों की मांग है कि इसके लिए कर्तव्य पथ पर एक स्मृति शिलापट लगाया जाए ताकि इन गांवों का नाम आने वाली पीढ़ियों के सामने सम्मानपूर्वक जीवित रह सके।
पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने कहा कि पालम गांव के ऐतिहासिक योगदान को सम्मान देने के लिए लाल किला परिसर या उसके समीप एक स्मृति चिह्न या पट्टिका स्थापित की जानी चाहिए।
यादव ने कहा कि सरकार एक विशेषज्ञ समिति गठित करे जो दिल्ली के गांवों के ऐतिहासिक योगदान का अध्ययन कर प्रमाणिक रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
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