जनकपुरी के दिल्ली हाट में न शिल्पकारों की हलचल, न ग्राहकों की चहलकदमी; पसरा रहता है तो केवल सन्नाटा
पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी में स्थित दिल्ली हाट पर्यटकों की कमी के कारण वीरान है। 120 करोड़ की लागत से बने इस हाट से पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फूड कोर्ट में भी कुछ ही स्टॉल खुले हैं। पहले यहां आयोजित होने वाले महोत्सवों से रौनक रहती थी लेकिन पिछले दो वर्षों से महोत्सव नहीं होने के कारण हाट अपनी पहचान खो रहा है।

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। देशी व विदेशी पर्यटकों के पसंदीदा आइएनए स्थित दिल्ली हाट का करीब दो वर्ष पूर्व जब मेकओवर किया जा रहा था, तब लोगों को उम्मीद थी कि पीतमपुरा व जनकपुरी स्थित अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध दिल्ली हाट को पर्यटकों के बीच लोकप्रियता मिले, इसकी कोशिश होगी, लेकिन अफसोस कि बात है कि ऐसा नहीं हुआ औ इससे भी बड़ी बात है कि ऐसा हाल फिलहाल होगा, यह भी नजर नहीं आ रहा है।
उधर दिल्ली पर्यटन के अधिकारियों का कहना है कि आइएनए जैसा ही जनकपुरी व पीतमपुरा का दिल्ली हाट भी लोकप्रिय बने, इसके लिए प्रयास चल रहे हैं। लेकिन यह पूछने पर कि क्या प्रयास चल रहे हैं, अधिकारियों के पास इसका स्पष्ट उत्तर नहीं था।
जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट को पर्यटकों के लिए वर्ष 2014 में खोला गया था। करीब 120 करोड़ की लागत से बने इस हाट को लेकर तब सभी ने यह उम्मीद जाहिर की थी, इससे न सिर्फ जनकपुरी बल्कि पूरे पश्चिमी दिल्ली में पर्यटन का द्वार खुलेगा। यह जगह दिल्ली आने वाले देशी विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। आज पूरे हाट परिसर में वीरानगी का आलम है।
इक्का दुक्का स्टाल छोड़ दें तो सभी स्टाल बंद हैं। न पर्यटक न कारीगर, यहां किसी की कोई हलचल नजर नहीं आती है। कुछ लोग जो यहां नजर भी आते हैं, वे अक्सर आते हैं, क्योंकि उन्हें यहां की वीरानगी में फुर्सत के दो पल मिल जाते हैं। कोई खरीदार या शिल्पकला में रुचि रखने वाले लोग जिन्हें यहां की स्थिति पता है, वे यहां बिल्कुल नहीं आते हैं। क्योंकि उन्हें पहले से पता होता है कि यहां आने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
फूड कोर्ट पर नहीं मिलता पूरे भारत का स्वाद
दिल्ली हाट के फूड कोर्ट को विशेष तौर पर बनाया गया था। एक राज्य एक स्टाल की अवधारणा पर इसे विकसित किया गया था। सोच यह थी कि आपको जिस राज्य का खानपान पसंद हो या जिस राज्य के खानपान का स्वाद लेना चाहें आपको उस राज्य के स्टाल पर वह स्वाद मिले। लेकिन जब पर्यटक ही नहीं तो स्टाल का क्या फायदा। 29 स्टाल में चार या पांच स्टाल ही आपको खुले नजर आएंगे। पूरे फूड स्टाल पर वीरानगी पसरी रहती है।
आखिर क्यों है ऐसा हाल
दिल्ली हाट के उदघाटन के कुछ समय बाद एक स्थिति आई जब लोगों को लगा कि यह हाट चल पड़ेगा। यह स्थिति यहां समय समय पर आयोजित होने वाले महोत्सव के कारण बनी। आम महोत्सव तो एक तरह से जनकपुरी दिल्ली हाट की पहचान बन गई थी। आम के बाद तीज महोत्सव का भी लोगों को इंतजार रहता था। दोनों के पहले शर्बत मेला भी यहां की पहचान बनती जा रही थी।
बागवानी महोत्सव भी यहां धीरे धीरे लोकप्रियता बटोर रहा था। लेकिन पिछले दो वर्षों से यहां महोत्सव आयोजित नहीं हो रहे। इससे यह हाट अपनी पहचान खोता चला जा रहा है। यहां के कुछ दुकानदारों का कहना है कि यदि महोत्सव समय समय पर आयोजित होते रहे तो यहां शिल्पकारों के बीच स्टाल को लेकर रुझान बढ़ेगा। क्योंकि उन्हें अच्छे काराेबार की उम्मीद होगी। यदि स्टाल चलेंगे तो ग्राहकों की यहां चहलकदमी बढ़ेगी। लेकिन यह सब तभी होगा, जब इसकी पहल दिल्ली पर्यटन अपने स्तर पर करेगा।
दिल्ली हाट, एक नजर में
आठ एकड़ जमीन पर फैला जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट में 100 क्राफ्ट स्टाल, 74 ओपन प्लेटफार्म स्टाल व 46 एयरकंडिशन युक्त स्टाल है। जहां तक फूड स्टाल की बात है उसमें 29 स्टाल भारत के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक भोजन को परोसने के लिए बनाई गई थी। यहां सेमिनार, प्रदर्शनी व अन्य कार्यक्रमों के लिए 960 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में फैला हाल बना है। इसके अलावा हाट में 800 लोगों के बैठने की क्षमता युक्त आडिटोरियम भी बना हुआ है। 820 लोगों की क्षमता युक्त एंफीथिएटर यहां आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा यहां ग्राउंड व बेसमेंट में कुल 295 कार, तीन बस व 120 दो पहिया वाहनों की पार्किंग के लिए स्थान है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।