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    मुकुल ने किया ऐसा कमाल, घर के कबाड़ का हुआ डिजिटल समाधान; जानिए कैसे बने बड़े बिजनेसमैन

    स्क्रैप अंकल के संस्थापक मुकुल छाबड़ा ने कबाड़ बेचने की पारंपरिक प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाकर क्रांति ला दी है। उनके एप से अब घर बैठे कबाड़ बेचना आसान और पारदर्शी हो गया है। जानिए कैसे मुकुल ने इस स्टार्टअप को सफल बनाया और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई। साथ ही इस रिपोर्ट से आपको बड़े बिजनेसमैन बनने की प्रेरणा भी मिलेगी।

    By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 08 Jan 2025 12:19 PM (IST)
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    मुकुल छाबड़ा स्क्रैप अंकल एप के संस्थापक हैं। जागरण फोटो

    शालिनी देवरानी, दक्षिणी दिल्ली। “अरे नहीं भैया, इसका रेट तो सही लगाओ। भैया, वजन ठीक से किया है या नहीं? और ये टीवी, भले पुराना है, लेकिन खराब तो नहीं, इसके तो सही पैसे बनते हैं।” ऐसी बातें अक्सर हम सभी ने कबाड़ बेचते समय खुद कही होंगी या घर के बड़े-बुजुर्गों से सुनी होंगी। हर घर की इस आम समस्या का समाधान एक युवा उद्यमी ने अपनी सोच के बूते निकाला है। 

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    “आनलाइन कबाड़ीवाला” के नाम से मशहूर मुकुल छाबड़ा स्क्रैप अंकल एप के संस्थापक हैं। उनके इस नवाचार ने न केवल लोगों को कबाड़ बेचने की झंझटों से मुक्ति दिलाई है, बल्कि इसे आसान और पारदर्शी बना दिया है। उनके प्रयासों की बदौलत एनसीआर से अभी तक एक लाख 25 हजार पिकअप कर करीब डेढ़ करोड़ किलो कबाड़ का व्यवस्थित निपटारा कर चुके हैं। 

    तकनीक से बनाया जा सकता है सफल 

    मुकुल की कहानी महज एक स्टार्टअप की सफलता नहीं, बल्कि एक नए सोच, दृढ़ संकल्प और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का बेहतरीन उदाहरण भी है, जो बताती है कि एक साधारण विचार को कैसे दूरदृष्टि, मेहनत और तकनीक से सफल बनाया जा सकता है। ओखला फेज-3 स्थित इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इनफार्मेशन एंड टेक्नोलाजी (आईआईआइटी) से बी.टेक-ईसीई के दौरान साल 2019 में मुकुल ने ये एप लांच किया और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से 25 लाख की ग्रांट पाने में सफलता पाई। 

    स्टार्टअप कंपनियां छात्रों को दे रही हैं नौकरियां 

    शार्क टैंक इंडिया सीजन-2 का हिस्सा भी बने और जज अमित जैन से 60 लाख की फंडिंग पाई। मुकुल बताते हैं कि कैंपस प्लेसमेंट के दौरान देखा कि ज्यादातर स्टार्टअप कंपनियां छात्रों को नौकरियां दे रही हैं। ज्यादा जानकारी जुटाई तो पाया कि ज्यादातर कंपनियों के संस्थापक युवा हैं, तभी स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया, लेकिन ये सब आसान नहीं था। 

    स्टार्टअप की शुरुआत में कालकाजी में घरों-पार्कों में पंफलेट बांटे और पापा की गाड़ी से खुद घरों से कबाड़ उठाया। इस व्यवसाय के हर पहलू को जानने के लिए फ्लैट में कबाड़ी वालों के साथ रहे। उस दौरान घरवाले थोड़ा डरे थे, लेकिन पूरा सहयोग दिया। आज बड़ा कारोबार स्थापित कर चुके मुकुल कुल 42 मिनी इलेक्ट्रिक ट्रकों से पिकअप करा रहे हैं। कालकाजी निवासी मुकुल मूलरूप से सोनीपत के रहने वाले हैं और इस सफलता का श्रेय पिता केवल कृष्ण और मां पूनम रानी के सहयोग को देते हैं। 

    एक क्लिक पर कबाड़ बेचने की सुविधा दी 

    कबाड़ से जुड़े पारंपरिक तरीकों को एक डिजिटल प्लेटफार्म में बदलकर मुकुल ने न केवल घरों को कबाड़ मुक्त किया, बल्कि इसे एक प्रक्रिया भी बना दिया। स्क्रैप अंकल एप एक क्लिक पर कबाड़ बेचने की सेवा देती है। एप डाउनलोड कर सहूलियत के मुताबिक, पिकअप शेड्यूल कर सकते हैं। सत्यापित कलेक्शन एजेंट स्क्रैप उठाने घर आएंगे। ये कबाड़ ओखला फेस-1 और तुगलगाबाद एक्सटेंशन स्थित गोदामों में पहुंचाकर इसे संबंधित रिसाइक्लिंग यूनिट को भेजा जाता है। एप पर कागज, गत्ते, प्लास्टिक, धातु, अखबार, लोहा, बर्तन, एल्यूमीनियम सहित एसी, वाशिंग मशीन, फ्रीज पुराने वाहन जैसे सामान लेते हैं। इंस्टाग्राम पर स्क्रैप अंकल के फोलोअर्स की संख्या एक लाख से ज्यादा है। 

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    दिल्ली और हरियाणा सरकार ने लिए सुझाव 

    हाल में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मुकुल को मुलाकात के लिए बुलाया था। मुकुल ने सरकार को युवाओं के लिए स्टार्टअप शुरू करने के तरीकों, नीतियों के साथ ही प्रदेश में प्रदूषण से निजात पाने व कबाड़ के निपटारे पर सुझाव दिए हैं। इससे पहले दिल्ली सरकार के बिजनेस ब्लास्टर्स सीनियर्स कार्यक्रम के साथ जुड़े। युवा उद्यमियों को प्रेरित करने के साथ ही मुख्यमंत्री आतिशी को ऐसे स्टार्टअप आइडिया सुझाए, जो दिल्ली में प्रदूषण जैसी समस्या के समाधान के लिए जरूरी हैं।

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    कबाड़ी वालों को ग्रीन सुपरहीरो बनाकर दी पहचान 

    मुकुल बताते हैं कि 125 लोगों की टीम हैं, जिसमें ऐसे 100 लोग हैं, जो पहले कबाड़ीवाले थे और आज उन्हें ग्रीन सुपरहीरो का दर्जा दिया गया है। कई कबाड़ी वाले आज बतौर मैनेजर कार्यरत हैं। खास ये है कि ये सभी लोग वेरिफाइड हैं। उन्हें बकायदा एक से दो सप्ताह की ट्रेनिंग देकर सामान्य बोलचाल के अंग्रेजी शब्दों के साथ पहनावे, बातचीत और खुद की सुरक्षा तक की जानकारी देते हैं। यूनिफार्म, जूते-जुराबें सहित तराजू, मास्क और दस्ताने जैसे सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराते हैं। मुकुल अब ये एप बेंगलुरु और मुंबई के लिए लांच करने वाले हैं।