पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने की प्रक्रिया शुरू, केंद्र सरकार ने परिवार को दिए ये तीन ऑप्शन
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए शहरी कार्य मंत्रालय ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनके परिवार को स्थल के चयन के लिए राजघाट किसान घाट और समता स्थल तीन विकल्प दिए गए हैं। स्मारक के लिए ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। स्मारक छह महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक पर राजनीतिक विवाद एक तरह से शांत हो जाने के बाद शहरी कार्य मंत्रालय ने इसके निर्माण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी है। इसके तहत मनमोहन सिंह के परिवार को स्थल के चयन के लिए तीन विकल्प सुझाए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय स्मृति स्थल राजघाट, किसान घाट व समता स्थल के तीन विकल्प दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिवार को दिए गए हैं और उनसे इनमें से एक का चयन करने को कहा गया है। यह प्रस्ताव शहरी कार्य मंत्रालय को मिली इस सूचना के बाद दिया गया है कि मनमोहन सिंह की स्मृतियों को स्मारक के रूप में संजोने के लिए ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
परिवार के सदस्य ही करेंगे निर्णय
स्मारक लिए ट्रस्ट के आवेदन पर डेढ़ एकड़ जमीन आवंटित की जाएगी। मनमोहन सिंह की स्मृति में बनाए जाने वाले ट्रस्ट में कौन शामिल होगा, इसका निर्णय परिवार के सदस्य ही करेंगे।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, इसमें पार्टी के कुछ सदस्य भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन यह निर्णय पूरी तरह मनमोहन सिंह की पत्नी गुरुशरण सिंह और उनकी पुत्रियों द्वारा लिया जाएगा। पार्टी ट्रस्ट के गठन में पूरी सहायता करेगी।
सिख प्रधानमंत्री का अपमान करने का लगाया था आरोप
मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हो गया था और उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर 28 दिसंबर को किया गया था। अंतिम संस्कार राजघाट या समता स्थल पर नहीं कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर एकमात्र सिख प्रधानमंत्री का अपमान करने का आरोप लगाया था, जबकि सरकार ने कांग्रेस पर मनमोहन सिंह के नाम पर संकीर्ण राजनीति करने का आरोप लगाते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि स्मारक का निर्माण ट्रस्ट के गठन की अनिवार्य औपचारिकता के बाद ही होगा।
छह महीने में बनकर तैयार हो जाएगा स्मारक
माना जा रहा है कि सब कुछ सही रहा तो मनमोहन सिंह का स्मारक छह महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। स्मारक का निर्माण सीपीडब्ल्यूडी द्वारा किया जाएगा, लेकिन इसका खर्च ट्रस्ट को उठाना होगा। ट्रस्ट ही उसके रखरखाव का खर्च भी वहन करेगा।
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ट्रस्ट के नाम पर होगा स्मारक
स्मारक ट्रस्ट के नाम पर होगा, लेकिन जमीन का स्वामित्व शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन आने वाले भूमि एवं विकास विभाग के पास बना रहेगा। सीपीडब्ल्यूडी निर्माण की प्रक्रिया और उसमें आने वाली लागत आदि का प्रस्ताव इस विभाग के साथ ही ट्रस्ट के साथ साझा करेगा।
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