G20 Summit in Delhi: विदेशी मेहमानों को लोकतांत्रिक व्यवस्था से परिचित कराएंगे कृष्ण और प्रभु राम
G20 Summit in Delhi 10 दिन बाद होने जा रहे जी-20 सम्मेलन की तैयारियों के तहत पीडब्ल्यूडी ने वर्षा से होने पर जलभराव से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। प्रगति मैदान के आसपास 88 सीसीटीवी कैमरे और 45 पंप लगाए गए हैं। प्रत्येक मोबाइल पंप 25 से 40 हार्सपावर के हैं। जलभराव होने पर पानी की निकासी के लिए इन मोबाइल पंप का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। चंद्रयान-3 की सफलता के साथ वैश्विक मंच पर भारतीय प्रतिभा की गूंज और बढ़ी है। देश तथा देश के लोगों की उपलब्धियों से दुनिया चमत्कृत है, लेकिन दूसरी ओर वैश्विक मंच पर साजिशन एक तबके द्वारा यह भी आरोप लगाया जाता है कि भारत में ‘लोकतंत्र खतरे में है।’
ऐसे में जब जी-20 सम्मेलन में विश्व के दिग्गज राष्ट्राध्यक्षों को देश में हजारों वर्षों से विद्यमान लोकतंत्र से परिचित कराने की बारी आएगी, तब प्रभु राम व कृष्ण के साथ ही अन्य शासनकाल का भी उल्लेख होगा।
उनके जरिये विदेशी मेहमानों को यह बताया जाएगा कि यूं ही भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ नहीं कहा जाता है, बल्कि हजारों वर्षों से देश की आत्मा लोकतंत्र व लोगों का कल्याण रहा है, जो विदेशी आक्रांताओं के हमलों तथा उनके शासनों के बाद भी जीवित रहा और आज भी बरकरार है।
धार्मिक पुस्तकों और इतिहास का होगा दस्तावेजी उल्लेख
प्रगति मैदान में आयोजन स्थल भारत मंडपम के ठीक बगल में ‘लोकतंत्र की जननी’ पवेलियन का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें हड़प्पा काल से लेकर आधुनिक काल तक अनवरण चली आ रही लोकतांत्रिक भारतीय व्यवस्था को प्रदर्शित किया जाएगा। मामले के एक जानकार के मुताबिक, यह बातें हवा-हवाई नहीं, बल्कि इसमें वेद-शास्त्र, धार्मिक पुस्तकों तथा इतिहास का दस्तावेजी उल्लेख होगा।
प्राचीन भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था से परिचित कराने में प्रभु राम के शासन में गणराज्य व्यवस्था के तहत गठित मंत्रीमंडल समूह तथा महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन से धर्म की रक्षा के लिए अपने लोगों के विरूद्ध अस्त्र उठाने के आह्वान को आगे रखा जाएगा। इसी तरह इस प्रदर्शनी में साक्ष्यों के जरिये हड़प्पा, वैदिक, शिवाजी, चाणक्य, अकबर के शासनकाल समेत अन्य के समय मौजूद रहे लोकतांत्रिक साक्ष्यों का उल्लेख होगा।
दो भारतीय समेत 16 वैश्विक भाषाओं में तैयार की गई प्रदर्शनी
विशेष बात कि इस प्रदर्शनी को राष्ट्राध्यक्षों की सुविधा के लिए दो भारतीय समेत 16 वैश्विक भाषाओं में तैयार की गई है। इसी तरह चीनी भिक्षु फाह्यान समेत विभिन्न काल में आए विदेशी यात्रियों की टिप्पणियों और लेखों का भी दस्तावेज होगा। सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वैदिक काल के श्लोक बताते हैं कि हम गणतंत्र की बात करते ही नहीं थे, बल्कि उसका पालन भी करते थे।
इस प्रदर्शनी को इन्हीं साक्ष्यों के साथ तैयार किया जा रहा है। इसके लिए दस्तावेज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने तैयार किए हैं, तो टैगबिन कंपनी तकनीकी पक्ष मुहैया करा रही है। प्रदर्शनी में 26 डिजिटल पैनल के माध्यम से देश में लोकतंत्र के इतिहास को प्रस्तुत किया जाएगा।
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