Unnao Rape Case: कुलदीप सिंह सेंगर की अंतरिम जमानत 15 जनवरी तक बढ़ी, CBI और पीड़ित पक्ष ने किया विरोध
दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्नाव सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की अंतरिम जमानत 15 जनवरी तक बढ़ा दी है। सेंगर ने चिकित्सा आधार पर जमानत बढ़ाने की मांग की थी। वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई और पीड़ित पक्ष ने इसका विरोध किया। आगे विस्तार से पढ़िए आखिर कुलदीप सेंगर का पूरा मामला क्या है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। उन्नाव में नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की अंतरिम जमानत दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सशर्त 20 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी।
आपत्ति दर्ज कराई
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह व न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने साथ ही एम्स में बड़ी संख्या में सेंगर से मिलने आने वाले आगंतुकों पर आपत्ति दर्ज कराई।
चार सप्ताह के लिए दे दी अंतरिम जमानत
वहीं, सुनवाई के दौरान सेंगर को चिकित्सा आधार पर दी गई राहत का पीड़ित पक्ष ने जोरदार विरोध किया। अदालत ने सेंगर को लेकर एम्स द्वारा पेश की रिपोर्ट को देखते हुए चार सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दे दी।
अंतरिम जमानत को पांच महीने तक बढ़ाने की मांग
एम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किए गए मूल्यांकन में सेंगर की सर्जरी करने की जरूरत है। वहीं, सेंगर की तरफ से पेश अधिकवक्ता ने आवश्यक देखभाल और आगे का इलाज सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम जमानत को पांच महीने तक बढ़ाने की मांग की।
सेंगर को वहां रखा जाना चाहिए, जहां पर संक्रमण न हो
अधिवक्ता ने कहा कि कुलदीप सेंगर को वहां रखा जाना चाहिए, जहां पर संक्रमण न हो, अन्यथा वह अपनी दृष्टि खो सकता है। साथ ही आगंतुकों के संबंध में कहा कि यह दोबारा नहीं होगा।
अंतरिम जमानत देने की गई थी मांग
कुलदीप सेंगर ने मोतियाबिंद समेत कई बीमारियों से पीड़ित होने के दावा करते हुए अंतरिम जमानत देने की मांग की थी।
मौत मामले में करार दिया गया दोषी
कुलदीप सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म और उसके पिता की पुलिस हिरासत मौत मामले में दोषी करार दिया गया था। इसके विरुद्ध कुलदीप सिंह की याचिका हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है।
बता दें कि मार्च 2020 में पीड़िता के पिता की हिरासत मौत मामले में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
आर्म्स एक्ट की धारा में किया गया था गिरफ्तार
आरोप है कि सेंगर के कहने पर पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट की धारा में गिरफ्तार किया गया था और नौ अप्रैल 2018 में पुलिस द्वारा की गई बर्बर पिटाई के कारण उनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्थानांतरित किया गया मामला
यह मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी अदालत में स्थानांतरित किया गया था।
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