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    Kisan Andolan: सात माह से सड़क जाम कर बैठे राकेश टिकैत अब लोकतंत्र की बात कर रहे, पढ़िए किस मुद्दे पर दी लोकतंत्र की दुहाई

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 15 Jul 2021 04:11 PM (IST)

    राकेश टिकैत अब देश में लोकतंत्र का हवाला दे रहे हैं। साथ ही ये भी कह रहे हैं कि लोकतांत्रिक देश में सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है लेकिन जब तक सरकार मांगे पूरी नहीं करेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। ट्विटर एकाउंट से ये ट्वीट किया।

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    जब तक सरकार मांगे पूरी नहीं करेगी तब तक आन्दोलन जारी रहेगा।

    नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अब देश में लोकतंत्र का हवाला दे रहे हैं। साथ ही ये भी कह रहे हैं कि लोकतांत्रिक देश में सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है लेकिन जब तक सरकार मांगे पूरी नहीं करेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत ने अपने ट्विटर एकाउंट से ये दो लाइनें ट्वीट की हैं। उन्होंने लिखा है कि लोकतांत्रिक देश में सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है, लेकिन जब तक सरकार मांगे पूरी नहीं करेगी तब तक आन्दोलन जारी रहेगा। लोगों का कहना है कि राकेश टिकैत ने यूपी गेट पर लाखों लोगों का रास्ता रोक रखा है, उनको वैकल्पिक रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ रहा है वो किस लोकतंत्र के तहत यहां रास्ता जाम किए हुए हैं। लोकतंत्र अपनी बात कहने की पूरी आजादी देता है मगर दूसरों को परेशान करने की नहीं। सात माह से लोग परेशानी झेल रहे हैं। वो किस तरह के लोकतंत्र की बात कह रहे हैं।

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    इस के बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया। इसमें उन्होंने सिरसा में किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमे पर अपना विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि सिरसा में आंदोलनकारी किसानों पर देशद्रोह के मुकदमे करना आंदोलन को दबाने का प्रयास है, देशद्रोह किसी देश की शक्ति के साथ मिलकर देश को नुकसान पहुंचाना है किसान अपनी मांगों के लिए लड़ रहे है, सरकार इसे बंद करें अन्यथा आंदोलन के लिए तैयार रहे। इन दिनों टिकैत किसानों की मांग को लेकर काफी सक्रिय हैं, वो आए दिन अपने ट्विटर हैंडल से कोई न कोई ट्वीट करके लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने अपने ही ट्विटर हैंडल से 22 जुलाई को संसद पर किए जाने वाले प्रदर्शन का पोस्टर भी जारी किया था।

    भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का धरना जारी रहेगा। कृषि कानूनों को खत्म किए जाने के मुद्दे पर केंद्र बातचीत को तैयार नहीं है। इस वजह से इस बार जब संसद का मानसून सत्र शुरू होगा तो किसानों का एक दल 22 जुलाई को दिल्ली जाएंगा और वो संसद के बाहर धरना देकर बैठेगा। संसद के बाहर विरोध दर्ज कराने के लिए रोजाना 200 किसान वहां जाएंगे। किसानों से अपील की गई है कि वो 200 की संख्या में संसद तक विरोध दर्ज कराने के लिए तैयारी कर लें।

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    राकेश टिकैत केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर अपनी बात पर अड़े हुए हैं। वो किसी भी सूरत में धरने को खत्म करने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि सरकार को बिल वापस लेना होगा, एमएसपी के लिए कानून बनाना होगा मगर इसके लिए समय लगेगा। सरकार को धमकी भरे अंदाज में चेताते हुए उन्होंने कहा कि अगर यह सरकार अहंकारी होगी तो सत्ता से इसकी विदाई करनी होगी।

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