दिल्ली पुलिस ने बिहार के नालंदा में गुजारे 25 दिन तो आनलाइन ठगों की नर्सरी का चला पता, पढ़िए अन्य जानकारी
गांव के पास के बगीचों में ठगी के गुर सिखाने के लिए कक्षांए लगाई जा रही हैं। इन कक्षाओं में लोगों को अपने झांसे में लेने के लिए कैसे बात करनी है और ट्रेंड के हिसाब से ठगी के तरीके कैसे बदलने हैं सिखाया जा रहा है।

नई दिल्ली, धनंजय मिश्रा। बिहार का नालंदा जिला आनलाइन ठगों की नर्सरी के रूप में विकसित हो रहा है। यहां पर देशभर में लोगों के जेब लूटने के हर पैंतरे सिखाएं जा रहे हैं। गांव के पास के बगीचों में ठगी के गुर सिखाने के लिए कक्षांए लगाई जा रही हैं। इन कक्षाओं में लोगों को अपने झांसे में लेने के लिए कैसे बात करनी है और ट्रेंड के हिसाब से ठगी के तरीके कैसे बदलने हैं सिखाया जा रहा है। इन कक्षाओं में दर्जनों युवा व किशोर भाग ले रहे हैं।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने चिकित्सा उपकरणों व दवाओं के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह को पकड़ने के दौरान जिले में 25 दिन गुजारे। तब जाकर पुलिस टीम को सफलता मिली है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि नालंदा जिले के मैरा गांव व उसके आसपास के इलाके के अधिकतर युवा आनलाइन ठगी की गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। वे सब मंहगी गाडि़यों में घूमते हैं। गिरफ्तार किए गए नाबालिग सहित चार आरोपितों में आरोपित मनोज महतो में इलाके में आनलाइन ठगी का प्रशिक्षण देने के लिए मशहूर हैं।
मनोज को मैरा गांव में गुरुजी कह कर बुलाया जाता है। अधिकारी ने बताया नालंदा के गिरोह पंश्चिम बंगाल के कोलकाता, झारखंड के जामताड़ा जिले के कुछ गिरोह से जुड़े हुए हैं। क्योंकि ठगों के पास कोलकाता में पंजीकृत सिम कार्ड व फर्जी बैंक खोते मिले हैं। हालांकि बैंक खाते कोलकाता के अलावा दिल्ली, जामताड़ा, राजस्थान आदि राज्यों में पंजीकृत होते थे।
खुले क्षेत्र में चलाते हैं कक्षाएं
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपित गांव के पास पेड़ों के नीचे कक्षाएं संचालित करते थे। ताकि गांव में जाने व आने वालों पर नजर रखी जा संके।
गिरोह का सरगना पहले ही किया जा चुका है गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों के साथ चिकित्सा उपकरण व दवाएं मुहैया कराने के नाम पर ठगी करने वाले मैरा गांव, नालंदा, बिहार के राजेश पासवान, मनोज महतो व हैप्पी सहित एक नाबालिग को दबोचा है। इस गिरोह के सरगना नवादा निवासी सुबोध यादव को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने इनके पास से 23 मोबाइल फोन, 23 सिम कार्ड, चार लैपटाप, नौ डेबिट व क्रेडिट कार्ड बरामद किए।
पुलिस उपायुक्त (अपराध) मोनिका भारद्वाज ने बताया कि मामले की जांच के दौरान पुलिस टीम को पता चला कि ठगी में इस्तेमाल एक मोबाइल नंबर पश्चिम बंगाल के गाजीपुर के रहने वाले एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत है, लेकिन वह नालंदा इलाके के मैरा गांव में संचालित हो रहा है। पुलिस छापा मारकर आरोपितों को दबोच लिया। बंटे हुए थे सभी के काम :पूछताछ में पता चला कि राजेश पासवान उर्फ राजू, मनोज महतो व नाबालिग पीडि़तों से फोन पर बात करते थे, जबकि हाल ही में गिरफ्तार किया गया।
सुबोध यादव गिरोह को तकनीकी मदद देता था। वहीं, मनोज ठगी के तरीके सिखाता था। हैप्पी का काम पीडि़तों से पैसे मंगाने के लिए बैंक खाता, सिम कार्डो का प्रबंध करना था। गिरोह मुंबई, दिल्ली, जैसे शहरों में रह रहे लोगों को निशाना बनाते थे। ठगी की रकम में से 70 फीसद सुबोध व मनोज रखते थे। 20 फीसद पीडि़तों से बात करने वालों को दिया जाता, जबकि 10 फीसद हैप्पी को दिया जाता था। हैप्पी ही पीडि़तों के भेजे गए पैसों को अलग-अलग एटीएम से निकालता था और सभी का हिस्सा बांटता था।
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