Kanwar Yatra 2025 : कांवड़ कंधे पर लेकर चलने वालों में आईआईटियन भी; कांवड़ियों में हर प्रोफेशन के धुरंधर
नई दिल्ली से लोकेश शर्मा के अनुसार कांवड़ यात्रा में अब केवल ग्रामीण परिवेश के लोग ही नहीं बल्कि आईआईटी इंजीनियर पुलिसकर्मी और मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले लोग भी शामिल हो रहे हैं। हरिद्वार से दिल्ली तक की कठिन यात्रा में लोग अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ भाग ले रहे हैं। कई महिलाएं भी परिवार की सुख-शांति के लिए कांवड़ ला रही हैं।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। भीषण गर्मी और दुर्गम रास्तों में कंधे पर 81 लीटर गंगाजल की कांवड़ लेकर चलना कोई आसान काम नहीं है और श्रद्धा व आस्था के साथ हिम्मत भी चाहिए। इसलिए कांवड़ के साथ यह भ्रम जुड़ गया है कि ग्रामीण परिवेश से जुड़े भक्त ही भोले की भक्ति के लिए लंबी यात्राएं करते हैं। मगर हरिद्वार से दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान तक लगभग 250-300 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने वाले इन भक्तों में आईआईटीयन से लेकर मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाले तक शामिल हैं। आइए आज ऐसे ही शिवभक्तों के बारे में जानते हैं...
कांवड़ियों में शामिल हर पेशे के लोग
कश्मीरी गेट बस अड्डे पर हरिद्वार से धौला कुआं होते हुए राजस्थान और हरियाणा की ओर लौट रहे कांवड़ियों से जब बात की गई, तो सामने आया कि इनमें से अधिकांश लोग पढ़े-लिखे हैं और किसी न किसी सरकारी, प्रशासनिक, पुलिस या निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं।
पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इस यात्रा में बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आए इन भक्तों में कोई इंजीनियर है, कोई पुलिसकर्मी तो कोई व्यापारी।
कई महिलाएं गृहिणी होते हुए भी परिवार की सुख-शांति के लिए छालों और पट्टियों के बावजूद पैदल कांवड़ ला रही हैं। इस दौरान गुरुग्राम का एक एनएसजी कमांडो भी मिला। जो ड्यूटी से छुट्टी लेकर हरिद्वार जल लेने गए थे।
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कुछ भक्तों ने किए अपने अनुभव साझा
''मैं नजफगढ़ से हूं और पिछले दो वर्षों से हर साल कांवड़ लेकर आ रहा हूं। मैंने आइआइटी से पढ़ाई की है और गुरुग्राम की एक निजी कंपनी में नौकरी करता हूं। भोले बाबा के प्रति आस्था के कारण ही जल लेकर आता हूं।''
-सोनू, आईआईटी
''मैं पहले कई वर्षों तक लगातार कांवड़ लाता रहा हूं। इस बार सात साल के अंतराल के बाद फिर आ रहा हूं। मेरी मनोकामनाएं भोले बाबा पूरी करते हैं। मैं रेवाड़ी के पीडब्ल्यूडी विभाग में जूनियर इंजीनियर हूं। यह धारणा बिल्कुल गलत है कि कम पढ़े-लिखे लोग कांवड़ लाते है।''
-राकेश कुमार, जूनियर इंजीनियर (पीडब्ल्यूडी, रेवाड़ी)
''मैं ग्रेजुएट हूं और राजस्थान पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हूं। यह धारणा बिल्कुल गलत है कि केवल बेरोजगार लोग ही कांवड़ लाते हैं। मैं भक्ति के चलते हर साल यात्रा करता हूं।''
-अजय, हेड कांस्टेबल राजस्थान पुलिस
''मैं नजफगढ़ से हूं और 81 लीटर जल की कांवड़ लेकर आ रहा हूं। मैं पढ़ा-लिखा और एंजीनियर हूं। गुरूग्राम में तेल निकालने की एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूं। मैं अपने माता-पिता की लंबी उम्र के लिए ये यात्रा कर रहा हूं। मेरे साथ मेरा दोस्त हर्ष भी है। हम दोनों ही व्यापारी है।''
-ललित, इंजीनियर
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