125 KM का डाक कांवड़ रूट बनेगा 'सुरक्षा मॉडल'! रेत के कट्टों से बनेंगे डिवाइडर, हर 250 मीटर पर नई व्यवस्था
Kanwar Yatra | मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के दौरान डाक कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने 125 किलोमीटर के मार्ग पर रेत के कट्टों से अस्थायी डिवाइडर बनाए हैं। हर 500 मीटर पर संकेतक लगाए गए हैं। एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि युवाओं के साथ बैठकें कर उन्हें सुरक्षित यात्रा के लिए जागरूक किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। कांवड़ यात्रा में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। पैदल के साथ ही वाहन सवार कांवड़ियां भी गंगाजल लेकर हरिद्वार-ऋषिकेश से अपने शिवालय की ओर बढ़ रहे है। अब डाक कांवड़ का भी दौर शुरू होगा।
पुलिस प्रशासन ने डाक कांवड़ियों को दुर्घटना से बचाने के लिए उपाय तलाशा है। 125 किलोमीटर के कांवड़ मार्ग पर कट्टों में रेत भरकर अस्थाई डिवाइडर बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर संकेतक भी लगाए हैं, ताकि डाक कांवड़ियां सावधानी और कम रफ्तार से सुरक्षित अपने गंतव्य की ओर जा सके।
कांवड़ यात्रा के दौरान हर साल बड़ी संख्या में कावंड़ियां हादसों का शिकार हो जाते है। ऐसे में जनपद मुजफ्फरनगर में कांवड़ियों को हादसो से बचाने के लिए पुलिस प्रशासन ने नया प्लान लागू किया है। कांवड़ यात्रा के नोडल अधिकारी एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि हाईवे पर वन-वे व्यवस्था लागू की गई है।
इसके अलावा इस बार भूराहेड़ी चेकपोस्ट से लेकर भंगेला चेकपोस्ट तक, शिव चौक से शामली बार्डर और बुढ़ाना रोड समेत कुल 125 किलोमीटर के पूरे कांवड मार्ग पर नई व्यवस्था की गई। तेज गति, तीव्र मोड़, दुर्घटना और रास्तों के सूचना पट से जुड़े लगभग 350 फ्लैक्स बोर्ड लगाए गए।
कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले रामपुरा तिराहा, बिलासपुर, बागोवाली, जानसठ रोड, वहलना कट, जदौड़ा कट, नावला की कोठी, पुरकाजी समेत अन्य कटों पर वाटर क्रेश बैरियर लगाए जा रहे है। वन-व लाइन पर हर 250 मीटर की दूरी पर रेत के कट्टों से डिवाइडर बनाए जा रहे है, ताकि कांवड़ियों को दुर्घटनाओं से बचाया जा सके।
डाक कांवड़ समितियों के साथ की जा रही बैठक
एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि अपने जनपद के जितने भी डाक कांवड़ लाने वाले युवा हैं, उनके साथ थाना स्तर पर मीटिंग की जा रही है। जिसमें उन्हें तेज गति और लापरवाही से वाहन न चलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
साथ ही उनसे बाइकों से साइलेंसर न निकलवाने का अनुरोध किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि साइलेंसर निकलवाने से ध्वनि प्रदूषण तो होता है कि इसके अलावा बाइक में आग लगने का भी खतरा बना रहता है।
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