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Delhi Ki Ramlila: रोचक रहा है दिल्ली में रामलीला का इतिहास, कभी मंचन का केंद्र था सीताराम बाजार

दिल्ली में रामलीला के मंचन का इतिहास सदियों पुराना है। मुगल शासक औरंगजेब ने फरमान जारी कर रामलीला का मंचन ही बंद करा दिया था। बाद में कुछ ऐसे हालात बने कि दिल्ली में फिर से रामलीला का मंचन शुरू हुआ।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 17 Sep 2022 01:53 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 02:54 PM (IST)
Delhi Ki Ramlila: रोचक रहा है दिल्ली में रामलीला का इतिहास, कभी मंचन का केंद्र था सीताराम बाजार
वर्तमान में दिल्ली में कई संगठन रामलीला का भव्य मंचन करते हैं। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। रावण दहन के साथ ही 5 अक्टूबर को रामलीला का समापन हो जाएगा।  भारतीय जनमानस के रोम-रोम में बसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र की लालाओं का मंचन सदियों से होता रहा है। समूचे देश में रामलीला के माध्यम से भगवान श्रीराम को जानने और समझने की जो परंपरा सदियों पहले शुरू हुई वह आज भी जारी है। खासतौर से दिल्ली में रामलीला का रोचक इतिहास है। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में कुछ सालों के रामलीला का मंचन बंद हो गया था।  

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दिल्ली में कुछ समय के लिए बंद हो गई थी रामलीला

दिल्ली में जो रामलीला आज भव्य रूप में मंचित की जाती है वह कभी कुछ स्थानों तक ही सिमटी हुई थी। यह हाल देशभर का था। शहर और कस्बों में गिनती की ही रामलीला होती थी। मुगलकाल में भी रामलीला सिमट गई थी। दिल्ली पर भी इसका असर पड़ा था और कुछ समय तक रामलीला का मंचन बंद ही रहा। बताया जाता है कि क्रूर मुगल शासकों में शुमार औरंगजेब ने रामलीला के मंचन पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे काफी समय तक रामलीला का मंचन दिल्ली में नहीं हुआ।

कर्ज देकर शुरू हुई थी दिल्ली में रामलीला

राम भक्तों को औरंगजेब का यह आदेश नागवार गुजरा, लेकिन वह क्रूर शासक से लड़ नहीं सकते थे। माना जाता है कि औरंगजेब के उत्तराधिकारियों को दिल्ली में कर्ज लेकर दिल्ली में रामलीला शुरू कराई गई थी। कई पुस्तकों में इसका उल्लेख भी मिलता है। वर्तमान में दिल्ली में कई संगठन रामलीला का भव्य मंचन करते हैं। 

सीताराम की वजह से दिल्ली में शुरू हुई रामलीला

मत यह है कि दिल्ली में रामलीला का इतिहास सदियों बहुत पुराना है। माना जाता है कि रामलीला सदियों से होती थी, लेकिन क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने 17वीं सदी में रामलीला पर प्रतिबंध लगा दिया। कहा जाता है कि उसके उत्तराधिकारियों को कर्ज देकर फिर से इसकी शुरुआत की गई थी। इसमें लाला सीताराम का अहम योगदान रहा।  

कर्ज देकर ली थी रामलीला की अनुमति

कहा जाता है कि मुगल बादशाह रंगीला (मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है) ने लाला सीताराम से सरकारी खजाने के लिए कर्ज की मांग की थी। लाला सीताराम कर्ज देने के लिए तुरंत तैयार हो गए, लेकिन उन्होंने कहा कि वह कर्ज तो दे देंगे, लेकिन इसकी एवज में वह अपनी हवेली में रामलीला का आयोजन करने की अनुमति चाहते हैं। यह शर्त रंगीला ने मान ली। इसके बाद पुरानी दिल्ली स्थित सीताराम बाजार में रामलीला का आयोजन होता रहा। कभी यह रामलीला दिल्ली की भव्य रामलीलाओं में शुमार थी।

कभी रामलीला का केंद्र था सीताराम बाजार

बताया जाता है कि मुगल काल में कई साल तक पुरानी दिल्ली का सीताराम बाजार रामलीला का केंद्र रहा था। यहां पर रामलीला के मंचन का आनंद लेने के लिए लोग बहुत दूर से आते थे। कई लोग को रिश्तेदारों के घर रुक कर 10 दिनों तक रोजाना राम लीला के मंचन का आनंद लेते थे। इसके बाद ही अपने घर लौटते थे।

दिल्ली तकरीबन दर्जन भर सामाजिक संगठन हैं जो अपने स्तर पर रामलीला का भव्य मंचन करवाते हैं। लवकुश रामलीला सर्वाधिक चर्चित है। पिछले दो साल से कोरोना वायरस के संक्रमण ने रामलीला मंचन को प्रभावित किया है, लेकिन लोगों को क्रेज कायम है। यही वजह है कि कोरोना का असर कम होने पर इस बार रामलीला का भव्य मंचन करने की तैयारी कई संगठनों ने की है।

दिल्ली में मशहूर रामलीला

  1. लवकुश राम लीला
  2. दिलशाद गार्डन रामलीला
  3. रामलीला मैदान में मंचित रामलीला
  4. मयूर विहार की रामलीला
  5. सूरजमल विहार की रामलीला

आखिर मुगल सम्राट ने शुरू करवाया था रामलीला का मंचन

अखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के बारे में कहा जाता है वह अपने पूर्वजों की तुलना में बेहद उदार थे।बहादुर शाह सफर ने भी रामलीला का मंचन शुरू करवाया था। 

 अंग्रेजी हुकुमत को नहीं भाई रामलीला

दिल्ली के जिसे रामलाला मैदान को आज प्रदर्शन और रैली के लिए देशभर में जाना जाता है, यह जगह कभी रामलीला के लिए मशहूर थी। अंग्रेजों ने रामलीला मैदान में होने वाले इस आयोजन को रुकवा दिया। इतना ही नहीं, रामलीला मैदान में सेना के ठहरने का स्थान बनाने के साथ घोड़ों का अस्तबल भी बना दिया गया।

1911 फिर शुरू हुई रामलील

अंग्रेजी शासन में बंद हुई रामलीला का मंचन  1911 में पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से संभव हो पाया। उन्होंने ही रामलीला मैदान में फिर से रामलीला की शुरुआत की।

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टीवी सीरियल के बावजूद रामलीला का जादू कायम

रामलीला के मंचन के तरीकों में समय के साथ बहुत बदलाव आया है, लेकिन रंगमंच के जरिये जो आनंद आता है वह अकल्पनीय है। शायद यही वजह है कि भगवान श्रीराम को लेकर टेलीविजन धारावाहिकों के बावजूद रामलीला का जादू आज भी बरकरार है।

यह भी जानें

  •  50 साल से भी अधिक पुराना है दिल्ली की बड़ी रामलीलाओं में शामिल लव-कुश रामलीला का इतिहास
  • 1989 में लाल किला मैदान में शुरू हुई थी लवकुश रामलीला
  •  कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल के पिता का लवकुश रामलीला कराने में अहम योगदान रहा था।
  • देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नव श्री धार्मिक लीला कमेटी की लीला को देखने पहुंचे थे।
  • राजनीतिक हस्ती विजयादशमी के दिन रामलीला देखने पहुंचते हैं। यहां पर पीएम ही रावण दहन करते हैं।

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