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    उमस भरी गर्मी में बढ़ता वेट बल्ब टेंपरेचर, लोगों को आता है गुस्सा; होने लगती है कई तरह की समस्या

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Sat, 17 Sep 2022 08:30 AM (IST)

    इस साल सितंबर के मध्य तक दिल्लीवासी उमस भरी गर्मी झेलने को मजबूर रहे। तेज धूप की चुभन और पसीना बहना बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ था। वहीं बारिश नहीं होने से दिल्ली में सूखे जैसे हालत बन गए हैं।

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    उमस भरी गर्मी में बढ़ता वेट बल्ब टेंपरेचर, व्यक्ति को आता है गुस्सा; होने लगती है कई तरह की समस्या

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। उमस भरी गर्मी से वेट बल्ब टेंपरेचर बढ़ता है। वेट बल्ब टेंपरेचर अधिकतम तापमान और नमी के स्तर को मिलकर बनता है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक आम आदमी के लिए 32 डिग्री वेट बल्ब में रहना काफी असहनीय हो जाता है। वह 45 डिग्री तापमान सह सकता है, बशर्ते हवा में नमी कम हो, लेकिन यदि 35 डिग्री तापमान में नमी का स्तर 50 से 55 डिग्री तक हो तो ऐसा मौसम असहज करने वाला हो जाता है।

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    मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, इस तरह के मौसम में व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। व्यक्ति को गुस्सा अधिक आने लगता है। सांस की समस्या के साथ त्वचा रोग भी होने लगते हैं। 

    गर्मी झेलने को मजबूर दिल्ली-एनसीआर के लोग

    मौसम विज्ञानियों की मानें तो इसकी वजह मानसून की बेरुखी है।मानसून का सीजन जून से सितंबर तक होता है। लेकिन इस बार जून, अगस्त और सितंबर में काफी कम बरसात हुई है।

    दिल्ली में लगभग सूखे के हालात

    आंकड़ों पर गौर करें तो एक जून से 16 सितंबर तक दिल्ली में 36 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। सीजन की सामान्य वर्षा है 609.7 मिमी जबकि अभी तक हुई है 388.1 मिमी। पिछले दो तीन दिन में हुई हल्की बरसात को छोड़ दें तो राजधानी दिल्ली लगभग सूखे की स्थिति से गुजर रही है।

    मानसून के दौरान बारिश में कमी ने बढ़ाई परेशानी

    स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत बताते हैं कि यह साल ही गर्मी के लिहाज से असहज करने वाला रहा है। मार्च में ही गर्मी का दौर शुरू हो गया था। इसकी वजह से पहले लोगों ने लंबे समय तक लू सही। मानसून में वर्षा की कमी से लगातार नमी भरी गर्मी लोगों को सहनी पड़ी। यही वजह है कि अब लोगों के लिए गर्मी असहनीय हो रही है।

    उन्होंने बताया कि तापमान में कमी तभी संभव है जब राजधानी में तेज बरसात हो और वह भी राजधानी के हर हिस्से में हो। जबकि इस मानसून में 90 प्रतिशत से अधिक बारिश ऐसी हुई है जो राजधानी में स्थानीय जगहों पर हुई है। इसलिए उस बारिश ने गर्मी से राहत दिलाने का काम नहीं किया।

    नौ में से आठ जिलों में 63 प्रतिशत तक कम हुई बरसात

    मौसम विभाग ने दिल्ली को नौ जिलों में बांटा है। इस मानसून में नौ में से आठ जिलों में 24 से 63 प्रतिशत कम बरसात हुई है। सिर्फ एक पूर्वी जिला ऐसा है, जहां 16 प्रतिशत अधिक बरसात दर्ज की गई है।