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Delhi Police: दागदार हाे रही है दिल्ली पुलिस की छवि, CBI ने साइबर सेल के हवलदार को रिश्वत लेते पकड़ा

दिल्ली पुलिस की छवि लगातार दागदार होती जा रही है। रिश्वत लेने के आरोप में दिल्ली पुलिस के कई कर्मचारियों को सीबीआई पकड़ चुकी है। अनुमान के अनुसार पिछले वर्ष सीबीआई ने अन्य वर्षों की तुलना में अधिक पुलिसकर्मियोें को गिरफ्तार किया है।

By Rakesh Kumar SinghEdited By: Shyamji TiwariPublished: Tue, 31 Jan 2023 09:49 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 09:49 PM (IST)
Delhi Police: दागदार हाे रही है दिल्ली पुलिस की छवि, CBI ने साइबर सेल के हवलदार को रिश्वत लेते पकड़ा
दागदार हाे रही है दिल्ली पुलिस की छवि

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा रिश्वत लेने के आरोप में दिल्ली पुलिस के कई इंस्पेक्टरों व उनसे निचले रैंक के कर्मचारियों को गिरफ्तार किए जाने से दिल्ली पुलिस की छवि दागदार होती जा रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि पिछले वर्ष सीबीआई ने अन्य वर्षों की तुलना में अधिक पुलिसकर्मियोें को गिरफ्तार किया है।

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पुलिस मुख्यालय स्तर पर मंथन जारी

दिल्ली पुलिस मुख्यालय स्तर पर इसको लेकर मंथन भी किया जा रहा है। जिले और यूनिटों के अधिकारियों को कहा गया है कि वे अपने स्तर पर जिले और यूनिटों में तैनात कर्मियों को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के सख्त दिशा निर्देश जारी करें। सोमवार शाम सात बजे सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के हवलदार राजेश कुमार को 20 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।

उसे मालवीय नगर मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर चार के पास से गिरफ्तार किया गया। हवलदार की तैनाती दक्षिण जिला के साइबर सेल थाने में थी। बताया जाता है कि साइबर ठगी के एक मामले में शामिल युवक को मुकदमे से बचाने के लिए हवलदार ने एक लाख रिश्वत की मांग की थी। एडवांस के तौर पर 20 हजार रुपये लेने के दौरान हवलदार को सीबीआई ने दबोच लिया।

सबसे अधिक साइबर सेल के पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी

सूत्रों की मानें तो पिछले वर्ष सीबीआई ने जितने पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया, उनमें सबसे अधिक साइबर सेल थानों के पुलिसकर्मी ही शामिल हैं। तीन साल पहले आए कोरोना महामारी के बाद साइबर ठगी व साइबर अपराध के मामलों में अचानक काफी ज्यादा वृद्धि होने पर 2021 में तत्कालीन दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने दिल्ली के सभी 15 जिलों में एक-एक साइबर थाने खोल दिया।

साइबर ठगी के शिकार लोगों की सुविधा के लिए ऐसा किया गया, ताकि उनकी शिकायतों पर मुकदमा दर्ज कर त्वरित कार्रवाई की जा सके। ऐसा बेहतरी के लिए किया गया, लेकिन उससे आम लोगों को कोई फायदा होते नहीं दिख रहा है। ऐसा इसलिए, क्याेंकि 50 हजार से कम की ठगी के मामलों में साइबर सेल थाना पुलिस पीड़ितों की शिकायत तो प्राप्त कर लेती है, लेकिन जांच के बहाने शिकायतों को दो माह तक ठंढे बस्ते मे डाल बाद में उसे रद्द कर दिया जाता है।

हाई लाइट मामलों में होती है कार्रवाई

केवल उन्हीं मामले में पुलिस कार्रवाई करती है जो मीडिया द्वारा हाई लाइट किया गया हो, जांच में जल्द काेई सुराग मिल गया हो अथवा बड़ी सिफारिश से आया हुआ मामला हो। ऐसे में साइबर सेल थानों पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। हर साइबर सेल थानों में करीब 30-40 कर्मियों की तैनाती की गई है। लेकिन आम लोगों को इससे इसलिए फायदा होते नहीं दिखाई दे रहा है कि उसके छोटे मोटे मामलों पर पुलिस केस ही दर्ज नहीं करती है।

पिछले वर्ष तीन साइबर सेल थानों के तीन थानाध्यक्ष ही रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार व निलंबित कर दिए गए। जुलाई में दक्षिण पश्चिम जिला साइबर सेल थाने के थानाध्यक्ष संजय गाड़े को मुंबई के एक व्यक्ति से 8.5 करोड़ रुपये रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

पुलिस कर्मियों पर भ्रष्टाचार के लगे आरोप

पूर्वी जिला साइबर सेल थाने के थानाध्यक्ष को साइबर ठगी के मामले के आरोपित के घर रिश्वत लेने आने के दौरान सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। दिल्ली के एक अन्य साइबर थाने के थानाध्यक्ष को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। तीन थानाध्यक्ष समेत करीब 25 पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे।  

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12 सितंबर : गांधी नगर थाने के तीन पुलिसकर्मियों को सीबीआई ने दबोचा।

13 नवंबर: सीबीआई ने साकेत थाने में तैनात तीन पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेते पकड़ा। तीनों मोमोज की रेहड़ी लगाने वाले से पांच हजार रुपये ले रहे थे।

1 मई: कालिंदी कुंज थाने में तैनात सिपाही राज कुमार को सीबीआई ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।

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