कारोबार में कैसे उछाल लाता है क्रिसमस? व्यापारियों की होती है बल्ले-बल्ले; रिपोर्ट में जानिए कब हुई इसकी शुरुआत
क्रिसमस सिर्फ खुशियां ही नहीं कारोबार में भी तेजी लाता है। खाने-पीने से लेकर कपड़े जूते सजावटी सामानों लाइट और गिफ्ट आइटम की मांग बढ़ जाती है। शॉपिंग मॉल में खरीदारी सजावट और फन एक्टिविटी बढ़ जाती है। ई-कॉमर्स कंपनियां भी ऑफर्स और डिस्काउंट के जरिए ग्राहकों को लुभाती हैं। आइए आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कैसे पूरा कारोबार होता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। उत्सव के उल्लास के साथ-साथ क्रिसमस कारोबार में भी तेजी का मौसम लेकर आता है। यही कारण है कि खाद्य उत्पादों से लेकर कपड़े, जूते, सजावटी सामानों, लाइट और गिफ्ट आइटम की मांग में तेजी देखी जा रही है।
शॉपिंग मॉल में खरीदारी सजावट और फन एक्टिविटी बढ़ गई है, तो वहीं ई-कामर्स कंपनियां भी ऑफर्स और डिस्काउंट के जरिए ग्राहकों को लुभाने का प्रयास कर रही हैं।
मैकिसे एंड कंपनी के ताजा अध्ययन के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों में ग्राहकों का खरीदारी रुझान बढ़ा है। सर्दियों के मौसम में यह उत्सव आम लोगों के साथ-साथ कारोबार जगत को गर्मजोशी का एहसास दिलाता है।
समय के साथ बदलती परंपरा
मोमबत्तियों के मध्यम प्रकाश से लेकर इलेक्ट्रिक रोशनी तक यह उत्सव अनेक बदलावों के दौर से गुजरा है। वर्ष 1948 में लंदन के एक समाचार पत्र ने मेज पर रखे क्रिसमस ट्री के साथ विक्टोरिया और अल्बर्ट का फोटो प्रकाशित किया था। इसके बाद यह परंपरा के रूप में अमेरिका और फिर दुनिया के अन्य देशों में पहुंचा।
इसी तरह वर्ष 1931 में शीतल पेय बनाने वाली एक कंपनी ने मशहूर चित्रकार हैडन सुंडब्लोम को अपने क्रिसमस विज्ञापन के लिए सांता की तस्वीर बनाने का काम सौंपा था।
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इसके बाद दुनिया खुशमिजाज, गुलाबी चेहरे और बड़ी सफेद दाढ़ी वाले सांता से परिचित हुई। विज्ञापन का प्रभाव ऐसा रहा कि सांता क्लाज लोगों के जीवन से जुड़ता गया, जिसका व्यावसायिक दुनिया ने भी भरपूर लाभ उठाया।
कई ब्रांड्स ने सांता की इस छवि से ग्राहकों को रिझाने के प्रयास शुरू कर दिए, जो आज एआई के जमाने में भी जारी है।
अमेरिकी बाजारवाद की खोज
पारंपरिक रूप से सांता क्लाज को अधिकांश लोग चौथी सदी के सेंट निकोलस से जोड़ते हैं, मगर आधुनिक सांता को अमेरिकी बाजारवाद की खोज कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। क्रिसमस को जीसस के जन्म से भी जोड़ा जाता है, पर इसे लेकर भी स्पष्ट तौर पर मतभेद है।
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मगर सच यही है कि बीते 150 वर्षों में क्रिसमस वहां भी पहुंच गया है, जहां इसके साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव बिल्कुल भी नहीं रहा है। पिछली सदी के अंत तक क्रिसमस मार्केटिंग और विज्ञापन रणनीति, जो पहले खाने-पीने की चीजों तक सीमित थी, वह खिलौनों पर केंद्रित हो गई।
खुशियों की अवधारणा जुड़ी बाजार से
एक उपहार देने वाला और बड़े बुजुगों की तरह परवाह करने वाला सांता सोचते ही मन में न्यूरोलॉजिकल फीलगुड रिस्पांस यानी अच्छी अनुभूतिया उत्पन्न होने लगती है। सांता को प्यार और खुशियों का प्रतीक बताया गया है और खुशिया मनाने की वह अवधारणा सीधे तौर पर बाजार से जुड़ती है। छोटी सी पेंसिल से लेकर महंगे आइटम तक सांता के टैग के साथ जुड़कर विशेष बन जाते हैं। - स्नेहा वशिष्ठ एंटरप्रेन्योरशिप एवं बिजनेस कोच
क्रिसमस का मार्केटिंग मैजिक
भावनात्मक जुड़ाव
क्रिसमस मार्केटिंग कैंपेन में खुशी, प्यार और पुरानी यादों को जोड़ने का प्रयास होता है।
बिक्री में वृद्धि
क्रिसमस धीम वाले उत्पाद, विशेष छूट और ऑफर के जरिए खरीदारी की आदतों को प्रभावित किया जाता है।
सामुदायिक सहभागिता
स्थानीय लोगों और संस्थाओं के साथ सहभागिता के माध्यम से ब्रांड अपनी सकारात्मक छवि बनाने का प्रयास करते हैं।
ब्रांड की यादगार छवि
ग्राहकों के दिमाग पर लंबे समय तक छाप छोड़ने के लिए ब्रांड सांता क्लाज या क्रिसमस ट्री का सहारा लेते हैं।
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