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    Delhi News: जानिये- क्या होता है CRP इंफ्लेमेटरी मार्कर, शरीर में जिसके बढ़ने से आता है हार्ट अटैक

    By Ranbijay Kumar SinghEdited By: JP Yadav
    Updated: Sun, 13 Nov 2022 07:48 AM (IST)

    लोगों को अचानक अधिक शारीरिक मेहनत वाला काम अचानक शुरू नहीं करना चाहिए यह काफी कभी-कभार जानलेवा साबित हो जाता है। इसके अलावा सिगरेट व अल्कोहल का सेवन करने वालों के लिए भी हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है।

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    जीवनशैली में सुधार कर सीआरपी इंफ्लेमेटरी मार्कर को नियंत्रित किया जा सकता है।

    नई दिल्ली। कोरोना के बाद जिम में कसरत करते हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव, कसौटी जिंदगी की धारावाहिक के अभिनेता सिद्धांत वीर सूर्यवंशी सहित कई सेलिब्रिटी भी अचानक हार्ट अटैक या हृदय गति रुकने के कारण जिंदगी की जंग हार चुके हैं।

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    बदली जीवनशैली भी है एक बड़ी वजह

    हृदय रोग के विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना के दौर में बिगड़ी जीवनशैली और कोरोना के संक्रमण के बाद का दुष्प्रभाव भी हार्ट अटैक का एक कारण हो सकता है। क्योंकि कोरोना के बाद कई लोगों के शरीर में सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) मार्कर का स्तर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, जो हार्ट अटैक का वजह हो सकता है।

    कोरोना पीड़ितों में देखी गई अधिक दिक्कत

    डाक्टर बताते हैं कि अमेरिका में हुए शोध में यह बात साबित हुई है कि कोरोना के बाद सीआरपी स्तर लंबे समय तक अधिक होना कुछ लोगों में हार्ट अटैक का कारण बन रहा है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। जीवनशैली में सुधार कर सीआरपी इंफ्लेमेटरी मार्कर को नियंत्रित किया जा सकता है।

    जरूरत से ज्यादा ना करें व्यायाम

    एम्स के कार्डियोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. नीतीश नायक ने कहा कि कम उम्र में हार्ट अटैक के मामले सामने आने के कोई एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। पहली बात यह है कि हाइपरटेंशन, उच्च कालेस्ट्रोल व मधुमेह से पीड़ित बहुत लोगों को अपनी बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होती। ऐसी स्थिति में जिम में जरूरत से ज्यादा व्यायाम व वर्क आउट घातक हो सकता है। यह देखा गया है कि कई लोगों में इंफ्लेमेटरी मार्कर बढ़े होते हैं। इसलिए कोरोना का भी असर हो सकता है। इंफ्लेमेटरी मार्कर अधिक होने पर डाक्टर दवा देने की बात सोचते थे।

    US शोध में खुलासा, खान पान पर संयम से होगा बचाव

    अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के शोध में यह बात सामने आई है कि कई बार दवाओं से ज्यादा जीवनशैली में सुधार से ज्यादा फायदा होता है। इसलिए लोगों को ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्राल की जांच जरूर कराना चाहिए और खानपान का ध्यान रखना चाहिए। 

    ना लें सिंथेटिक प्रोटीन

    आरएमएल अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. तरुण कुमार ने कहा कि कोरोना के दौरान लोगों की जीवनशैली बिल्कुल खराब हो गई थी। लोगों ने जिम जाना बंद कर दिया था। जिम जाने वाले कई लोग बाडी बिल्डिंग के लिए ऐनाबोलिक स्टेरॉयड व सिंथेटिक प्रोटीन लेते हैं। इसका भी दुष्प्रभाव पड़ता है।

    धमनियों में ब्लाकेज होने से आता है अचानक हार्ट अटैक

    इसके अलावा कोरोना के बाद कई लोगों के शरीर में सीआरपी लंबे समय तक बढ़े होने और हृदय गति कम या अधिक होने की समस्या देखी जा रही है। अस्पताल में काफी ऐसे मरीज देखे जा रहे हैं। सीआरपी का स्तर बढ़ने से शरीर में इंफ्लामेशन होता है। लंबे समय तक यह समस्या रहने पर धमनियों में मौजूद प्लाक (जमा हुआ काेलेस्ट्राल) फट जाता है। इस वजह से धमनियों में ब्लाकेज होने से अचानक हार्ट अटैक या हृदय गति रुकने का खतरा रहता है।

    फोर्टिस वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल के कार्डियोलाजी के विशेषज्ञ डा. तपन घोष ने कहा कि 20 प्रतिशत हार्ट अटैक के मामले आराम के अवस्था में नहीं होते। अधिक क्रोध, सदमा, आदत नहीं होने के बावजूद अचानक भारी काम करना इत्यादि कारण होते हैं।

    कोरोना के दौर में घर में रहकर अधिक खाना, शारीरिक मेहनत व व्यायाम नहीं करने से हाइपरटेंशन व शुगर बढ़ने की समस्या बढ़ी है। इसके अलावा कोरोना के बाद हार्ट अटैक के साथ पहुंचने वाले कई मरीजों का सीआरपी बढ़ा होता है। 

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