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    दिल्ली HC से डिजिटल ठग को झटका, फर्जी दस्तावेज और खुद को पुलिस अधिकारी बताकर करोड़ों की ठगी

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 07:11 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने डिजिटल धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी मोहित को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जांच एजेंसियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि अपराधी तकनीक का दुरुपयोग करते हैं। शिकायतकर्ता रंजन जार्ज ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारी बनकर अज्ञात लोगों ने उनसे 1.75 करोड़ रुपये की वसूली की।

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    बढ़ते डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों को सुलझाना मुश्किल, जांच एजेंसी को दिया जाना चाहिए मौका: हाई कोर्ट

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। आए दिन बड़ी संख्या में लोगों को डिजिटल धोखाधड़ी का शिकार बनाया जा रहा है और करोड़ों रुपये की ठगी की जा रही है। मगर ऐसे मामलों में आरोपितों को पकड़ने से लेकर सजा दिलाने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। डिजिटल धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़े ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपित मोहित को गिरफ्तारी पूर्व रिहाई देने से इन्कार कर दिया है।

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    जांच एजेंसी की चुनौतियों पर डाला प्रकाश

    न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि डिजिटल धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं और आरोपित कानून से बचने के लिए तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि यह डिजिटल धोखाधड़ी से जुड़ा गंभीर मामला है और कई संचार उपकरणों का इस्तेमाल भोले-भाले पीड़ितों को गुमराह कर ठगने के लिए किया जा है। ऐसे मामलों को सुलझाना काफी मुश्किल हो जाता है और जांच एजेंसी का काम कठिन है। ऐसे में मामले की निष्पक्ष व उचित तरीके से जांच करने का मौका दिया जाना चाहिए।

    अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका खारिज

    पीठ ने कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और गिरफ्तारी-पूर्व जमानत देने का आधार नहीं है और प्रकरण की गहन जांच की आवश्यकता है। पीठ ने यह भी कहा कि याची के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर विचार करते हुए इस स्तर पर यह नहीं माना जा सकता कि जांच उसे नुकसान पहुंचाने या अपमानित करने के इरादे से की जा रही है। अदालत के समक्ष पेश की सामग्री से प्रथम दृष्टया याची को झूठे आरोप में फंसाने का संकेत नहीं मिलता है। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने आरोपित की अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।

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    पुलिस अधिकारी बन किया फर्जीवाड़ा

    आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश रचने के साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 की धारा 66सी और 66डी के तहत मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता रंजन जार्ज ने आरोप लगाया था कि कई अज्ञात व्यक्तियों ने पुलिस अधिकारी बनकर फर्जी न्यायिक आदेशों के आधार पर उससे 1.75 करोड़ रुपये की जबरन वसूली की थी। उसने कहा कि छह मई 2024 को उनके पास एक फोन आया और सामने वाले ने बताया कि वह मुंबई स्थित तिलक नगर पुलिस थाने से पुलिस अधिकारी बाेल रहा है।

    एक सिम कार्ड के नाम पर फंसाया

    यह भी आरोप है कि उसे यह विश्वास दिलाया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके एक सिम कार्ड खरीदा गया है और उसका दुरुपयोग अनुचित संदेश भेजने के लिए किया गया। शिकायतकर्ता का आरोप लगाया कि आरोपितों ने उसे दस्तावेज भेजे और दावा किया कि ये दस्तावेज भारत के सर्वोच्च न्यायालय और सीबीआई द्वारा जारी किए गए हैं। शिकायतकर्ता से उसकी पहचान, तस्वीर, खाते का विवरण और सारा पैसा उनके बैंक खातों में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया।

    वीडियो में पुलिस स्टेशन भी दिखाया

    याचिका के अनुसार, शिकायतकर्ता को धमकी दी गई थी कि मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल से उसके संबंध हैं और नरेश गोयल नियमित रूप से उसे रुपये भेजते थे। आरोपितों ने उसे धमकी दी थी कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं वीडियो पर उसे एक स्थापित पुलिस स्टेशन भी दिखाया गया था।

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