Rouse Avenue Court ने कहा- माइक्रोसॉफ्ट का कर्मचारी बनकर जर्मनी के लोगों से की गई ठगी, गौरव डालमिया की बेल खारिज
राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई अदालत ने गौरव डालमिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है जो अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के मामले में आरोपी हैं। अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ डिजिटल सबूत हैं और हिरासत में पूछताछ जरूरी है। सीबीआई के अनुसार डालमिया को साइबर ठगी से हासिल 1.25 करोड़ रुपये के बिटक्वाइन मिले थे। अदालत ने इसे गंभीर आर्थिक अपराध माना जिसमें विदेशी नागरिकों को निशाना बनाया गया।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के एक गंभीर मामले में आरोपित गौरव डालमिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने माना कि आरोपित के खिलाफ प्रथम दृष्टया ठोस डिजिटल सुबूत हैं। ऐसे मामलों में हिरासत में पूछताछ जरूरी होती है ताकि साजिश की गहराई और अन्य संलिप्त लोगों की भूमिका सामने लाई जा सके।
अग्रिम जमानत न्याय के हित में नहीं
विशेष न्यायाधीश एमपी सिंह ने कहा कि यह कोई साधारण आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि सुनियोजित साइबर ठगी का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है। इसमें विदेशी नागरिकों को टारगेट बनाकर धोखाधड़ी की गई। आरोपित की भूमिका को केवल उसकी पूर्व व्यावसायिक संबद्धता तक सीमित नहीं माना जा सकता, जब तक कि संपूर्ण साक्ष्य सामने न आ जाएं।
अदालत ने कहा कि जब आरोप गंभीर हों और आरोपित के पास से अपराध से जुड़ी रकम का डिजिटल साक्ष्य उपलब्ध हो, तो अग्रिम जमानत न्याय के हित में नहीं दी जा सकती।
सीबीआई ने कहा?
सीबीआई के अनुसार, गौरव डालमिया को दो जर्मन नागरिकों से बिटक्वाॅइन के रूप में 1.25 करोड़ रुपये के बराबर राशि प्राप्त हुई, जो साइबर ठगी से हासिल की गई थी। यह राशि उनके क्रिप्टो वाॅलेट में ट्रेस की गई, जो उन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल की।
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कंप्यूटर सिस्टम में वायरस भेजकर जाम कर दिया
सीबीआई के अधिवक्ता ने दलील दी कि वर्ष 2021-22 में सह-आरोपित राहुल शा, शुभम शर्मा, राजीव बुधिराजा और अन्य ने जर्मन नागरिकों को माइक्रोसाॅफ्ट का कर्मचारी बनकर काॅल किया और उनके कंप्यूटर सिस्टम में वायरस भेजकर जाम कर दिया। इसके बाद एनीडेस्क और टीम विह्यूवर जैसे ऐप्स के जरिए रिमोट एक्सेस लेकर उनके बैंक खातों से बिटक्वाॅइन खरीदकर अपने क्रिप्टो वाॅलेट्स में ट्रांसफर कर ली गई।
डालमिया की ओर से किया गया वादा
डालमिया की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि उनका मुवक्किल एक व्यवसायी है और उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। उन्होंने दलील दी कि अगर कोई लेनदेन हुआ है, तो वह पूर्व व्यावसायिक सहयोगी राहुल शा के साथ साझेदारी के चलते हुआ होगा। उन्होंने जांच में सहयोग करने, पासपोर्ट सरेंडर करने और फरार न होने का भरोसा भी दिया।
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