Move to Jagran APP

जानिए, दिल्‍ली सरकार को कटघरे में खड़े करने वाली शुंगलू समिति की पूरी रिपोर्ट

तत्कालीन उपराज्‍यपाल नजीब जंग ने दिल्‍ली में केजरीवाल सरकार की 400 फाइलों की जांच के लिए एक पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की अध्‍यक्षता में समिति का गठन किया था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 06 Apr 2017 04:35 PM (IST)Updated: Fri, 07 Apr 2017 03:46 PM (IST)
जानिए, दिल्‍ली सरकार को कटघरे में खड़े करने वाली शुंगलू समिति की पूरी रिपोर्ट

नई दिल्‍ली [ जेएनएन ] । आठ माह पूर्व दिल्‍ली के तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार की 400 फाइलों की जांच के लिए एक पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था।

loksabha election banner

यह आशंका जाहिर की गई थी दिल्ली सरकार की इन फाइलों में तमाम अनियमितताएं कैद हैं। दूसरे, इन फाइलों पर एलजी की सहमति नहीं ली गई है। 

बता दें कि दिल्‍ली हाईकोर्ट ने चार अगस्‍त, 2016 को अपने एक अहम फैसले में कहा था कि उपराज्‍यपाल ही दिल्‍ली का प्रशासनिक प्रमुख है। इसके साथ अदालत ने यह भी कहा था कि बिना एलजी की अनुमति के दिल्‍ली सरकार कोई अहम फैसला नहीं ले सकती है।

इसके बाद उपराज्‍यपाल ने दिल्‍ली सरकार के कामकाज की समीक्षा करना शुरू कर दिया। इसी क्रम में शुंगलू समिति का गठन किया गया। शुंगलू के अलावा इस समिति में दो अन्‍य सदस्‍य भी थे।

यह भी पढ़ें: शुंगलू कमेटी पर बोले AAP नेता- हमारे खिलाफ सबूत हैं तो फांसी चढ़ा दो

शुंगलू कमेटी की खास बातें

1- केजरीवाल सरकार द्वारा प्रशासनिक फैसलों में नियमों की अवहेलना की बात भी कही है। समिति ने मोहल्ला क्लीनिक के सलाहकार पद पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी की नियुक्ति को गलत बताया है।

2- निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री का विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) तथा रोशन शंकर को पर्यटन मंत्रालय में ओएसडी नियुक्त करने पर भी सवाल उठाया गया है। कमेटी ने कहा है कि शंकर की नियुक्ति ऐसे पद पर हुई, जिसका पहले अस्तित्व ही नहीं था।

यह भी पढ़ें: शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट पर घिरे CM केजरीवाल, कांग्रेस ने मांगा इस्तीफा

3- उपराज्यपाल की पूर्वानुमति के बिना उनकी इस पद पर नियुक्ति नहीं हो सकती थी। इतना ही नहीं मंत्रियों को विदेश यात्रा की अनुमति देने से पहले उपराज्यपाल की अनुमति भी नहीं ली गई थी।

4- सितंबर 2016 में तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा केजरीवाल सरकार के फैसलों की समीक्षा के लिए गठित शुंगलू कमेटी ने सरकार के 440 फैसलों से जुड़ी फाइलें खंगाली। इनमें से 36 मामलों में फैसले लंबित होने के कारण फाइलें सरकार को लौटा दी गई थीं।

5- रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने अधिकारियों के परामर्श को दरकिनार कर संवैधानिक प्रावधानों, सामान्य प्रशासन से जुड़े कानून और प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन किया है। कई फैसले तो सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर लिए हैं।

6- दूसरी बार सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने संविधान और अन्य कानूनों में वर्णित दिल्ली सरकार की विधायी शक्तियों को नजरअंदाज कर दिया।

7- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 25 फरवरी, 2015 के उस बयान का भी हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन से जुड़े मामलों की फाइलें उपराज्यपाल की अनुमति के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से होकर ही जाएंगी।

8- शुंगलू कमेटी ने आप नेताओं को आवंटित आवास पर सवाल उठाते हुए कहा कि 206 राउज एवेन्यू स्थित बंगले को पार्टी दफ्तर के लिए आवंटित कर दिया गया।

9- स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनाने से पहले ही उन्हें आवास मुहैया करा दिया गया। आप विधायक अखिलेश त्रिपाठी को भी गलत तरीके से टाइप 5 बंगला आवंटित किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.