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    Railway News: कोहरे में न ट्रेन होगी लेट और न ही होगा एक्सीडेंट, फॉग सेफ्टी डिवाइस से सुरक्षित चलेंगी ट्रेनें

    By Santosh Kumar SinghEdited By: Geetarjun
    Updated: Sat, 17 Dec 2022 07:47 PM (IST)

    सर्दी में कोहरे का प्रकोप बढ़ने और दृश्यता कम होने से सुरक्षित ट्रेन परिचालन बड़ी चुनौती होती है। ट्रेनें देरी से चलती हैं। इन समस्याओं को देखते हुए उत्तर रेलवे ने 60 ट्रेनें तीन माह के लिए निरस्त कर दी है।

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    कोहरे में न ट्रेन होगी लेट और न ही होगा एक्सीडेंट, फॉग सेफ्टी डिवाइस से सुरक्षित चलेंगी ट्रेनें

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सर्दी में कोहरे का प्रकोप बढ़ने और दृश्यता कम होने से सुरक्षित ट्रेन परिचालन बड़ी चुनौती होती है। ट्रेनें देरी से चलती हैं। इन समस्याओं को देखते हुए उत्तर रेलवे ने 60 ट्रेनें तीन माह के लिए निरस्त कर दी है। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल सभी मंडलों के अधिकारियों को सुरक्षित रेल परिचालन के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। रेल पटरियों की निगरानी बढ़ा दी गई है।

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    परिचालन से जुड़े कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लोको पायलट को सिग्नल आने की जानकारी मिल सके इसके लिए इंजन में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाया जा रहा है।

    सिग्नल आने से एक किमी पहले बजता है अलार्म

    कोहरे में सुरक्षित रेल परिचालन में फॉग सेफ्टी डिवाइस मददगार है। रेल इंजन में रखे जाने वाले इस उपकरण से लोको पायलट सिग्नल को लेकर सचेत रहता है। इसमें लगा हुआ अलार्म सिग्नल आने के एक किलोमीटर पहले बजने लगता है। उपकरण के स्क्रीन पर भी सिग्नल आने की जानकारी मिलती है।

    एक उपकरण की लागत 50 हजार रुपये

    एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों के साथ ही मालगाड़ियों के इंजन में भी यह उपकरण लगाया जा रहा है। इस सर्दी में 27 सौ से ज्यादा उपकरण प्रयोग में लाए जाएंगे। अधिकांश इंजन में इसे लगा दिया गया है। एक उपकरण की लागत लगभग 50 हजार रुपये है।

    डेटोनेटर का अब कम हो रहा प्रयोग

    कोहरा का प्रकोप बढ़ता है तो डेटोनेटर (पटाखों) का भी प्रयोग किया जाता है। सिग्नल से कुछ पहले विशेष तरह के पटाखे ट्रैक पर रख दिए जाते हैं उसके ऊपर से इंजन के गुजरने पर आवाज होती है जिससे लोको पायलट सतर्क हो जाता है। पहले इसका प्रयोग ज्यादा होता था लेकिन अब फॉग सेफ्टी डिवाइस को बढावा दिया जा रहा है।

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    ट्रेन की गति कम करने के दिए हैं निर्देश

    कोहरे में ट्रेन की रफ्तार अधिकतम 75 किलोमीटर प्रतिघंटा रखने के निर्देश दिया गया है। यदि दृश्यता बहुत कम है तो लोको पायलट अपने विवेक के अनुसार ट्रेन की गति कम कर सकता है। कई बार घना कोहरा रहने पर ट्रेन की रफ्तार 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा रखनी पड़ती है। इन दिनों ट्रैक की निगरानी बढ़ा दी गई है।

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    महाप्रबंधक ने इस काम में किसी तरह की कोताही न हो इसके लिए अधिकारियों को नियमित निरीक्षण करने को कहा गया है। कम दृश्यता में नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिए सभी मंडलों में कर्मचारियों प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें इस मौसम में ट्रेन परिचलान से संबंधित नियमों की पुस्तिका भी दी जा रही है।