दिल्ली में 3 पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज होगी FIR, सामने आई बड़ी वजह
रोहिणी कोर्ट ने एक करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली पुलिस के तीन अधिकारियों समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने थाना प्रभारी को पांच दिन के भीतर उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसके और उसके परिवार के चार परिचितों ने मिलकर उससे ठगी की है।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। रोहिणी कोर्ट के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रे्ट (प्रथम श्रेणी) ने मंगलवार को एक करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली पुलिस के डीसीपी, एसएचओ और सब-इंस्पेक्टर समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली एक अर्जी मंजूर कर ली।
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अपूर्व भारद्वाज ने अर्जी मंजूर करते हुए थाना प्रभारी को पांच दिन के भीतर उचित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया। तीनों पुलिस अधिकारी उत्तर पश्चिम जिले के हैं।
क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम लागू होता है या नहीं
अदालत ने विशेष रूप से शिकायतकर्ता के वकील संजय शर्मा से यह पूछा कि क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम लागू होता है या नहीं। आवेदन में आरोपितों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।
जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी, आपराधिक विश्वासघात, लोक सेवक द्वारा व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से कानून का उल्लंघन, और लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से बचाने के उद्देश्य से कानून का उल्लंघन शामिल है।
अशोक विहार में अपने परिवार के साथ रहने वाले कारोबारी धर्मेश शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके और उनके परिवार के चार परिचित लोगों ने विश्वासघात करके उनसे एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है।
पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि उसने इसकी जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर 112 डायल किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
अगस्त में, इसी अदालत ने एसएचओ को एक आवेदन पर जवाब देने का निर्देश दिया था, जिसमें 11 अप्रैल को सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक भारत नगर पुलिस थाने के एसएचओ कक्ष का सीसीटीवी फुटेज, वीडियो और आडियो दोनों, संरक्षित करने की मांग की गई थी।
अदालत ने यह भी पूछा था कि कार्रवाई रिपोर्ट में उन पुलिस अधिकारियों ने रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि शिकायतकर्ता द्वारा आरोपियों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गई थी, जिसे संजय शर्मा ने उसी पुलिस अधिकारियों की ओर से दर्ज डीडी एंट्री दिखाकर खंडन किया।
शिकायतकर्ता के वकील संजय शर्मा और करण सचदेवा ने अदालत में यह प्रस्तुत किया कि शिकायत में संज्ञेय अपराधों का उल्लेख किया गया था, जिससे आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना आवश्यक था, क्योंकि इनोवा कार को बरामद करने और फेडरल बैंक खाते में पैसे जमा करने की कथित घटना की जांच के लिए पुलिस जांच आवश्यक थी।

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