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धान व गेहूं के बीच सब्जी की खेती किसानों के लिए है लाभदायक, कम अवधि में तैयार होने वाली फसल लगाने का चलन खूब

धान की कटाई के बाद किसान यदि चाहें तो पालक मूली शलगम मेथी गांठ गोभी तोरिया की खेती कर सकते हैं। आमतौर पर नवंबर में यह फसल तैयार हो जाती है। इसके बाद बड़ी आसानी से गेहूं की बुवाई की जा सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Babli KumariPublished: Mon, 03 Oct 2022 08:07 AM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 08:07 AM (IST)
धान व गेहूं के बीच सब्जी की खेती किसानों के लिए है लाभदायक, कम अवधि में तैयार होने वाली फसल लगाने का चलन खूब
अब पालक, मूली, शलगम, मेथी, गांठ गोभी, तोरिया की खेती का है विकल्प (फाइल इमेज)

पश्चिमी दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली देहात व आसपास के इलाके में धान की कटाई का दौर शुरू हो चुका है। विज्ञानियों का कहना है कि अभी उन क्षेत्रों में धान की कटाई हो रही है, जहां किसानों ने उन किस्मों का चयन किया जो कम अवधि में तैयार होती है।

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कम अवधि में तैयार होने वाली धान की फसल की शुरू हुई कटाई

इन किस्मों के चयन का सबसे बड़ा फायदा है कि धान की कटाई व गेहूं की बुवाई के बीच की अवधि में खेत खाली नहीं रहता। किसान यदि चाहें तो इस अवधि में सब्जी या चारे की फसल की खेती कर सकते हैं। अच्छी बात यह है कि कई किसान ऐसा कर भी रहे हैं।

पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान विज्ञानी डा. जेपीएस डबास बताते हैं कि समय के साथ किसान अब खेत को खाली नहीं रखना चाहते हैं। खेत खाली नहीं रहे इसके लिए आजकल कम अवधि में तैयार होने वाली फसल लगाने का चलन खूब है। धान की बात करें तो पूसा संस्थान की ओर से कई किस्में विकसित की गई हैं, जो कम अवधि में तैयार होती हैं। इनमें पूसा 1509, पूसा 2511, पूसा 1612 शामिल है।

नवंबर तक तैयार हो जाएगी यह फसल

दरियापुर कलां गांव के किसान सत्यवान सहरावत बताते हैं कि वे स्वयं धान की ऐसी किस्मों की खेती करते हैं जो कम समय में तैयार हो जाती हैं। ऐसी किस्मों में पूसा 1509, पूसा 1692 का वे खास तौर पर जिक्र करते हैं। पूसा 1692 किस्म के बारे में वे बताते हैं कि यह किस्म महज 85 दिनों में तैयार हो जाती है। पूसा 1509 की बात करें तो यह करीब 90 दिनों में तैयार हो जाती है।

अब पालक, मूली, शलगम, मेथी, गांठ गोभी, तोरिया की खेती का है विकल्प

धान की कटाई के बाद किसान यदि चाहें तो पालक, मूली, शलगम, मेथी, गांठ गोभी, तोरिया की खेती कर सकते हैं। आमतौर पर नवंबर में यह फसल तैयार हो जाती है। इसके बाद बड़ी आसानी से गेहूं की बुवाई की जा सकती है। विज्ञानियों का कहना है कि 15 दिसंबर से पहले की बुवाई को सामान्य बुवाई की संज्ञा दी जाती है। इसके बाद यदि बुवाई हो तो उसे पछेती बुवाई कहा जाएगा।

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