ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली ऑटो पार्ट्स बेचने वाले 11 गिरफ्तार, असली की हूबहू कॉपी करते थे तैयार
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने करोल बाग में नकली ऑटोमोबाइल पार्ट्स बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। इस कार्रवाई में 11 लोगों को हिरासत में लिया गया और 50 लाख रुपये के नकली पार्ट्स बरामद किए गए। यह गिरोह स्थानीय निर्माताओं से कम गुणवत्ता वाले पार्ट्स खरीदकर उन पर नकली लेबल लगाकर बेचता था। पुलिस ने आरोपियों के पास से 19 लाख रुपये नकद भी जब्त किए हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी में पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के नकली ऑटोमोबाइल पार्ट्स बनाकर बेचने वालों के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में 11 शातिरों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस उनके पास से 19 लाख रुपये नकद भी बरामद किये हैं। आगे की जांच की जा रही है।
इस संबंध में जारी बयान के अनुसार, क्राइम ब्रांच की आईएससी इकाई ने नकली ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स के रैकेट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस ऑपरेशन में तीन प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों के नाम और पैकेजिंग के साथ बड़ी मात्रा में नकली स्पेयर पार्ट्स जब्त किए गए हैं।
मुखबिर की सूचना पर मारे छापे
दरअसल, पुलिस को सूचना मिली थी कि एक गिरोह नकली ऑटोमोबाइल पार्ट्स बनाकर बेच रहा है। जानकारी के आधार पर 26 जुलाई को करोल बाग में चार स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई। इस कार्रवाई में 11 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया, 50 लाख रुपये मूल्य के नकली ऑटो पार्ट्स और 19 लाख रुपये नकद जब्त किए गए।
चार अलग जगहों पर की गई एक साथ छापेमारी
छापेमारी के दौरान करोल बाग के नई वालान में गली नंबर 1 की शिवाजी स्ट्रीट में प्रॉपर्टी नंबर 990 में तीन शातिर धीरज सिंह, अमित सिंह और दीपांकर नागपाल (उर्फ विक्की नागपाल) पकड़े गये। इस बीच इनके पास से नकली चेन सेट, ब्रेक शूज, शॉकर्स और प्रसिद्ध ब्रांडों की पैकेजिंग सामग्री का बड़ा स्टॉक बरामद किया गया।
वहीं, करोल बाग के नई वालान में गुरु नानक मार्केट के ग्राउंड फ्लोर स्थित प्रॉपर्टी नंबर टी-2538 में हर्ष कुमार, रिंकू और रविंदर को हिरासत में लिया गया। इनके पास से नकली स्पार्क प्लग की बड़ी मात्रा के साथ 8,68,500 रुपये नकद बरामद किए गए।
साथ ही, करोल बाग के नई वालान में सुभाष मोहल्ला स्थित प्रॉपर्टी नंबर टी-2449 से राघवेंद्र सिंह, सचिन सिंह और विनोद अहूजा को पकड़ा गया। इनके पास से भी विभिन्न ब्रांडों की नकली पैकेजिंग सामग्री की बड़ी मात्रा और 7 लाख रुपये नकद बरामद किए गए।
वहीं, करोल बाग के नई वालान में पूसा लेन में प्रॉपर्टी नंबर 18/12 से आशीष मल्होत्रा (उर्फ आशु) और अलोक प्रुथी (उर्फ मॉन्टी) को हिरासत में लिया गया। इस स्थान का उपयोग नकली पैकेजिंग सामग्री के भंडारण और वितरण के लिए किया जा रहा था। पैकेजिंग सामग्री का बड़ा स्टॉक और 4,07,900 रुपये नकद बरामद किए गए।
पुलिस ने बताया कि इन 11 आरोपियों पर कॉपीराइट एक्ट की धारा 63/65 के तहत कार्रवाई की गई।
कैसे करते थे पूरा कारोबार
पुलिस को जानकारी मिली है कि ये सभी स्थानीय निर्माताओं से कम गुणवत्ता वाले नकली ऑटो पार्ट्स को वास्तविक पार्ट्स की कीमत के एक अंश पर खरीदते थे। फिर उस पर नकली लेबल, होलोग्राम, लोगो और पैकेजिंग सामग्री का उपयोग कर ब्रांडेड ऑटोमोबाइल कंपनियों के समान बताकर मार्केट में थोड़ी कम कीमत पर बेच देते थे। इनके पास से 200 बोतलें नकली ब्रांडेड इंजन एवं मोबिल ऑयल भी जब्त किया गया है। बरामद वस्तुओं का बाजार मूल्य करीब 50 लाख रुपये है।
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सबकी थी अलग-अलग जिम्मेदारी
अमित सिंह, (उम्र 34 वर्ष) : ग्रेटर नोएडा में रहने वाला अमित स्कूल ड्रॉपआउट है और धीरज सिंह का साथी है। उसका मुख्य काम खातों की देखरेख और नकली सामग्री की आपूर्ति श्रृंखला का प्रबंधन करना था।
दीपांकर नागपाल उर्फ विक्की, (उम्र 42 वर्ष) : गुरुग्राम के पालम विहार में रहता है। वह नकली लेबल, होलोग्राम और स्टिकर आदि का जुगाड़ करता था।
हर्ष कुमार (उम्र 36 वर्ष) : दिल्ली के किशनगंज का निवासी है। वह 12वीं पास है और पहले मोटर पार्ट्स वितरक के साथ काम कर चुका है। यह रिंकू के साथ मिलकर नकली ऑटो पार्ट्स की आपूर्ति करता था।
रिंकू, (उम्र 30 वर्ष) : दिल्ली के करोल बाग का निवासी है। वह स्कूल ड्रॉपआउट है और हर्ष का साझेदार है। वह सामान की रीपैकेजिंग और भौतिक हस्तांतरण में सक्रिय रूप से शामिल था।
रविंदर, (उम्र 39 वर्ष) : करोल बाग में रहता है। वह हर्ष और रिंकू के साथ मिलकर काम करता था। वह नकद लेनदेन और अप्राप्य यूपीआई खातों का प्रबंधन करता था। माना जाता है कि वह नकली बिलिंग और नकद छिपाने की तकनीकों का प्रबंधन करता था।
राघवेंद्र सिंह, (उम्र 45 वर्ष) : नोएडा का रहने वाला है। वह सचिन और विनोद का करीबी सहयोगी है। इस पर पहले से ही आईपीआर उल्लंघन का मामला लंबित है।
सचिन सिंह, (उम्र 41 वर्ष) : नोएडा निवासी राघवेंद्र का भाई है। पहले ऑटो पार्ट्स परिवहन फर्म में काम कर चुका है। उसने नकली सामग्री के स्टॉक और एनसीआर क्षेत्र में मार्केटिंग का पूरा लिंक बनाया था। उस पर जालसाजी से संबंधित एक पुराना मामला भी है।
विनोद अहूजा, (उम्र 44 वर्ष) : फरीदाबाद निवासी विनोद बीए तक पढ़ा है। यह नकली पैकेजिंग सामग्री के भंडारण और छंटाई का काम देखता था। उसने विभिन्न कंपनियों के लिए लेबलिंग और प्रिंटिंग मोनोग्राम, लेबल और स्टिकर के लिए प्रिंटिंग मशीनें लगा रखी थीं।
आशीष मल्होत्रा उर्फ आशु, (उम्र 40 वर्ष) : पश्चिम विहार में रहता है। वह नकली ब्रांडिंग एवं होलोग्राम का विशेषज्ञ है।
आलोक प्रुथी उर्फ मॉन्टी, (उम्र 37 वर्ष) : पश्चिम विहार में विभिन्न ब्रांडों के नकली लेबल और स्टिकर तैयार करने के लिए प्रिंटिंग मशीनें लगा रखी थीं।
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