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    Delhi Chunav 2025: आखिर कब पूरा होगा महिलाओं का ये सपना? 1993 से 2020 तक का पढ़िए पूरा इतिहास

    Updated: Mon, 20 Jan 2025 12:26 PM (IST)

    दिल्ली विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा से ही कम रहा है। 1993 से 2020 तक हुए चुनावों में कुल 70 विधायकों में महिला विधायकों की संख्या कभी भी ...और पढ़ें

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    दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिलाओं प्रत्याशियों की संख्या बहुत कम। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हर चुनाव की तरह इस विधानसभा चुनाव में भी महिला मतदाताओं का समर्थन तो हर राजनीतिक दल को चाहिए, लेकिन सत्ता में उनकी ‘भागीदारी’ सुनिश्चित करने को लेकर सभी कन्नी काटने लगते हैं। यूं कहने के लिए इक्का-दुक्का महिला प्रत्याशी बनाते हैं, लेकिन संख्या में ये टिकट 10 से 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होते। 

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    आलम यह है कि वर्ष 1993 से 2020 तक भी विधानसभा में कुल 70 विधायकों में महिला विधायकों की संख्या नौ से ज्यादा कभी नहीं रही। संसद में पास हो चुके महिला आरक्षण विधेयक 2023 महिलाओं को 33 प्रतिशत तक बात करता है, लेकिन यह भी लागू कब होगा, पता नहीं। बातों एवं दावों में सभी राजनीतिक दल भी महिलाओं को आगे लाने की बात करते हैं। जब अमल करने का समय आता है तो महिलाओं पर उनका भरोसा डगमगाने लगता है। 

    सारे चुनावी परिदृश्य पर नजर डाली जाए तो विधानसभा चुनाव में तकरीबन 71.73 लाख महिला मतदाता सभी राजनीतिक दलों की घोषणाओं और वादों के केंद्र में हैं। भाजपा ने घोषणा पत्र जारी कर दिया है तो कांग्रेस और आप अपनी गारंटी जारी कर चुकी है। 

    सात चुनाव, तीन महिला मुख्यमंत्री 

    वर्ष 1993 से लेकर 2020 तक दिल्ली विधानसभा के सात चुनाव हुए हैं। इस दौरान राजधानी को आठ मुख्यमंत्री मिले हैं, जिनमें तीन महिलाएं- सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी रही हैं। कांग्रेस से शीला दीक्षित 1998, 2003, 2008 में तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। 1998 में सुषमा स्वराज भाजपा से मुख्यमंत्री बनी थीं। 2024 में आप से आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी हैं। 

    1998 में बनीं सर्वाधिक नौ महिला विधायक 

    अब तक हुए चुनावों में 1998 में दिल्ली से सर्वाधिक नौ महिला प्रत्याशी विधायक बनी थीं। यह रिकार्ड पहले या बाद में हुए किसी चुनाव में नहीं टूट पाया है। इस बार यह रिकार्ड टूटेगा या बरकरार रहेगा यह फरवरी में मतगणना के बाद पता चलेगा। सात चुनावों में कुल 39 महिलाएं बनीं विधायक: बीते सात चुनावों में 39 महिलाएं दिल्ली में विधायक बनी। इनमें कांग्रेस की 20, आप की 17 और भाजपा की दो विधायक रही हैं। 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में तीन महिला विधायक बनी थीं। इनमें कांग्रेस से कृष्णा तीरथ, ताजदार बाबर और भाजपा से पूर्णिमा सेठी थीं। 1998 में कांग्रेस से शीला दीक्षित पहले विधायक और फिर सीएम बनीं। तब सबसे ज्यादा नौ महिला विधायक थीं। इनमें कांग्रेस से आठ और नौवीं विधायक भाजपा से सुषमा स्वराज थीं। विधायक बनने से पहले 1998 में सुषमा स्वराज थोड़े समय के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही थीं। 

    2025 चुनाव में अब तक की स्थिति 

    अब अगर महिला प्रत्याशियों को चुनाव में टिकट देने की बात करें तो सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी तो भाजपा और आप से भी पीछे हैं। इस चुनाव में आप ने सिर्फ सात महिलाओं को टिकट दिया है। कांग्रेस व भाजपा ने नौ- नौ महिलाओं को टिकट दिया है। यानी आप ने 10 और कांग्रेस व भाजपा ने 13-13 प्रतिशत की भागीदारी रखी है। 

    एक भी महिला कभी निर्दलीय विधायक नहीं बनी 

    दिल्ली में कई निर्दलीय विधायक बन चुके हैं, लेकिन एक भी महिला कभी निर्दलीय विधायक नहीं बनी हैं। भाजपा, कांग्रेस, आप से टिकट पाने वाली महिलाएं ही विधायक बनी हैं।

    वर्ष 2003 में सात महिलाएं चुनी गई थीं विधायक

    शीला दीक्षित व सुषमा स्वराज के अलावा कांग्रेस के टिकट पर दोबारा कृष्णा तीरथ, ताजदार बाबर विधायक बनीं। किरण चौधरी, सुशीला देवी, अंजलि राय, दर्शना, मीरा भारद्वाज पहली बार विधायक बनी थीं। 2003 में सात महिलाएं विधायक बनीं। 2008 में चौथे विस चुनाव में तीन महिला विधायक बनीं। इनमें सीएम शीला दीक्षित समेत तीनों कांग्रेस से थीं। 2013 में वीणा आनंद, राखी बिड़लान और वंदना कुमारी विधायक बनीं। यह तीनों आप से प्रत्याशी थीं। 2015 में छह महिला विधायक बनीं और सभी आप से थीं। 2020 में 79 महिला प्रत्याशी थीं। कांग्रेस ने 10, आप ने नौ एवं भाजपा ने तीन महिलाओं को टिकट दिया था। इनमें आठ महिलाएं विधायक बनीं।

    वर्ष 2003 में सात महिलाएं चुनी गई थीं विधायक

    भाजपा में महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाया जा रहा है। संगठन में अनिवार्य रूप से 33 प्रतिशत महिलाओं को स्थान दिया जाता है। विधानसभा चुनाव में नौ महिलाओं को टिकट दिया गया है। सभी वर्गों की महिलाओं को स्थान मिला है। - ऋचा पांडे मिश्रा, अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा

    कांग्रेस ने हमेशा महिलाओं को हर स्तर पर भागीदारी दी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 15 साल तक यानी तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित हैं। इस बार भी अन्य दलों के बनिस्पत सर्वाधिक नौ महिलाओं को टिकट दिया है। इसे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। - देवेंद्र यादव, अध्यक्ष, दिल्ली कांग्रेस

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    आम आदमी पार्टी की तो मुख्यमंत्री ही महिला है। कहने का मतलब यह है कि पार्टी में महिलाओं को हमेशा आगे बढ़ाया जाता है। विधानसभा उपाध्यक्ष भी महिला ही हैं। अलग अलग सात सीटों पर भी महिलाओं को उम्मीदवार बनाया गया है। - आम आदमी पार्टी

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