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    Delhi Chunav: 'बड़े उद्योगपति उनके नोटबैंक हैं', AAP-BJP के बीच तेज हुई जुबानी जंग, कहां तक पहुंची लड़ाई?

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 11:28 PM (IST)

    Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच चुनाव जंग तेज हो गई है। अब दोनों के बीच की लड़ाई मध्यम वर्ग पर जा पहुंची है। केजरीवाल ने मध्यम वर्ग के लिए केंद्र सरकार से कई बड़ी मांगें की हैं। जानिए आखिर केजरीवाल ने क्या-क्या मांगें की हैं ?

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    दिल्ली चुनाव में बीजेपी और आप के बीच मध्यम वर्ग को लेकर लड़ाई। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025) के दौरान विभिन्न वर्गों के लिए चल रहे घोषणाओं के अभियान के बीच आम आदमी पार्टी व भाजपा के बीच अब मध्यम वर्ग को लेकर जुबानी जंग शुरू हो गई है।

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    मध्यम वर्ग को उन्होंने क्यों नजरअंदाज किया?

    आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि देश का असली सुपर पावर हमारा मिडिल क्लास है। उन्होंने कहा, इतिहास में पहली बार एक पार्टी मध्यम वर्ग के लिए घोषणा पत्र जारी कर रही है। भाजपा सांसदों ने पलटवार करते हुए केजरीवाल से सवाल किया कि 10 वर्षों तक मध्यम वर्ग को उन्होंने क्यों नजरअंदाज किया। अब केंद्र सरकार के सामने कुछ मांग रखकर इसे घोषणा पत्र बता रहे हैं।

    आयकर की छूट 10 लाख तक हो

    केजरीवाल ने कहा, केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वह अपना अगला बजट मध्यम वर्ग समर्पित करते हुए शिक्षा व स्वास्थ्य का बजट बढ़ाकर 10 प्रतिशत करे। निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रित करे, आयकर की छूट 10 लाख रुपये और जरूरी वस्तुओं से जीएसटी खत्म करे। इसी तरह वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेवानिवृत्ति व पेंशन प्लान लाने के साथ ही उनको निजी व सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और रेलवे के किराये में पहले की तरह 50 प्रतिशत तक की छूट दी जाए।

    केजरीवाल ने कहा कि आज देश का मध्यम वर्ग टैक्स टेररिज्म का शिकार है। उसकी 50 प्रतिशत कमाई सरकारों को टैक्स देने में ही खर्च हो जाती है। कहा कि जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली के अंदर गरीबों और मध्यम वर्ग को महंगाई की मार से बचाने के लिए मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत कई सुविधाएं दी हैं। अब हम सड़क से लेकर संसद तक इनकी आवाज बनेंगे।

    बड़े उद्योगपति हैं उनके नोटबैंक 

    कहा, अन्य पार्टियां जाति और धर्म के नाम पर अपने वोटबैंक बना रखे हैं। इन्हें बड़े-बड़े उद्योगपतियों को खुश करना होता है, क्योंकि उनसे चंदा लेना होता है। तो बड़े उद्योगपति उनके नोटबैंक हैं और बाकी लोग वोटबैंक हैं। इस वोटबैंक और नोटबैंक के बीच में एक बहुत बड़ा ऐसा वर्ग है जो पिसकर रह गया है। यह वर्ग भारत का मिडिल क्लास है।

    वहीं, सांसद कमलजीत सहरावत व प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, केजरीवाल ने मध्यम वर्ग के लिए घोषणापत्र लाने की बात कही और उसके कुछ देर बाद केंद्र सरकार के सामने उनके लिए कुछ मांगें रख दी। मध्यम वर्ग के लिए उनकी अपनी कोई दृष्टि नहीं है। घोषणा पत्र में कुछ करने का वादा का किया जाता है न कि किसी से कोई मांग।

    सहरावत ने कहा, अरविंद केजरीवाल यह जानते हैं कि समाज के हर वर्ग में उनकी पकड़ कमजोर हो रही है। इस कारण अब चुनाव के समय उनसे झूठे वादे कर रहे हैं। उन्होंने अपने 10 वर्षों के शासन में मध्यम वर्ग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। अब चुनाव से पहले पहली बार मध्यम वर्ग के लिए कुछ शब्द बोले हैं।

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    उन्होंने कहा, केजरीवाल द्वारा मध्यम वर्ग के लिए बोले गए हर शब्द से उनकी चालाकी और कुटिलता झलकती है। दिल्ली के परिश्रमी विभिन्न क्षेत्रों में काम करके दिल्ली के राजस्व में अपना योगदान देते हैं। आप सरकार ने युवाओं के काम के लिए बेहतर माहौल सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

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    सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, मध्यम वर्ग विशेषकर व्यापारी, दिल्ली सरकार को सबसे अधिक राजस्व देते हैं। इनमें छोटे व्यापारी भी शामिल हैं। इसके बावजूद आप सरकार ने उन्हें कुछ भी नहीं दिया है। वास्तव में, यह उनके कुशासन का नतीजा है कि व्यापारी सबसे ऊंची दर पर बिजली खरीदने को मजबूर हैं।